महात्मा गांधी चिकित्सालय के पीएमओ द्वारा
यूट्यूबर को फर्जी बता कर पुलिस में शिकायत अपने आप में हास्यास्पद है।
बांसवाड़ा
संवाददाता पूर्णानंद पांडेय
पीएमओ खुशपाल सिंह को देखना चाहिए कि चिकित्सालय में हो रही कमियों दूर किया जाए ना की कड़वी खबरों पर उत्तेजित प्रतिक्रिया दे । हम यूट्यूब का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन साथ ही पीएमओ को यह भी ध्यान रखना चाहिए ट्रोमा वार्ड तथा अन्य वार्डों के अंदर जहां पर मरीजों का इलाज हो रहा है ,वहां पर अपने चहेते पर पत्रकारों को अंदर जाकर के वीडियो ग्राफी एवं फोटोग्राफी करने की अनुमति देते हैं। जब कि ऐसे फोटो जोकी विचलित करने वाले फोटो है।
जैसे माथे पर तथा अन्य जगहों पर खून निकला हुआ वह फोटो या वीडियो ना तो अखबार में प्रकाशित किया जाता है और ना ही प्रसारित किया जाता है
युटुब पर कथित चैनल या समाचार पत्र के नाम की फर्जी आईडी बनाकर शहर, तहसील और गांव-गांव घूमने वाले कथित फर्जी पत्रकारों के खिलाफ अवैध वसूली की शिकायतें सामने आ रही है।
गौरतबल है कि जिले में फर्जी पत्रकार गांवाें में सरपंच, सचिव, शिक्षकों व छोटे-मोटे व्यवसायियों को भी खबर प्रकाशित करने की धमकी देकर अवैध रुपए वसूलते हैं। फर्जी पत्रकारों द्वारा की जा रही ब्लैकमेलिंग के खिलाफ कोई भी बोलने को तैयार नहीं होता। नौबत यहां तक आ गई है कि जो कल तक चोरी, धोखाधड़ी जैसे संगीन मामलों में गिरफ्तार हुए हुए थे वे लोग भी पुलिस कंट्रोलरूम, कलेक्टाेरेट में पत्रकारवार्ता शुरू होने से पहले आकर प्रथम पंक्ति में स्थान बनाकर बैठ जाते हैं। अधिकारियों के पास बैठकर डींगे हांकने वाले फर्जी पत्रकारों की कोई खास उपलब्धि भी नहीं हैं, लेकिन ये खुद को वरिष्ठ पत्रकार कहने से भी नहीं चूकते।
किस आधार पर माना गया इनको फर्जी पत्रकार
पत्रकार किसी भी रूप में पत्रकारिता कर सकता है। माना कि उनके पास में RNI नंबर नहीं है ,इनके पास में पीपीएल लाइसेंस नहीं हैl इन्होंने उद्यम विभाग से रजिस्ट्रेशन नहीं कर रखा है l यह कोई अकेले युटुबर नहीं है। इस प्रकार के यूट्यूब चैनल पर खबरें प्रकाशित कर रहे हैं । इनके जैसे और भी युटयुबर्स और ऐप्स हैं जो इस प्रकार की खबरों का संचालन कर कुछ एप्स तो विदेशी हैं। उनके विज्ञापन बिल के ऊपर बकायदा लिखा हुआ आता इंडियन करेंसी जबकि भारत के कोई सा भी पत्रकार हो ,यटयुबर्स हो, प्रिंट मीडिया हो, रेडियो हो, किसी के विज्ञापन के ऊपर यह लिखा हुआ नहीं इंडियन करेंसी। जिस प्रकार से एक यूट्यूब को गायक की उपाधि प्राप्त हो जाती है। इस प्रकार से यदि कोई समाज में हो रही घटनाओं का प्रसारण करता है एवं प्रकाशित तो उसको भी पत्रकार का दर्जा प्राप्त हो जाता है । जिस प्रकार से यूट्यूब के ऊपर रानूमंडल ने गाना गया और रातों-रात उनको गायिका की उपाधि दे दी गई। यूट्यूब पर नहीं होता है । फर्जी पतकार किस मापदंड के आधार पर यूट्यूब को फर्जी पत्रकार बताया जा रहा है। यदि युटुब वाले फर्जीपत्रकार हैं तो अच्छे-अच्छे न्यूज़ चैनल भी, आजकल यूट्यूब के ऊपर उपलब्ध हैं। अच्छे पत्रकार यूट्यूब के ऊपर उपलब्ध हैं तो क्या सभी को फर्जी पत्रकार मान लिया जाए। रवीश कुमार पांडेय, पू्ण्य प्रसून वाजपेई ,अभिसार,प्रज्ञा मिश्रा यह सभी यूट्यूब के ऊपर पत्रकार हैं।
दिल्ली में प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया, वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन समेत देश की कई राजधानी ,संभाग व जिलों में प्रेस क्लब और प्रेस संगठन है । पत्रकारों से संबंधित कोई भी ममला आने पर सबसे पहले इनके पास बात पहुंचती है और यह निर्णय लेते हैं कि कौन फर्जी है कौन सही ।
बांसवाड़ा जिले में नहीं है पत्रकार संगठन
बांसवाड़ा जिले के अदर सभी अपने आप को श्रमजीवी का अध्यक्ष बताते है ।तोकोईअपनेआपकोजारसंगठनका जिलाअध्यक्ष बनता है लेकिन आज तक नहीं प्रशासन ने और ना ही जनसंपर्क अधिकारीने यह जानना चाहा कि जिला अध्यक्ष के अलावा कार्यकारणी में औरभी सदस्य उन सदस्यों केबारे में तथानाही इन संगठनोंके बारे में प्रशासन को कोई जानकारी है
खोजी पत्रकार माना काफी बड़ा है। इसमें एक पत्रकार एक कहानी पर कईं महीनों और सालों तक काम करता है।
जब एक व्यक्ति किसी स्टोरी पर व्यवस्थित, गहन और मूल शोध करता है तो उसमें सबसे जरुरी काम कुछ रहस्यों का पता लगाना होता है। इस तरह की रिपोर्टिंग में सार्वजनिक रिकॉर्ड और डेटा का भारी उपयोग होता है। सबसे जरुरी बात इस तरह की रिपोर्टिंग में सामाजिक न्याय होता है और साथ में जवाबदेही भी बनती है। इसके लिए आपके पास अच्छे सूत्र होने चाहिए जो आपको सटीक जानकारी उपलब्ध करवा सकें और साथ ही सालों का अनुभव ताकि हर विषय को आप गहनता से समझ सकें। जो आपको सुचना या जानकारी देते हैं उनके नामों को गुप्त रखना भी बेहद जरुरी होता है।
अगर आपकी रिपोर्ट गलत हुई तो मुकदमें का खतरा बना रहता है। मीडिया में रिस्क तो हर जगह हैं, लेकिन इस तरह की रिपोर्टिंग में एक पत्रकार को साहसी, निडर और बेबाक होना बहुत जरुरी है। आपकी जरा सी गलती और गलत सूचना आपकी स्टोरी को खत्म कर सकती है।
तो अब आप समझे की असल में एक निडर, निष्पक्ष, सही आकंड़ों और तथ्यों के आधार पर एक स्टोरी बनाने वाला व्यक्ति एक खोजी पत्रकार कहलाता है