सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
एपिलेप्सी या मिर्गी एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है, जिसमें दिमाग की इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों में अचानक और अस्थायी बदलाव होते हैं। ये बदलाव दौरे का कारण बन सकते हैं, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को अस्थायी रूप से प्रभावित कर सकते हैं। एपिलेप्सी के बारे में लोगों में जागरुकता की कमी देखने को मिलती है। इसलिए हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे (National Epilepsy Day 2024) मनाया जाता है। इस दिन इस बीमारी के बारे में लोगों को जानकार बनाने की कोशिश की जाती है। साथ ही, इस कंडीशन से पीड़ित लोगों को सपोर्ट करने के लिए भी इस दिन कोशिश की जाती
HighLights
1.हर साल 17 नवंबर को नेशनल एपिलेप्सी डे मनाया जाता है।
2.मिर्गी के दौरों की वजह से व्यक्ति का रोजमर्रा का जीवन भी प्रभावित होता है।
3.एपिलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है।
इस बीमारी के कुछ सामान्य लक्षण और इलाज से जुड़ी बातें आइए जानें।
एक्सपर्ट ने बताया कि एपिलेप्सी एक कॉमन न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है,जिसमें दिमाग की असामान्य गतिविधियों के कारण दौरे आने लगते हैं। इसके लक्षण किस तरह का दौरा आता है,उसके मुताबिक बदल सकते हैं,लेकिन आमतौर पर हाथ-पैरों में झटके,जो कुछ समय तक लगातार आते रहते हैं या कुछ समय के लिए सुद-बुद खो देने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।कुछ मामलों में व्यक्ति को ऑरा भी महसूस होता है यानी टिंगलिंग होना, रोशनी दिखाई देना या आवाज सुनाई,जो असल में नहीं है।
एपिलेप्सी के लक्षण:-
एपिलेप्सी के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में अलग हो सकते हैं और दौरे के प्रकार पर भी निर्भर करते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं-
1.जकड़न- शरीर का कोई हिस्सा या पूरा शरीर अचानक जकड़ सकता है।
2.झटके- शरीर के अंगों में अनियंत्रित झटके लग सकते हैं।
दिखाई या सुनाई देने में समस्याएं- कुछ लोगों को दौरे के दौरान देखने या सुनने से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
3.भ्रम- दौरे के बाद कुछ समय के लिए व्यक्ति भ्रमित महसूस कर सकता है।
4.मांसपेशियों में कमजोरी- दौरे के बाद व्यक्ति कुछ समय के लिए मांसपेशियों में कमजोरी महसूस कर सकता है।
5.बेहोशी- कुछ मामलों में,व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
6.एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ मामलों में व्यक्ति एक जगह एकटक देखता ही रह जाता है या कन्फ्यूजन भी हो सकता है। ये लक्षण कितनी इंटेसिटी से आ रहे हैं, इसके अनुसार व्यक्ति के रोजमर्रा का जीवन प्रभावित हो सकता है। इसलिए इन लक्षणों की जल्द पहचान करके इलाज करना बेहद जरूरी है।
नोट-दौरों को मैनेज करने के लिए किसी डॉक्टर से सही सलाह लेना जरूरी है। दवाओं और अन्य तरीकों से एपिलेप्सी को मैनेज किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार हो सकता है।