योग एक्सपर्ट ओम कालवा द्वारा जानिए
योग रचियता महर्षि पतंजलि का जीवन परिचय।-
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न्यूज़ रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
श्री डूंगरगढ़। कस्बे के योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने जानकारी देते हुए बताया कि जो मनुष्य पहला सुख प्राप्त करने में दिन रात लगा हुआ है उस सुख के सूत्रधार का परिचय तो बनता ही है। इसीलिए आदिकाल से ही कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया आज देश दुनियां में योग का डंका बजा हुआ है। और हम सभी उन तमाम ऋषि मुनियों को बारंबार प्रणाम करते हैं जिनकी मेहनत से आज मानव जाति का कल्याण हो रहा है। जी हां बात कर रहे हैं। योग पद्वति की जिनको एक सूत्र में बांधने का कार्य महर्षि पतंजलि जी ने किया। ओम कालवा कहते हैं कि हमारे ऋषि मुनियों की जो सोच थी वो वाकई में काबिले तारीफ क्योंकि उनकी सोच हजारों सालों की थी और आने वाली पीढ़ियों की उन्नति के लिए थी वो सभी देश दुनियां के लिए प्रेरणा स्रोत है। आम नागरिक भी इनसे प्रेरणा ले राष्ट्र और प्रकृति तथा आने वाली पीढ़ियों के हित में कार्य करें। कालवा ने महर्षि पतंजलि जी का जीवन परिचय बहुत ही विस्तृत रूप से बताते हुए कहा।
किवंदतियो के अनुसार महर्षि पतंजलि का जन्म ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हुआ था।
पैतृक गांव – उत्तर प्रदेश के गोंडा क्षेत्र के वजीरगंज गाँव के थे।
महर्षि पतंजलि व्याकरणाचार्य पाणिनि के शिष्य थे।
महर्षि पतंजलि महान चिकित्सक थे।
महर्षि पतंजलि को चरक संहिता के प्रणेता माना जाता है।
योगसूत्र महर्षि पतंजलि का महान अवदान है।
फणिभृत् और गोणिका पुत्र के नाम से भी जाने जाते हैं।
महर्षि पतंजलि के अन्य नाम गोन्दिर्य, नागनाथ, अहित पति, शेषराज शेषाहि, चूर्णिकार और पदकार।
योग विधा को एक सूत्र में तथा व्यवस्थित करने वाले महर्षि पतंजलि व गुरू गौरखनाथ जी महाराज थे।
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