• यूपी में बिना वजह थानेदारों के ट्रांसफर पर रोक, डीजीपी प्रशांत कुमार ने तो दे दी कार्रवाई वाली चेतावनी।
👉🏻डीजीपी का सख्त रुख, बेवजह थानेदार बदलने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई।
👉🏻 मुख्यालय का निर्देश, जिलों से अटैच इंस्पेक्टर, एसआई नहीं बनाए जाएंगे थानेदार।
👉🏻शिकायत या कार्रवाई के तहत हटाए गए थानेदारों को छह माह तक नहीं मिलेगा चार्ज।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में थानेदारों के ट्रांसफर पर अब पुलिस मुख्यालय गंभीर हो गया है। बिना ठोस कारण बार-बार थानेदारों को बदलने वाले पुलिस कप्तानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। डीजीपी प्रशांत कुमार ने सभी पुलिस कप्तानों और कमिश्रर को निर्देश दिए हैं कि अगर ठोस कारण के बिना थाना प्रभारियों को बार-बार हटाया जाता है, तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध प्रतिकूल रुख अपनाया जाएगा। डीजीपी ने कहा कि अगर किसी कार्रवाई के तहत थानेदार को हटाया जाता है तो अगले छह माह तक उसे किसी और थाने का चार्ज नहीं दिया जाएगा।
डीजीपी की तरफ से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि जिलों से जानकारी मिल रही है कि थानाध्यक्षों की तैनाती को लेकर मुख्यालय और शासन स्तर से जारी आदेशों का सही से पालन नहीं हो रहा है। मानक और नियम के विरुद्ध थानेदारों की तैनाती की जा रही है। डीजीपी के मुताबिक कई जिलों में प्रभारियों की ओर से बिना पर्याप्त कारण के थाना प्रभारियों को हटा दिया जाता है, जो उचित नहीं है। निर्देशों में कहा गया है कि थानों में इंस्पेक्टर व एसआई की तैनाती उनकी उपयुक्तता, योग्यता, कर्मठता, कार्यकुशलता, सत्यनिष्ठा एवं व्यवहारिक दक्षता के आधार पर की जाएगी। पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी जिलों के कप्तान दावेदारों की सूची को उनके वरिष्ठता क्रम के आधार पर तैयार कर अनुमोदन के लिए एडीजी, आईजी या डीआईजी को भेजेंगे। वरिष्ठ अफसर सूची की समीक्षा के बाद जिले के कप्तान के साथ उस पर विचार विमर्श करेंगे। वरिष्ठ अफसरों को एक सप्ताह के अंदर अनुमोदित सूची कप्तान को भेजनी होगी।
“बैड एंट्री तो तत्काल हटेंगे”
अगर अनुमोदित सूची में किसी को भी बैड इंट्री मिलती है तो उस थानेदार को तत्काल हटाया जाएगा। कप्तान को इसकी सूचना व हटाए जाने के कारण की जानकारी आईजी व एडीजी को देनी होगी। *अगर किसी और वजह से थानेदार को हटाया जाता है तो उसे छह माह तक दोबारा इंचार्ज नहीं बनाया जाएगा। किसी वजह से अगर उसे थानेदार बनाने की आवश्यकता महसूस होती है तो उसके लिए वरिष्ठ अफसरों से अनुमति लेनी होगी*। निर्देशों में कहा गया है कि जिले का कप्तान अगर किसी जूनियर को थानेदार बनाता है तो उसे बनाने और सीनियर को न बनाने की वजह अपने वरिष्ठ अफसरों को बतानी पड़ेगी।
“प्रशासनिक तबादला तो 1 साल तक चार्ज नहीं”
पुलिस कमिश्ररेट में थानेदारों की तैनाती के लिए कहा गया है कि डीसीपी मुख्यालय सभी दावेदारों की सूची वरिष्ठता क्रम के मुताबिक संयुक्त या अपर पुलिस आयुक्त को भेजेंगे। वहां जेसीपी या एडिश्नल सीपी की अध्यक्षता में पुलिस कमिश्रनर द्वारा बनाई गई कमिटी सही दावेदारों का अनुमोदन पुलिस कमिश्रर को भेजेंगे। फाइनल सूची आयुक्त जारी करेंगे। प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर इंस्पेक्टर व एसआई को एक वर्ष तक थाना प्रभारी के पद पर तैनात नहीं किया जाएगा। किसी भी अराजपत्रित पुलिसकर्मी को किसी भी जिले, इकाई व कार्यालय में अटैच नहीं किया जाएगा। अगर किसी वजह से यह किया जाता है तो वहां उसे थाना प्रभारी नहीं बनाया जाएगा। डीजीपी ने कहा है कि एडीजी जोन और पुलिस कमिश्रर इसका सख्ती से पालन करवाएंगे। इसकी मासिक समीक्षा करेंगे जो भी अधिकारी शिथिलता बरतें उनका उत्तरदायित्व निर्धारित कर उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। साथ ही हर माह की पांच तारीख को थानाध्यक्षों की तैनाती के संबंध में डीजीपी मुख्यालय को रिपोर्ट भेजेंगे।।
आपका अपना पत्रकार “रोहित शर्मा”
सत्यार्थ न्यूज हापुड़ मीडिया