छ.ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी छत्तीसगढ़ की सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर वेतन और सुविधाओं में सुधार की मांग की, सरकार को सौंपा ज्ञापन
कांकेर। छत्तीसगढ़ की 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सहकारी समितियों के लिए लागू की गई वेतन वृद्धि और प्रबंधकीय अनुदान की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सुविधाओं में सुधार की मांग की है। कर्मचारियों ने अपनी 3 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में कर्मचारियों ने स्पष्ट किया है कि अगर उनकी मांगों पर 4 नवंबर तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पर जाने के लिए बाध्य होंगे।
मांगें इस प्रकार हैं :-
1. वेतनमान और अनुदान राशि में वृद्धि: कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश सरकार की तरह प्रति समिति 3 लाख रुपये का वार्षिक प्रबंधकीय अनुदान देने की मांग की है, ताकि वेतनमान और अन्य सुविधाओं में सुधार हो सके। मध्यप्रदेश में विक्रेताओं को ₹3000 की मासिक अतिरिक्त पारिश्रमिक वृद्धि दी गई है, जिसकी मांग छत्तीसगढ़ के कर्मचारी भी कर रहे हैं।
2. सेवा नियमों में संशोधन: कर्मचारियों ने 2018 के सेवा नियमों में आंशिक संशोधन कर पुनरीक्षित वेतनमान लागू करने की मांग की है। वे चाहते हैं कि सेवा शर्तों को मध्यप्रदेश की तरह सुधारा जाए ताकि उनके वेतन और सुविधाओं में समानता लाई जा सके।
3. धान खरीदी अनुबंध में सुधार: धान परिदान के लिए सुखत मान्य के प्रावधान को लागू करते हुए, धान खरीदी अनुबंध में बदलाव की मांग की गई है। इसमें राशन वितरण, सुरक्षा ब्यय, और कमीशन की व्यवस्थाओं में 4 गुना वृद्धि का प्रस्ताव शामिल है, जिससे समितियों के कर्मचारियों को और अधिक सुविधाएं मिल सकें।
मध्यप्रदेश का उदाहरण:
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में सहकारी समितियों के कर्मचारियों के वेतन और मानदेय में वृद्धि की है, जिसमें प्रति समिति 3 लाख रुपये का प्रबंधकीय अनुदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, विक्रेताओं और अन्य संविदा कर्मचारियों के पारिश्रमिक में भी वृद्धि की गई है। छत्तीसगढ़ के कर्मचारी इसी तर्ज पर अपनी मांगें रख रहे हैं, जिससे उन्हें भी समान सुविधाएं मिल सकें और वे अपने कार्य को सुचारू रूप से कर सकें। छत्तीसगढ़ के सहकारी समितियों के कर्मचारी चाहते हैं कि सरकार मध्यप्रदेश के फैसलों को ध्यान में रखते हुए उनकी मांगों को पूरा करे और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाए।