सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है।शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है।पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏🏻जय श्री कृष्णा राधे 🙏🏻
*दिनांक:- 15/08/2024, गुरुवार*
दशमी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———–दशमी 10:26:15 तक
पक्ष———————- शुक्ल
नक्षत्र———- ज्येष्ठा 12:51:52
योग———— वैधृति 14:57:19
करण————- गर 10:26:15
करण———– वणिज 22:08:51
वार———————- गुरूवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि— वृश्चिक 12:51:52
चन्द्र राशि——————– धनु
सूर्य राशि—————— कर्क
रितु————————- वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————– क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) —————कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————– 1946
कलि संवत—————– 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:51:09
सूर्यास्त————— 18:55:38
दिन काल————- 13:04:28
रात्री काल————–10:56:01
चंद्रोदय—————- 15:27:50
चंद्रास्त—————- 25:40:08
लग्न— कर्क 28°29′ , 118°29′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र—————— ज्येष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
यी—- ज्येष्ठा 06:46:31
यू—- ज्येष्ठा 12:51:52
ये—- मूल 18:54:08
यो—- मूल 24:53:20
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= कर्क 28°05, अश्लेषा 4 ड़ो
चन्द्र= वृश्चिक 26°30 , ज्येष्ठा 3 यी
बुध =सिंह 05°53′ मघा 2 मी
शु क्र= सिंह 17°05, पू o फाo’ 2 टा
मंगल=वृषभ 22°30 ‘ रोहिणी’ 4 वु
गुरु=वृषभ 22°30 रोहिणी , 4 वु
शनि=कुम्भ 23°10 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 14°40 उo भा o, 4 ञ
केतु= (व)कन्या 14°40 हस्त 2 ष
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 14:01 – 15:40 अशुभ
यम घंटा 05:51 – 07:29 अशुभ
गुली काल 09:07 – 10: 45अशुभ
अभिजित 11:57 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 10:13 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:26 – 16:19 अशुभ
प्रदोष 18:56 – 21:08 शुभ
🚩गंड मूल अहोरात्र अशुभ
💮चोघडिया, दिन
शुभ 05:51 – 07:29 शुभ
रोग 07:29 – 09:07 अशुभ
उद्वेग 09:07 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:23 शुभ
लाभ 12:23 – 14:01 शुभ
अमृत 14:01 – 15:40 शुभ
काल 15:40 – 17:18 अशुभ
शुभ 17:18 – 18:56 शुभ
🚩चोघडिया, रात
अमृत 18:56 – 20:18 शुभ
चर 20:18 – 21:40 शुभ
रोग 21:40 – 23:02 अशुभ
काल 23:02 – 24:24* अशुभ
लाभ 24:24* – 25:46* शुभ
उद्वेग 25:46* – 27:08* अशुभ
शुभ 27:08* – 28:30* शुभ
अमृत 28:30* – 29:52* शुभ
💮होरा, दिन
बृहस्पति 05:51 – 06:57
मंगल 06:57 – 08:02
सूर्य 08:02 – 09:07
शुक्र 09:07 – 10:13
बुध 10:13 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:23
शनि 12:23 – 13:29
बृहस्पति 13:29 – 14:34
मंगल 14:34 – 15:40
सूर्य 15:40 – 16:45
शुक्र 16:45 – 17:50
बुध 17:50 – 18:56
🚩होरा, रात
चन्द्र 18:56 – 19:50
शनि 19:50 – 20:45
बृहस्पति 20:45 – 21:40
मंगल 21:40 – 22:34
सूर्य 22:34 – 23:29
शुक्र 23:29 – 24:24
बुध 24:24* – 25:18
चन्द्र 25:18* – 26:13
शनि 26:13* – 27:08
बृहस्पति 27:08* – 28:02
मंगल 28:02* – 28:57
सूर्य 28:57* – 29:52
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
कर्क > 02:50 से 05:10 तक
सिंह > 05:10 से 07:20 तक
कन्या > 07:20 से 09:30 तक
तुला > 09:30 से 11: 46 तक
वृश्चिक > 11:46 से 14:04 तक
धनु > 14:04 से 16:10 तक
मकर > 16:10 से 18:02 तक
कुम्भ > 18:02 से 19:30 तक
मीन > 19:30 से 20:58 तक
मेष > 20:58 से 22:30 तक
वृषभ > 22:30 से 00:44 तक
मिथुन > 00:44 से 02:42 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
10 + 5 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
10 + 10 + 5 = 25 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
रात्रि 22:02 से प्रारम्भ
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
* स्वतंत्रता दिवस
*महर्षि अरविंद जयंती
*झूलम यात्रा प्रारंभ
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
तुष्यन्ति भोजने विप्रा मयूरा घनगर्जिते ।
साधवः परसम्पत्तौ खलाः परविपत्तिषु ।।
।। चा o नी o।।
हाथी को अंकुश से नियंत्रित करे.
घोड़े को थप थपा के.
सिंग वाले जानवर को डंडा दिखा के.
एक बदमाश को तलवार से.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: राजविद्याराज ह्य योग अo-09
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।,
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेषवस्थितः ॥,
मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत् जल से बर्फ के सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अंतर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ॥,4॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रसन्नता रहेगी। खर्चों में वृद्धि से चिंता होगी। संतान के रोजगार की समस्या का समाधान संभव है। व्यापार-व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। कश्मकश दूर होगी। स्वजनों से भेंट होगी।
🐂वृष-विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। पराक्रम बढ़ेगा। जीवनसाथी से आर्थिक मतभेद हो सकते हैं। कामकाज में आशानुरूप स्थिति बनेगी। संतान के व्यवहार पर नजर रखें।
👫मिथुन-बुरी खबर मिल सकती है। वाणी पर नियंत्रण रखें। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। लेन-देन में सावधानी रखें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। आपके व्यवहार एवं कार्यकुशलता से अधिकारी वर्ग से लाभ होगा। आपसी विचार-विमर्श लाभप्रद रहेगा।
🦀कर्क-योजना फलीभूत होगी। नए अनुबंध होंगे। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी व भागदौड़ से काम करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाएं। अच्छे मित्र से भेंट होगी। पराक्रम की वृद्धि होगी। समाज-परिवार में आदर मिलेगा।
🐅सिंह-राजकीय सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। अप्रत्याशित लाभ होगा। जोखिम बिलकुल न लें। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। व्यापार व नौकरी में हितकारकों की पूर्ण कृपा रहेगी। गृह उपयोगी वस्तुएं क्रय करेंगे। नए संबंधों के प्रति सतर्क रहें।
🙍♀️कन्या-प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। शत्रुभय रहेगा। लाभ होगा। पिछले कार्यों को टालना चाहिए क्योंकि उसमें असफलता का योग है। अनावश्यक विवाद होगा। व्यावसायिक योजनाएं क्रियान्वित नहीं हो पाएंगी।
⚖️तुला-फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। कुसंगति से बचें। दूसरों पर भरोसा न करें। धैर्य रखें। पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा। रुका पैसा मिलेगा। शत्रु आपकी छवि को धूमिल करने का प्रयास करेंगे। अतः सावधान रहें। व्यापार में सफलता मिलेगा ।
🦂वृश्चिक-वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी पर नियंत्रण रखें। व्यापार के विस्तार हेतु किए गए प्रयास सफल होंगे। संतान की ओर से अच्छे समाचार मिलेंगे। दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करें। परिवार की चिंता रहेगी।
🏹धनु-धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। वरिष्ठजनों का सहयोग मिलेगा। कोर्ट व कचहरी के काम बनेंगे। कार्यसिद्धि होगी। आय-व्यय में संतुलन रहेगा। क्रोध पर संयम आवश्यक है। व्यापार में नए अनुबंध लाभकारी रहेंगे। धर्म में रुचि बढ़ेगी। नई योजना से लाभ होगा।
🐊मकर-रुका हुआ धन प्राप्त होगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। विवाद न करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। पूँजी निवेश बढ़ेगा। साहित्यिक रुचि बढ़ेगी। आर्थिक योग शुभ हैं। यात्रा से व्यापारिक लाभ हो सकता है। सुसंगति से लाभ होगा।
🍯कुंभ-उत्साहवर्द्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बढ़ेगा। पुराने मित्र-संबंधी मिलेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कार्य एवं व्यवसाय के क्षेत्र में विभिन्न बाधाओं से मन अशांत रहेगा। विवादों से दूर रहना चाहिए। आर्थिक तंगी रहेगी। पिछले कार्यों को टालें। पारिवारिक तनाव से मन परेशान रहेगा। व्यापार में हानि हो सकती है। जल्दबाजी व भागदौड़ से कार्य करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाएं।
🐟मीन-मेहनत का फल मिलेगा। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। यात्रा सफल रहेगी। धनलाभ होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। वाहन सुख मिलेगा। संपत्ति के लेन-देन में सावधानी बरतें। परिवार में सहयोग का वातावरण रहेगा। व्यापार-व्यवसाय अच्छा चलेगा। संतान पर ध्यान दें।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
“भगवान् शंकर का चरणोदक तथा प्रसाद लेना चाहिए या नहीं ?” —- इस सम्बंध में कहीं-कहीं ऐसी धारणा बन गई है कि शंकर जी का प्रसाद तथा चरणोदक नहीं ग्रहण करना चाहिए। हालांकि यह किसी शिवद्रोही द्वारा किया गया दुष्प्रचार मात्र है, फिर भी इसपर एक शास्त्रीय विमर्श की आवश्यकता है :—-
भोजन से पहले प्रत्येक द्विजाति तथा संन्यासी को ब्रह्मार्पण करने से पूर्व अन्न दोष की निवृत्ति के लिए यह मन्त्र पढ़ना चाहिए ~
“अन्नं ब्रह्म रसं विष्णुर्भोक्तादेवो महेश्वर:।
एवं ध्यात्वा द्विजोभुङ्क्ते अन्न दोषैर्न लिप्यते।।”
【चार प्रकार का अन्न ब्रह्मा है, छः प्रकार का स्वाद विष्णु है।भोग लगाने वाले भोक्ता शिव है।ऐसे ध्यान करके भोजन करने वाला द्विज अन्न दोष से लिप्त नहीं होता।】
इससे सिद्ध होता है कि भोग लगाने वाले एकमात्र शंकर ही हैं। अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड में जितने भी जीव है, समस्त जीव शिव की कृपा से ही अपने-अपने खाद्य एवं पेय पदार्थ खाते-पीते हैं।शंकर से सब शक्ति प्राप्त करते हैं संहार के देवता शंकर हैं।भोजन भी संहार क्रिया है। किसी भी देवी-देवता के मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान, भैरव, दुर्गा, महाकाली आदि समस्त देवी-देवता शिव रूप धारण किये बिना भोग नहीं लगाते। वे भोग लगाते समय अपने रूप को त्यागकर शिव रूप धारण करते हैं, इसीलिए मन्दिर के पुजारी भोग लगाते समय पर्दा करते हैं। इससे सिद्ध हुआ कि प्रत्येक देवता का प्रसाद शिव का ही प्रसाद है।अतः शंकर के भोग से कोई नहीं बच सकता। यदि कोई कहे कि शंकर जी के लाट पर चढ़ी जल नहीं ग्रहण करना चाहिए, तो उनके मस्तक पर तो गंगाजी भी चढ़ी हैं।फिर तो उसे गोमुख से लेकर गंगासागर तक कहीं भी स्नान आदि नहीं करना चाहिए।
देवताओं का पूजन गंगा जल से न करो तथा गंगाजल से जिन प्रान्तों की सिंचाई होती है।उनमें पैदा होने वाले अन्न, फल का भी सेवन न करो यदि शिव-पादोदक से इतनी ही आपत्ति है तो इतना ही नहीं भागवत् के आठवें स्कन्ध में समुद्र मंथन के बाद अमृत निकलने पर जब विष्णु भगवान् ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया असुरों को मोहित किया फिर भगवान् अंतर्ध्यान हुये। तब शिवजी की प्रार्थना पर भगवान् ने उनको मोहिनी रूप दिखाया उस रूप को देखकर शंकर जी के तेज से खनिज- सोना- चांदी आदि उत्पन्न हुए उनका भी उपयोग फिर तो नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये भी तो शंकर जी से उत्पन्न हुए हैं।
कुल मिलाकर बात यह कि शंकर जी का चरणोदक तथा प्रसाद का परित्याग करके कोई प्राणी जीवन धारण नहीं कर सकता। शिव जी के प्रसाद ग्रहण करने की प्रशंसा शिवपुराण के विद्येश्वर संहिता का २२वां अध्याय में इस प्रकार किया गया है ~
“दृष्टवापि शिवनैवेद्यं यान्ति पापानि दूरत:।
भुक्त्वा तु शिवनैवेद्यं पुण्यान्यायान्ति कोटिशः।।
अलं याग सहस्रेण ह्यलं यागार्बुदैरपि।
भक्षिते शिव नैवेद्ये शिवसायुज्यमाप्नुयात्।।
आगतं शिवनैवेद्य गृहीत्वा शिरसा मुदा।
भक्षणीयं प्रयत्नेन शिवस्मरण पूर्वकम्।।
न यस्य शिव नैवैद्ये ग्रहणेच्छा प्रजायते।
स पापिष्ठो गरिष्ठ: स्यान्नरकं यात्यपि ध्रुवम्।।”
अर्थ== शिव प्रसाद देखने मात्र से पाप दूर हो जाते हैं तथा सेवन से करोड़ों पुण्य प्राप्त होते हैं।
हजारों तथा करोडों यज्ञादिकों से क्या लाभ है।भक्त तो एकमात्र शिव प्रसाद के भक्षण से ही शिव-सायुज्य प्राप्त करता है। प्राप्त किये हुये शिव-नैवेद्य को प्रसन्नचित्त से सिर झुकाकर शिव का स्मरण करते हुए लेना चाहिए।
जिसकी शिव-प्रसाद ग्रहण करने की इच्छा नहीं होती, वह पापियों में महापापी नरक को प्राप्त करता है।