ताजा खबर : किसानों की किस्मत बदलने वाली सरसों की एक नई प्रजाति तैयार की गई है, जो उन्हें अधिक मुनाफा दिलाएगी। इस प्रजाति की खासियत सिर्फ इसकी अधिक पैदावार नहीं है, बल्कि इसमें सात प्रतिशत ज्यादा तेल भी होगा, जिससे इसका उत्पादन और भी फायदेमंद हो जाएगा। कुल तेल की मात्रा 39.6 प्रतिशत तक पहुंचने वाली इस प्रजाति का नाम केएमआरएल 17-5 है, जिसे चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के विशेषज्ञ डॉ. महक सिंह ने विकसित किया है। उप्र सरकार से प्रमाणित इस प्रजाति के लिए जल्द ही भारत सरकार से बिक्री का नोटिफिकेशन भी जारी होने वाला है, जिससे किसान इसका भरपूर लाभ उठा सकेंगे।
इस नई प्रजाति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे समय पर बुआई और कटाई करने के बाद, किसान अगली फसल की बुआई भी आसानी से कर सकते हैं। इसे नवंबर के अंतिम सप्ताह तक बोया जा सकता है, खासकर उन गन्ना किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, जिनके खेत गन्ना कटाई के बाद खाली पड़े रहते हैं। सरसों की यह प्रजाति सिर्फ 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि सामान्य प्रजातियों को पकने में 135 दिन लगते हैं। इससे किसानों को समय की बचत भी होती है और वे अगली फसल की तैयारी भी समय पर कर सकते हैं।सीएसए के वरिष्ठ बीज जनक, डॉ. महक सिंह, ने बताया कि इस प्रजाति का तीन सालों तक देश के 15 अलग-अलग राज्यों में परीक्षण किया गया। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसी विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में परीक्षण कर इसकी सफलता सुनिश्चित की गई। परीक्षणों में यह पाया गया कि यह प्रजाति न केवल अधिक तेल देने वाली है, बल्कि रोगों और कीटों से भी सुरक्षित है, जिससे किसानों को फसल के नुकसान की चिंता कम होगी।
सरसों की यह नई प्रजाति खासतौर पर उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है। यह प्रजाति राज्य की जलवायु के अनुरूप है और इससे मिलने वाली उच्च पैदावार व अधिक तेल की मात्रा किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। सीएसए के कुलपति, डॉ. आनंद कुमार सिंह, का कहना है कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार जलवायु परिवर्तन और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए नई तकनीक और फसलों पर शोध कर रहे हैं। सरसों की यह नई प्रजाति भी उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।इस नई प्रजाति को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सर्टिफाइड कर दिया गया है और जल्द ही भारत सरकार से बीज बिक्री के लिए नोटिफिकेशन भी जारी हो जाएगा। इसके बाद किसान इस प्रजाति के बीज आसानी से खरीद सकेंगे और अपनी खेती में इसका लाभ उठा सकेंगे।
फसल का पूरा गणित-
. प्रजाति का नाम: केएमआरएल 17-5
. बुआई का समय: 28 नवंबर तक
. फसल पकने का समय: 120-125 दिन
. तेल की मात्रा: 39.6%
. राष्ट्रीय चेक से तेल की मात्रा: 7.4% अधिक
. राष्ट्रीय चेक से पैदावार: 7.81% अधिक
इस प्रजाति की सबसे खास बात यह है कि इसका दाना सामान्य से मोटा होता है, जिसका औसत वजन 4.8 ग्राम प्रति 1000 दाना होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि किसानों को पैदावार और मुनाफे के लिहाज से यह प्रजाति बेहद लाभकारी होगी। किसानों के लिए सरसों की यह नई प्रजाति कृषि के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है। अधिक पैदावार, बेहतर गुणवत्ता और तेल की मात्रा में वृद्धि जैसी विशेषताएं इसे अन्य प्रजातियों से खास बनाती हैं। इसके आने से किसानों को न केवल बेहतर फसल मिलेगी, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।