कुलपति डॉ. राज नेहरू ने अपनी पुस्तक ‘अहं शिवम्’ श्री श्री रविशंकर को भेंट की
कश्मीर शैव दर्शन पर आधारित पुस्तक में किया गया है परम शिव के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक आयामों का उल्लेख
पलवल-21 सितंबर
कृष्ण कुमार छाबड़ा
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू द्वारा कश्मीर शैव दर्शन पर आधारित ‘अहं शिवम्’ पुस्तक प्रकाशित हुई है। परम शिव के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक आयामों पर लिखी गई इस पुस्तक पर देश भर के कई विश्वविद्यालयों में विवेचना एवं मंथन हो रहा है। देश के कई बड़े संतों एवं आध्यात्मिक हस्तियों ने इस पुस्तक की सराहना की है। इसी कड़ी में कुलपति डॉ. राज नेहरू ने ‘अहं शिवम्’ पुस्तक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी को भेंट की। उन्होंने पुस्तक के शीर्षक और विषय वस्तु की मुक्त कंठ प्रशंसा की। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने पुस्तक में समाहित परम शिव के वैविध्य और मौलिकता को सराहा। उन्होंने लीक से हट कर यह पुस्तक लिखने के लिए कुलपति डॉ. राज नेहरू को बधाई दी। इस अवसर पर उनकी धर्मपत्नी सुनैना नेहरू भी उपस्थित रहीं।
कुलपति डॉ. राज नेहरू ने ‘अहं शिवम्’ पुस्तक के लेखक के तौर पर मिले इस आशीर्वाद के लिए गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
इसके अलावा उन्होंने धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध राजनेता डॉ. कर्ण सिंह को भी अपनी पुस्तक भेंट की। उन्होंने इस पुस्तक की दिल खोल कर सराहना की।
दूसरी तरफ ‘अहं शिवम्’ पुस्तक पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के रत्नागिरी भवन में समीक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने शिव स्त्रोत और शिव के आध्यात्मिक आयामों से जुड़े गूढ़ रहस्यों पर चर्चा की। उन्होंने कहा इस पुस्तक में शिव के धार्मिक स्वरूप से इतर आध्यात्मिक और वैज्ञानिक आयामों पर चर्चा की गई है। इस व्याख्यान में कुलपति डॉ. राज नेहरू ने महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डाला।
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक विभाग की प्रोफेसर शालिनी सिंह ने इस पुस्तक से जुड़े मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर विवेचना की। उन्होंने बताया कि यह पुस्तक किस प्रकार विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के सिद्धांतों को आधार बनाकर जीवन के यथार्थ को हम सब के सामने प्रस्तुत करती है। इससे पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने प्रोफेसर शालिनी शर्मा और अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने कुलपति डॉ. राज नेहरू का स्वागत किया। डीन प्रोफेसर ऋषि पाल ने सभी का धन्यवाद किया।