न्यूज रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है
पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त, चद्रोदय-चन्द्रास्त काल, तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त, योगकाल, करण, सूर्य-चंद्र के राशि, चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं
*********||🙏 जय श्री कृष्णा 🙏 ||*********
*दिनाँक:- 02/06/2024, रविवार* एकादशी, कृष्ण पक्ष, ज्येष्ठ “””””””(समाप्ति काल)
तिथि——– एकादशी 26:40:46 तक
पक्ष————————– कृष्ण
नक्षत्र—————– रेवती 25:39:22
योग————— आयुष्मान 12:09:59
करण——————– बव 15:52:35
करण—————– बालव 26:40:46
वार———————— रविवार
माह————————- ज्येष्ठ
चन्द्र राशि————– मीन 25:39:22
चन्द्र राशि—————— मेष
सूर्य राशि——————- वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन———————– उत्तरायण
संवत्सर———————- क्रोधी
संवत्सर (उत्तर) —————- -कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय——————— 05:25:08
सूर्यास्त——————— 19:09:38
दिन काल——————– 13:44:30
रात्री काल——————- 10:15:20
चंद्रास्त———————- 14:54:17
चंद्रोदय———————- 26:40:10
लग्न———– वृषभ 17°4′ , 47°46′
सूर्य नक्षत्र——————- रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
दे—-रेवती 08:51:19
दो—- रेवती 14:27:26
च—- रेवती 20:03:26
ची—- रेवती 25:39:22
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृषभ 17:10, रोहिणी 3 वी
चन्द्र=मीन 17:30 , रेवती 1 दे
बुध =वृषभ 03:53′ कृतिका 2 ई
शु क्र= वृषभ 17°05, रोहिणी ‘ 3 वी
मंगल=मीन 27°30 ‘ अश्विनी ‘ 1 चू
गुरु=वृषभ 07°30 कृतिका , 4 ए
शनि=कुम्भ 24°00 ‘ पू o भा o ,2 सो
राहू=(व) मीन 18°40 रेवती , 1 दे
केतु=(व) कन्या 18°40 हस्त , 3 ण
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 17:27 – 19:10 अशुभ
यम घंटा 12:17 – 14:00 अशुभ
गुली काल 15:44 – 17: 27अशुभ
अभिजित 11:50 – 12:45 शुभ
दूर मुहूर्त 17:20 – 18:15 अशुभ
वर्ज्यम 14:27 – 15:57 अशुभ
प्रदोष 19:10 – 21:14 शुभ
💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक 05:25 – 25:39* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:25 – 07:08 अशुभ
चर 07:08 – 08:51 शुभ
लाभ 08:51 – 10:34 शुभ
अमृत 10:34 – 12:17 शुभ
काल 12:17 – 14:00 अशुभ
शुभ 14:00 – 15:44 शुभ
रोग 15:44 – 17:27 अशुभ
उद्वेग 17:27 – 19:10 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 19:10 – 20:27 शुभ
अमृत 20:27 – 21:43 शुभ
चर 21:43 – 23:00 शुभ
रोग 23:00 – 24:17* अशुभ
काल 24:17* – 25:34* अशुभ
लाभ 25:34* – 26:51* शुभ
उद्वेग 26:51* – 28:08* अशुभ
शुभ 28:08* – 29:25* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 05:25 – 06:34
शुक्र 06:34 – 07:43
बुध 07:43 – 08:51
चन्द्र 08:51 – 09:59
शनि 09:59 – 11:09
बृहस्पति 11:09 – 12:17
मंगल 12:17 – 13:26
सूर्य 13:26 – 14:35
शुक्र 14:35 – 15:44
बुध 15:44 – 16:52
चन्द्र 16:52 – 18:01
शनि 18:01 – 19:10
🚩होरा, रात
बृहस्पति 19:10 – 20:01
मंगल 20:01 – 20:52
सूर्य 20:52 – 21:43
शुक्र 21:43 – 22:35
बुध 22:35 – 23:26
चन्द्र 23:26 – 24:17
शनि 24:17* – 25:09
बृहस्पति 25:09* – 25:59
मंगल 25:59* – 26:51
सूर्य 26:51* – 27:42
शुक्र 27:42* – 28:34
बुध 28:34* – 29:25
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृषभ > 03:34 से 05:12 तक
मिथुन > 05:12 से 07:52 तक
कर्क > 07:52 से 09:40 तक
सिंह > 09:40 से 12:20 तक
कन्या > 12:20 से 14:30 तक
तुला > 14:30 से 16: 32 तक
वृश्चिक > 16:32 से 19:00 तक
धनु > 19:00 से 20:50 तक
मकर > 20:50 से 23:02 तक
कुम्भ > 23:02 से 00:22 तक
मीन > 00:22 से 02:52 तक
मेष > 02:52 से 04:30 तक
*🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट👉 दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
लाभ में व्यापार करें।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें।
*💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते हैl
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु चl*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं।।*
*महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्।।*
15 + 11 + 1 + 1 = 28 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक हैl
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
*💮 शिव वास एवं फल -:*
26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*अपरा एकादशी व्रत (सर्वेषां)
*सर्वार्थ सिद्धी योग 25:39से
*गुरु उदय पूर्वे प्रातः 8:11
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
उर्व्यां कोऽपि महीधरो लघुतरो दोर्भ्यां धृतो लीलया
तेन त्वांदिवि भूतले च ससतं गोवर्धनी गीयसे।
त्वां त्रैलोक्यधरं वहामि कुचयोरग्रेण तद् गण्यते
किंवा केशव भाषणेन बहुनापुण्यैर्यशो लभ्यते।।
।। चा o नी o।।
रुक्मिणी भगवान् से कहती हैं हे केशव! आपने एक छोटे से पहाड को दोनों हाथों से उठा लिया वह इसीलिये स्वर्ग और पृथ्वी दोनों लोकों में गोवर्धनधारी कहे जाने लगे। लेकिन तीनों लोकों को धारण करनेवाले आपको मैं अपने कुचों के अगले भाग से ही उठा लेती हूँ, फिर उसकी कोई गिनती ही नहीं होती। हे नाथ! बहुत कुछ कहने से कोई प्रयोजन नहीं, यही समझ लीजिए कि बडे पुण्य से यश प्राप्त होता है।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: आत्मसंयम योग अo-06
सर्वभूतस्थितं यो मां भजत्येकत्वमास्थितः।,
सर्वथा वर्तमानोऽपि स योगी मयि वर्तते॥,
जो पुरुष एकीभाव में स्थित होकर सम्पूर्ण भूतों में आत्मरूप से स्थित मुझ सच्चिदानन्दघन वासुदेव को भजता है, वह योगी सब प्रकार से बरतता हुआ भी मुझमें ही बरतता है॥,31॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष👉कोर्ट-कचहरी में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। झंझटों में न पड़ें। उधार दिया धन मिलने से राहत हो सकती है। जीवनसाथी का सहयोग उलझे मामले सुलझाने में सहायक हो सकेगा। वाहन सावधानी से चलाएँ।
🐂वृष👉चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। अपने काम से काम रखें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। आवास संबंधी समस्या हल होगी। आलस्य न करें। सोचे काम समय पर नहीं हो पाएँगे।
👫मिथुन👉राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी। व्यापार अच्छा चलेगा।
🦀कर्क👉भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। शत्रु भय रहेगा। निवेश व नौकरी लाभ देंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। कार्य के विस्तार की योजनाएँ बनेंगी। रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। लाभदायक समाचार मिलेंगे।
🐅सिंह👉रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें। सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी। आर्थिक अनुकूलता रहेगी। रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा। राज्यपक्ष से लाभ के योग हैं।
🙍♀️कन्या👉उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें।
⚖️तुला👉रोमांस में समय बीतेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाएँ रखें। धनार्जन होगा।
🦂वृश्चिक👉अतिथियों का आवागमन रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बना रहेगा। नई योजनाओं की शुरुआत होगी। संतान की प्रगति संभव है। भूमि व संपत्ति संबंधी कार्य होंगे। पूर्व कर्म फलीभूत होंगे। परिवार में सुखद वातावरण रहेगा। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
🏹धनु👉बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। जोखिम न लें। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें। सत्कार्य में रुचि बढ़ेगी। प्रियजनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक चिंताएँ दूर होंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
🐊मकर👉कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। अपरिचितों पर विश्वास न करें। प्रयास में आलस्य व विलंब नहीं करना चाहिए। रुके हुए काम समय पर होने की संभावना है। विरोधी परास्त होंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। धैर्य एवं संयम बना रहेगा।
🍯कुंभ👉दिन प्रेमभरा गुजरेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। प्रियजनों से पूरी मदद मिलेगी। धन प्राप्ति के योग हैं। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएँगे। संतान के कार्यों में उन्नति के योग हैं।
🐟मीन👉नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखें। कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता बढ़ेगी। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
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अपरा एकादशी कब मनाई जाएगी? जानें पूजा शुभ
मुहूर्त, पारण का समय और मंत्र
👉ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। तो आइए जानते हैं कि इस साल अपरा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक विष्णु जी की पूजा करने से मनोवांछिल फलों की प्राप्ति होती है। बता दें कि हर महीने में दो एकादशियां पड़ती हैं और उन सबको अलग-अलग नामों से जाना जाता है। उसी प्रकार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति अपरा एकादशी का व्रत करता है, उसे जीवन में अपार खुशियां और वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही उसके धन-धान्य में भी वृद्धि होती है तो आइए जानते हैं कि अपरा एकादशी की तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त क्या है।
अपरा एकादशी का महत्व
👉अन्य एकादशियों की तरह इस एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि जो फल किसी व्यक्ति को कार्तिक महीने में स्नान या गंगा जी के तट पर पितरों को पिंड दान करने से मिलता है, वैसा ही फल उसे अचला एकादशी का व्रत करने से भी प्राप्त होता है। साथ ही गोमती नदी में स्नान, कुंभ में श्री केदारनाथ जी के दर्शन, बद्रिकाश्रम में रहने और सूर्य-चंद्र ग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान करने का जो महत्व है, वही अपरा एकादशी के व्रत का भी महत्व है। अतः इस दिन का बड़ा ही विशेष है।
आज के दिन भगवान विष्णु की विधि-पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही घर की साफ-सफाई और मन की स्वच्छता का पूरा ध्यान रखना चाहिए। आपको बता दें कि एकादशी व्रत का प्रारंभ दशमी तिथि से ही हो जाता है। दशमी तिथि से भोजन और आचार-विचार पर संयम रखा जाता है। फिर एकादशी तिथि यानि कि अगले दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लिया जाता है और भगवान विष्णु की धूप-दीप, पुष्प आदि से विधि-पूर्वक पूजा की जाती है।
अपरा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त,तिथि और पारण का समय
👉हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का आरंभ 2 जून को सुबह 5 बजकर 4 मिनट से होगा। एकादशी तिथि का समापन 3 जून 2024 की रात 2 बजकर 41 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस साल अपरा एकादशी का व्रत 2 जून 2024 को रखा जाएगा। अपरा एकादशी का पारण 3 जून 2024 को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट के बीच किया जाएगा।
एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
1.ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
2.ॐ नमोः नारायणाय॥
3.मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी
काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
4.ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः
प्रचोदयात्।।