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परमार्थ निकेतन शिविर, महाकुम्भ प्रयागराज में टिम कर्टिस, यूनेस्को के दक्षिण एशिया के लिए नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक और भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका में यूनेस्को के प्रतिनिधि का आगमन

पारुल राठौर
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश

परमार्थ निकेतन शिविर, महाकुम्भ प्रयागराज में टिम कर्टिस, यूनेस्को के दक्षिण एशिया के लिए नई दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक और भूटान, भारत, मालदीव और श्रीलंका में यूनेस्को के प्रतिनिधि का आगमन


पर्यावरण संरक्षण, क्लाइमेंट चेंज, विश्व शांति, सौहार्द और सुरक्षा को बढ़ावा देना पर हुई चर्चा: स्वामी चिदानन्द सरस्वती

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में श्री टिम कर्टिस किया संगम स्नान और विश्व शान्ति की दिव्य प्रार्थना


वर्ष 2017 में यूनेस्को ने कुंभ मेले को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया था इस हेेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने यूनेस्को का धन्यवाद करते हुये भगवान शिव की प्रतिमा और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर श्री टिम कर्टिस का अभिनन्दन किया

परमार्थ निकेतन शिविर, महाकुंभ प्रयागराज में यूनेस्को प्रतिनिधि श्री टिम कर्टिस का आगमन हुआ। नवम्बर में मुम्बई में यूनेस्को द्वारा आयोजित कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में डा साध्वी भगवती सरस्वती जी भी विशेष रूप से आमंत्रित थी, उस समय उन्होंने टिम कर्टिस को महाकुम्भ मेला में सहभाग हेतु आमंत्रित किया था। वे उस आमंत्रण को स्वीकार कर भारतीय संस्कृति की भव्यता व दिव्यता के दर्शन करने हेतु आज उनका आगमन हुआ। इस अवसर पर पुलिस कमिश्नर प्रयागराज, श्री तरूण गाबा जी, कमिश्नर प्रयागराज, विजय विश्वास पंत जी, मुख्य विकास अधिकारी, प्रयागराज श्री गौरव कुमार जी और अन्य अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।


यूनेस्को के प्रतिनिधि टिम कर्टिस की स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के साथ अद्भुत भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक शांति और सुरक्षा आदि अनेक विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। साध्वी जी ने उन्हें परमार्थ निकेेतन के ईको फ्रेंडली टेंट और पर्यावरण संरक्षण के लिये की जा रही पहलों के विषय में जानकारी दी। श्री टिम कर्टिस ने इस अद्भुत कुम्भ में आमंत्रित करने के लिये धन्यवाद दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पर्यावरणीय संकट को सुलझाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया और इस विषय में यूनेस्को के योगदान को सराहा। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संकट आज हमारे समक्ष एक बड़ी चुनौती है। हमें यह समझना होगा कि हम सभी का भविष्य एक ही धरती पर निर्भर करता है, और यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इसका संरक्षण करें।


श्री कर्टिस ने यूनेस्को के प्रयासों और वैश्विक सुरक्षा के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि यूनेस्को शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के समाधान और वैश्विक शांति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने भी अपने विचार साझा किए और इस बात पर जोर दिया कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से पर्यावरण का संरक्षण जीवन की एक आवश्यक आवश्यकता है। उन्होंने कहा, प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे अध्यात्मिक और नैतिक कर्तव्यों का भी अंग है।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में, श्री कर्टिस ने संगम पर पवित्र स्नान किया और विश्व शांति, सौहार्द और सुरक्षा के लिए दिव्य प्रार्थनाएं कीं। इस अवसर पर सभी ने पर्यावरणीय संकट के समाधान, जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण और वैश्विक शांति की कामना की। यह एक अद्भुत पल था, जो हमें यह याद दिलाता है कि केवल सामूहिक प्रयासों से ही हम अपने ग्रह को बचा सकते हैं और वैश्विक शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं। वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सभी देशों, संगठनों, संस्थाओं और व्यक्तियों को एकजुट होना होगा क्योंकि यह केवल एक संस्था या एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता का साझा कर्तव्य है।

यूनेस्को के बारे में
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) एक प्रमुख वैश्विक संगठन है, जो शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और संचार के माध्यम से विश्व शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देता है। यूनेस्को का उद्देश्य मानवता के विचारों और भावनाओं में शांति का निर्माण करना और संपूर्ण मानवता की भलाई के लिए सतत विकास को प्राप्त करना है।

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