महराजगंज : जब बात आती है दुल्हनों की तो, जेहन में उनके सोलह श्रृंगार स्वतः याद आने लगते हैं।सोलह श्रृंगार की लुका छिपी चर्चा तो होती जरूर है, लेकिन अधिकांसतः सबको पता नहीं होता है।या अगर पता होता भी है तो एक झटके में लोग भूल भी जाते हैं। दुल्हनों के लिए बेहद खास होते हैं सोलह श्रृंगारकहते हैं नई नवेली दुल्हन के लिए सोलह श्रृंगार बेहद शुभ होता है।श्रृंगार केवल दुल्हन की खूबसूरती ही नहीं बढ़ाता है बल्कि उनके भाग्य को भी बढ़ा कर चार चांद लगाता है। लेकिन क्या आप इसके असली महत्व को जानती हैं।आज हम आपको महिलाओं के सोलह श्रृंगार के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।शहनाईयों की सदा कह रही है खुशी की मुबारक घड़ी आ गई है, सजी सुर्ख़ जोड़े में चांद सी दुल्हन,जमीं पे फलक से परी आ गई है।
जीवन में प्रत्येक वर्ण यानि रंग का अपना अलग महत्व होता है। जब मन खुश होता है तो दुनिया इन्हीं रंगों से रंगी नजर आती है और जब मन उदास तब चारो तरफ पानी पानी गिरा नजर आता है। फेंगशुई के अनुसार हरा रंग प्रकृति का प्रतीक है जो कई बीमारियों से राहत भी दिलाता है।जिस प्रकार प्रकृति जीवन का संदेश देती है, उसी प्रकार हरे रंग का स्त्री के जीवन से भी बहुत गहरा सम्बन्ध है।हरा रंग इसलिए भी और खास हो जाता है क्योंकि नई-नवेली दुल्हन के लिए सबसे पहले इसी रंग का चुनाव किया जाता है।
दुल्हन के लिए बेहद खास है सोलह श्रृंगार
क्या होता है सोलह श्रृंगार…?
जल्द ही शादी जैसे पवित्र बंधन में बंधने वाली नवयुवतियों को अक्सर उसकी शादी के चंद दिनों पहले सोलह श्रृंगार के बारे में बताया जाता है। हिन्दू विवाह के बाद हर नवविवाहित स्त्री को सोलह श्रृंगार की सोलह चीजें अनिवार्य रूप से धारण करनी होती है।वे चाहती हैं की सज-धज कर इतनी सुन्दर दिखें की उनके पति उनको देखते ही रिझ जाएं।लेकिन कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि, आखिर सोलह श्रृंगार को करने के पीछे महत्व क्या है।
पुराणों के अनुसार, स्त्रियों द्वारा किए जाने वाले सोलह श्रृंगार घर में अपार सुख – समृद्धि लाने एवं वंश वृद्धि तथा परिवार के सदस्यों की लंबी उम्र एवं मंगल कामना के लिए किया जाता है।सोलह श्रृंगार का जिक्र ऋग्वेद में भी किया गया है और इसमें ये कहा गया है कि सोलह श्रृंगार सिर्फ खूबसूरती ही नहीं बल्कि भाग्य को भी बढ़ाता है।
सोलह श्रृंगार एक ऐसी रस्म है, जिसके तहत सुहागिन महिलाएं सिर से लेकर पांव तक कुछ न कुछ सुहाग की निशानी को पहनती हैं। इसमें माथे पर बिंदी, मांग में सिंदूर,हाथों में चूड़ी-कंगना और पैरों में पायल जैसी चीजें शामिल होती हैं। जिनको शादी के बाद हर महिला को नियमित रूप से धारण करना अनिवार्य एवं शुभ होता है। सोलह श्रृंगार का सीधा सम्बन्ध शास्त्रों से है,जिसमें बताया गया है कि महिलाओं को घर में पूर्ण साज-सज्जा के साथ रहना चाहिए।ऐसा इसलिए ताकि घर में उन स्त्रियों सहित परिवारजनों का मान-प्रतिष्ठा बनी रहे।परिवार के हर सदस्य की उम्र लंबी हो,घर में तरक्की हो एवं सुख शांति हो।
1. माथे पर कुमकुम की बिंदी
सोलह श्रृंगार में माथे पर कुमकुम की बिंदी लगाना काफी शुभ माना गया है।प्राचीन काल में सुहागिन महिलाएं कुमकुम या सिंदूर की से अपने माथे पर बिंदी लगाती थीं।अब समय बदल गया है।महिलाएं बिंदी लगाने के लिए बाजार में मौजूद स्टीकर की बिंदी का इस्तेमाल कर रही हैं।
2. सिंदूर
हिन्दू विवाह में सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। असल में वास्तविक सिंदूर नारंगी रंग का होता है, लेकिन समय परिवर्तन होने के साथ महिलाएं ज्यादातर आर्टीफीशियल सिंदूर लगा रही हैं।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाओं को सिंदूर लगाने से उनके पति की उम्र लंबी होती है,समाज में मान सम्मान बढ़ता है।
3. आंखों में काजल
आपने सुना तो होगा ही कि,आंखें मन का आइना होती हैं। काजल एक ऐसा श्रृंगार है, जिसे आंखों पर लगाने से चहरे की खूबसूरती चौगुनी बढ़ जाती है, साथ ही साथ अगर नई नवेली दुल्हन रोजाना काजल लगाएं तो उन्हें किसी की बुरी नजर भी नहीं लगती हैं।
4.हाथों में मेहंदी
जब तक हाथों में मेंहदी ना हो, हर दुल्हन का श्रृंगार अधूरा ही माना जाता है। पुराने समय से आज तक किसी भी शुभ काम से पहले सुहागिन महिलाएं हाथों और पैरों मे मेहंदी लगाती हैं। मान्यताओं के अनुसार, नई-नवेली दुल्हनों के हाथों में मेहंदी का रंग जितना गाढ़ा रचता है, उसका पति उससे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
5. सुर्ख लाल साड़ी
शादी में सुर्ख लाल जोड़ा सबसे महत्वपूर्ण है। शादी के दिन हर दुल्हन आपको इसी रंग में रंगी हुई नजर आएगी। हालांकि आज के समय में कई रंगों में ब्राइडल आउटफिट आने लगे हैं, जोकि देखने में काफी सुंदर होते हैं।
6. गले में मंगलसूत्र
शादी के बाद महिलाओं का सबसे खास और पवित्र गहना मंगलसूत्र ही होता है। इसके बिना सुहागिनों का श्रृंगार अधूरा ही माना जाता है। काले मोतियों में धागों से पिरोया गया विश्वास पति-पत्नी के रिश्ते को और खास बनाता है।
7. नथ
अपनी शादी के दिन दुल्हन नाक में नथ जरूर पहनती है। एक तो ये आपकी खूबसूरती में चार चांद लगाती है और दूसरा सोलह श्रृंगार में से एक श्रृंगार यह भी है।इतना ही नहीं शादी के बाद महिलाएं नथ की जगह लौंग भी पहनती हैं।
8. उंगली में अंगूठी
शादी से ठीक चंद रोज पहले सगाई की एक रस्म की जाती है। जिसमें वर-वधू एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं।अंगूठी पहनाने का उल्लेख प्राचीन धर्म ग्रंथ रामायण में भी मिलता है। अंगूठी को सदियों से पति-पत्नी के आपसी प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता रहा है।
9. कमरबंद
दुल्हन की कमर में पहनाए जाने वाले आभूषण को कमरबंद यानी करधन कहते हैं। कमरबंद में नववधू चाबियों का गुच्छा लटकाकर रखती है। ऐसी मान्यता है कि कमरबंद पहनना इस बात को दर्शाता है कि सुहागिन स्त्री या दुल्हन अब अपने घर की मालकिन या घर की जिम्मेदारी आसानी से निभा सकती है।
10. हाथों में चूड़ियां
कहा जाता है कि सुहागिन महिलाओं की कलाइयां सूनी नहीं रहनी चाहिए। वो हमेशा चूड़ियों से भरी होनी चाहिए। बता दें कि चूड़ियों के अलग-अलग रंगों के अलग-अलग महत्व होते हैं। अगर लाल रंग की चूड़ियों की बात करें तो ये इसका संकेत देती हैं कि शादी के बाद वह पूरी तरह खुश और संतुष्ट हैं, जबकि हरे रंग की चूड़ियां इस बात का प्रतीक हैं कि शादी के बाद उनके परिवार में समृधि आएगी।चूड़ियों से आती खनकती मधुर आवाज इस बात को दर्शाती हैं कि परिवार में कुछ भी बोलो धीमी बोलो,मधुर बोलो,एक रहो।
11. बाजूबंद
बाजूबंद दुल्हनों की बाजुओं पर पहनाया जाता हैं। बाजूबंद का आकार हाथ में पहने जाने वाले कड़े की तरह ही होता है। ये आभूषण सोने या चांदी का होता है। पहले तो महिलाएं हर समय बाजूबंद पहने रहती थीं, लेकिन आज के समय में ऐसा मुमकिन नहीं है। इसलिए महिलाएं खास मौकों पर ही इनको पहनती हैं।
12. बालों में गजरा
बालों को सुलझाने एवं संवारने और उनकी सुंदरता बनाएं रखने के लिए ही नहीं बल्कि गजरा सोलह श्रृंगार का सबसे प्रमुख हिस्सा है। गजरा लगाने के लिए आप चाहे तो जूड़ा बनाकर उस पर गजरा लगा सकती हैं। पहले गजरा प्राकृतिक फूलों की लगाई जाती थीं लेकिन आज आर्टीफीशियल गजरा भी मार्केट में आ गया है।
13. मांग टीका
आजकल दुल्हन की ज्वैलरी में भारी भरकम नेकलेस-नथ और बड़े-बड़े ईयरिंग्स खास हैं वहीं माथे पर लगने वाले मांग टीके को हम कैसे भूल सकते हैं। जो ट्रेंडी होने के साथ-साथ दुल्हन को काफी डिफरैंट और ग्रैसफुल लुक देता है। मांग टीके को माथे के बीचों-बीच पहने जाने के पीछे भी एक मान्यता है। इसके अनुसार, मांग टीका सिर के बीचों-बीच पहनने से शादी के बाद नववधू अपने जीवन में सही और सीधे रास्ते पर चलती है।
14. पायल
चांदी से बनी पायल भी सुहागन महिलाओं के लिए शुभ मानी जाती है। खास बात ये है कि पायल और बिछुआ को चांदी से ही बनाया जाता है क्योंकि सोने को हिंदू धर्म में पवित्र धातु का स्थान दिया गया है। ऐसे में अगर महिलाएं पैर में सोना पहनती हैं तो वो भगवान का अपमान माना जाता है।
15. बिछुआ
बिछुआ को पैरों की दो अंगुलियों में पहना जाता है। यह चांदी का एक आभूषण होता है। मान्यताओं के अनुसार, शादी के बाद आने वाली सभी समस्याओं का दुल्हन हिम्मत के साथ मुकाबला कर सके, इसलिए उसके पैरों में बिछुआ को पहनाया जाता है।
16. झुमका
कानों में झुमके पहनना भी नववधुओं के लिए बेहद जरुरी है। कहा जाता है महिलाओं को शादी के बाद अपने कानों को सूना नहीं छोड़ना चाहिए। कानों में पहने हुए झुमके नववधुओं की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पुराणों के अनुसार, शादी के बाद नववधू को पति और ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रखने के लिए झुमके पहनाए जाते हैं।