• सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत।
नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख रुपये के बॉन्ड पर सशर्त जमानत दी है। यह फैसला दो जजों जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच की अलग-अलग राय के बाद आया है। जस्टिस उज्ज्वल भुइयां ने फैसला सुनाते हुए जहां अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाए वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल के खिलाफ लगे आरोपों को सही पाया। न्यायमूर्ति भुयान ने इस बात पर जोर दिया कि जमानत एक आदर्श होनी चाहिए, जबकि कारावास दुर्लभ होना चाहिए। उन्होंने कहा “जमानत एक नियम है, और जेल एक अपवाद है। सभी अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अभियोजन और मुकदमे की प्रक्रिया अपने आप में सज़ा का एक रूप न बन जाए।”
न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने फैसले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए सीबीआई पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा जिस तरह का इस मामले में सीबीआई का स्टैंड रहा है वो गिरफ्तारी अनेक सवाल खड़े करती है।जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा ED मामले में निचली अदालत से मिली ज़मानत के बाद ही CBI सक्रिय हुई। 22 महीने से अधिक समय तक उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस तरह की कार्रवाई गिरफ्तारी पर ही गंभीर सवाल उठाती है।”
न्यायमूर्ति उज्जल भुइंया ने सीबीआई की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि यह ईडी मामले में केजरीवाल की जमानत को कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक प्रमुख जांच एजेंसी के रूप में, सीबीआई को अपनी जांच में निष्पक्षता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। ”असहयोग का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता, और इसलिए, इस आधार पर सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी अस्वीकार्य थी।”
वहीं जस्टिस सूर्यकांत ने कहा “हमने तीन सवाल तय किए हैं पहला- क्या गिरफ्तारी में कोई अवैधता थी, दूसरा- क्या अपीलकर्ता को नियमित जमानत दी जानी चाहिए? तीसरा- क्या चार्जशीट दाखिल करने से परिस्थितियों में ऐसा बदलाव आया है कि इसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जा सकता है?”
जस्टिस सूर्यकांत ने केजरीवाल के खिलाफ आरोपों को सही पाया। उन्होंने कहा “हम अपीलकर्ता की इस दलील से सहमत नहीं हैं कि सीबीआई धारा 41 का पालन करने में विफल रही। अपीलकर्ता का आरोप कानून के तहत सही है। लंबे समय तक जेल में रहना स्वतंत्रता के लिए एक समस्या है। अदालतें आम तौर पर स्वतंत्रता के पक्ष में झुकती हैं।”
सुप्रीम कोर्ट ने किन शर्तो पर दी जमानत :
1. केजरीवाल इस केस के संबंध में कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे।
2. केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय जाने से बचेंगे।
3. सरकारी फाइलों पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे जब तक कि आवश्यक न हो और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा अनुमोदित न हो।
4. इस मामले में उनकी भूमिका पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
5. इस मामले से संबंधित गवाहों से कोई बातचीत या आधिकारिक फाइलों से दूर रहेंगे।