भगवान विश्वेश्वर मामले की 11 सितंबर को होगी सुनवाई, सम्पूर्ण सर्वे की हुई है मांग.
वाराणसी : सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) युघूल शंभू की अदालत में शुक्रवार को ज्ञानवापी से जुड़े 1991 के भगवान विश्वेश्वर मूलवाद मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान वाद मित्र नें अपनी दलीलों को आगे बढ़ाते हुए, अगली सुनवाई की तारीख 11 सितंबर तय की गई।
वाद मित्र नें अदालत में दलील दी कि ज्ञानवापी परिसर में मुख्य गुंबद के नीचे 100 फीट गहराई में एक शिवलिंग स्थित है, जिसके नीचे एक गहरा अरघा भी है। उन्होंने कहा कि यही शिवलिंग स्वयम्भू और अतिप्राचीन आदिविश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग है। इसके पास एक बड़ा कुआं भी है, जो ठोस मलबे से भरा हुआ है, लेकिन अब भी वहां से जलस्राव होता है, जिससे तहखानें की जमीन और आसपास के मकानों में सीलन बनी रहती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की सर्वे रिपोर्ट में भी इस कुएं का जिक्र किया गया है, जिसमें कहा गया है कि मलबे के कारण पूरी जानकारी हासिल नहीं हो सकी।
वाद मित्र नें ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर के ASI सर्वेक्षण की मांग के समर्थन में तर्क दिए। उन्होंने पुरानी ऐतिहासिक पुस्तकों का हवाला देते हुए बताया कि मंदिर को तोड़ने से पहले अरघा में जमा पानी को निकालने के लिए ब्रह्मनाल और मणिकर्णिका होते हुए एक नाली बनाई गई थी, जो गंगा में मिलती थी। हालांकि, समय के साथ इसका अस्तित्व मिट गया है। इससे पहले, एक और पक्षकार नें मामले में अपनी अर्जी दी, जिस पर कहा गया कि पहले उसे सुना जाएगा और उसके बाद सर्वेक्षण की अर्जी पर विचार होगा।