हिंदी दिवस : हिंदी निज भाषा उन्नति, सब उन्नति को मूल – हिंदी अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत है। तहजीब ने हिंदी को द्वार पर प्रतीक्षा के लिए खड़ा करके आंग्ल भाषा को आत्मीय स्वागत और प्राथमिकता प्रदान की है। भारत के भाग्य विधाताओं ने कभी सोचा ही नहीं कि राष्ट्र की परिभाषा पूर्ण करने के लिए तीन तत्व आवश्यक है।
प्रथम – संप्रभुता,
द्वितीय – एक राष्ट्र भाषा और
तृतीय – तत्व है एक राष्ट्रीय ध्वज।
हमारे पास केवल राष्ट्रीय भाषा हिंदी का गौरव नहीं है। हिंदी अपने ही घर में अन्याय सहन क्यों करे ?
आओ हम सब मिलकर हिंदी को ….जन भाषा से राष्ट्र भाषा के गौरव पथ पर लाये। –हिंदी है हम वतन है हिन्दुस्तान हमारा