शुभता और सौभाग्य की प्राप्ति कराता है ऋषि पंचमी व्रत
(ऋषि पंचमी व्रत पर्व पर विशेष प्रस्तुति)
हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी को बहुत विशेष महत्व होता है।
・हरतालिका तीज के दूसरे दिन और गणेश चतुर्थी के अगले दिन मनाई जाती है ऋषि पंचमी।
・इस व्रत के प्रभाव से स्त्री को रजस्वला धर्म के दौरान जाने/अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है।
・इस व्रत में ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देने का बहुत बड़ा महत्व है।
・भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है ऋषि पंचमी व्रत।
बता दें कि,हिंदू धर्म में ऋषि पंचमी का विशेष महत्व होता है। भाद्र पद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी व्रत किया जाता है।
धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन ऋषि – मुनियों का स्मरण कर पूजन करने से जाने/अनजाने हुए पापों से मुक्ति मिलती है।आज ऋषि पंचमी का पावन पर्व है, हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं।जिनमें से एक है,और महत्वपूर्ण है ऋषि पंचमी।
यह व्रत न सिर्फ शुभता और सौभाग्य का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्व रखता है।ऋषि पंचमी हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष ऋषि पंचमी का पर्व रविवार, 8 सितंबर को पड़ रही है।
ऋषि पंचमी व्रत का सम :-
ऋषि पंचमी व्रत सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक रखा जाता है।
ऋषि पंचमी की पूजा विधि :-
ऋषि पंचमी की पूजा विधि इस प्रकार है :-
・स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
・पूजा स्थान को गाय के गोबर से लेप कर साफ करें और मंडप बनाएं।
・मंडप में सात कुशों का आसन बिछाएं और उस पर सप्त ऋषियों (कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, भरद्वाज और जमदग्नि) की चित्र या प्रतिमा स्थापित करें।
・देवताओं को पुष्प, अक्षत, धूप, दीपक आदि अर्पित करें।
・ “ॐ सप्त ऋषिभ्यो नमः” मंत्र का जाप करें।
・अपनी मनोकामनाएं कहें और उनका आशीर्वाद मांगें।
・पूजा के अंत में।
・आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
ऋषि पंचमी का महत्व :-
ऋषि पंचमी का मुख्य उद्देश्य सप्त ऋषियों का सम्मान करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना है। इसके अलावा, यह व्रत महिलाओं के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
पवित्रता का प्रतीक :-
हिंदू धर्म में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है। माना जाता है कि ऋषि पंचमी व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान होने वाले दोषों से मुक्ति मिलती है।
सुख-समृद्धि और सौभाग्य :-
इस व्रत को करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
स्वास्थ्य लाभ :- मान्यता है कि यह व्रत करने से महिलाओं का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
ऋषि पंचमी की कथा क्या है ?
• ऋषि पंचमी से जुड़ी कई लोकप्रिय कथाएं हैं, जिनमें से दो प्रचलित कथाएं इस प्रकार हैं:
कथा 1:~
माना जाता है कि एक बार सातों ऋषियों को नदी पार करते हुए कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक स्त्री ने उनकी मदद की और नदी पार करवाई। ऋषियों ने उस स्त्री से कोई वरदान मांगने का आग्रह किया। उस स्त्री ने कहा कि उसे मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियों से मुक्ति चाहिए। इसलिए ऋषियों ने उसे आशीर्वाद दिया कि अगर कोई महिला भाद्रपद की शुक्ल पंचमी को व्रत रखेगी और उनकी पूजा करेगी तो उसे मासिक धर्म के दौरान होने वाले शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।
कथा 2 :~
एक राजा को कोई संतान नहीं थी। उसने कई उपाय किए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अंत में, एक संत ने उसे ऋषि पंचमी का व्रत करने की सलाह दी। राजा ने उसकी सलाह मानी और उस वर्ष उसकी पत्नी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब से, उस राजा ने और उसके वंशजों ने हर साल ऋषि पंचमी का व्रत किया।
ऋषि पंचमी का समापन :~
ऋषि पंचमी व्रत अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण करके समाप्त किया जाता है। पारण से पहले स्नान करें और फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं या दान दें। अंत में स्वयं भोजन ग्रहण करें।