शहरी गरीबी उन्मूलन पर आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने कार्यशाला आयोजित की
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने 23 सितंबर 2024 को शहरी गरीबी उन्मूलन पर एक कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी के विभिन्न पहलुओं और उन्हें खत्म करने के लिए अपनाए जा सकने वाले तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया।
कार्यशाला में एमओएचयूए सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला ने मुख्य भाषण दिया, जिसमें देश भर के राज्य मिशन निदेशकों, नगर आयुक्तों और 25 चुनिंदा शहरों के शहर प्रतिनिधियों के साथ-साथ मंत्रालय और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारिय शामिल हुए।
कार्यशाला का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन पर प्रस्तावित नए कार्यक्रम के पायलट कार्यान्वयन की रूपरेखा पर राज्यों और यूएलबी को संवेदनशील बनाना था। सत्र की शुरुआत आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री राहुल कपूर द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम और उद्देश्यों के अवलोकन के साथ हुई। इसके बाद विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए गहन प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें समुदाय के नेतृत्व में संस्थागत विकास, वित्तीय समावेशन और उद्यम विकास, क्षमता निर्माण, सामाजिक बुनियादी ढाँचे का विकास और आजीविका के क्षेत्र में नवाचार शामिल थे। इस अवसर पर आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला ने पायलट कार्यान्वयन के लिए मिशन दस्तावेज़ जारी किया और कार्यशाला के उद्देश्यों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी और राज्यों और शहरों को पायलट चरण के दौरान विभिन्न पहलों को अपनाते समय अभिनव तरीके से सोचने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर एमओएचयूए सचिव श्री श्रीनिवास कटिकिथला ने कहा की “शहरीकरण विभिन्न अवसर प्रदान करता है और इन अवसरों को अभिनव सोच के माध्यम से काम में लाने की आवश्यकता है ताकि शहरी गरीबों, विशेष रूप से युवाओं सहित कमजोर समूहों को बेहतर आजीविका के अवसर मिल सकें।”
कार्यशाला में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तथा 25 चुनिंदा शहरों के अधिकारी ने शामिल हुए । राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, शहरों द्वारा आगामी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने में मदद करने के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए गए। पायलट योजना को 25 शहरों में शुरू किया जाना है – जिसमें औद्योगिक केंद्र, प्रवासी केंद्र, आकांक्षी जिले और बंदरगाह शहर शामिल हैं, जिसमें टेस्ट-लर्न-स्केल दृष्टिकोण का उपयोग किया जाएगा। 1 अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाला यह पायलट योजना तीन महीने तक चलेगा, जिसमें प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक महीने का प्रारंभिक चरण होगा।
पायलट को अनौपचारिक क्षेत्र के भीतर कमजोर समूहों के उत्थान के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें निर्माण श्रमिक, गिग श्रमिक, अपशिष्ट श्रमिक, देखभाल श्रमिक, घरेलू श्रमिक और परिवहन श्रमिक शामिल हैं, जिन्हें अक्सर व्यावसायिक, सामाजिक और आवासीय कमजोरियों का सामना करना पड़ता है। कम वेतन, खतरनाक परिस्थितियों और सामाजिक सुरक्षा तक सीमित पहुँच वाले अनिश्चित नौकरियों में लगे ये श्रमिक इस मिशन के प्राथमिक लाभार्थी हैं। पायलट का उद्देश्य सूक्ष्म उद्यमों के लिए वित्तीय सहायता, सामाजिक सुरक्षा और ऋण तक पहुंच प्रदान करके, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देकर गरीबी को ख़त्म करना है।
रणनीतिक हस्तक्षेप और सहयोगात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से प्रस्तावित कार्यक्रम का उद्देश्य शहरी भारत में आजीविका परिदृश्य को नया आकार देना है और यह सुनिश्चित करना है कि शहरीकरण के लाभ समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए समान रूप से पहुंचे।