महराजगंज : हरितालिका तीज का व्रत,सुहागिन महिलाओं के लिए बड़ा ही खास होता है। महिलाएं इस त्योहार का पूरे साल बेसब्री से इंतज़ार करती हैं।हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं,अपने अखण्ड सुहाग,तथा पति के लंबी उम्र की कामना लिए जहां रखती हैं,वहीं कुंवारी लड़कियां मनचाहा सुयोग्य वर को पति रूप में पाने के लिए रखती हैं।हिंदू सनातन धर्म में हरितालिका तीज का बहुत ही विशेष महत्व है।हरितालिका तीज का व्रत रखने से जहां सुहागिन महिलाओं का सुहाग अक्षुण (अखण्ड) रहता है,वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।हरितालिका तीज व्रत अगर पहली बार कोई नवविवाहित महिला या कुंवारी लड़कियां रखती हैं तो,उन्हें विशेष नियमों को ध्यान में रखकर ही व्रत करना चाहिए…
भाद्र पद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज मनाया जाता है धार्मिक मान्यता है कि हरितालिका तीज का व्रत रखने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।तो वहीं सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र,तेजस्वी पुत्र और अखण्ड सुहाग लिए तीज व्रत रखती हैं।हरितालिका तीज का पर्व भाद्र पद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।इसे भादो तीज के भी नाम से जाना जाता है।इस बार यह तीज पर्व 06 सितंबर शुक्रवार को बड़ी श्रद्धा एवं खुशी से मनाई जाएगी।बता दें कि अगर आप नवविवाहित हैं,और आप पहली बार हरियाली तीज का व्रत रख रही हैं,तो कुछ जरूरी बातों और नियमों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
• व्रत से एक दिन पहले मेंहदी लगाना आवश्यक होता है:-
हरितालिका तीज का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है।इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और विधि – विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।हरितालिका तीज व्रत पर्व पर मेंहदी का विशेष महत्व बताया गया है।यह नव विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।…और मेंहदी को हर कार्य में शुभ भी माना जाता है,इसकी तासीर बेहद ठंडी होती है।
• हरे रंग के वस्त्र पहनें:-
भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाता है।इस दिन देवाधिदेव महादेव भगवान शिव और माता पार्वती (गौरी जी) की पूजा की जाती है।हरितालिका तीज व्रत करने से जीवन में उर्वरता,सुख – शांति और समृद्धि का प्रतीक पर्व माना जाता है।इस दिन नवविवाहित महिलाओं को हरे रंग की साड़ी या कुंवारी लड़कियों को हरे रंग का सूट पहनना चाहिए।हरितालिका तीज व्रत के दिन महिलाओं को सोलहो श्रृंगार कर पूजा करने का विशेष विधान है।
• हरितालिका तीज पर रखा जाता है निर्जला व्रत:-
हरितालिका तीज व्रत बिना कुछ खाए-पिए रखा जाता है।इस दिन रात को चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत खोला (पारण किया) जाता है।अगर आप किसी भी वजह से निर्जला व्रत रखने में सक्षम (अस्वस्थ की स्थिति में हैं यदि तो) नहीं हैं,तो फलाहार व्रत रखने के संकल्प के भी साथ आप व्रत रख सकती हैं।
• क्यों करना चाहिए सोलह श्रृंगार…?
माता पार्वती को स्त्रीत्व और सुहाग की देवी माना जाता है।और सोलह श्रृंगार को उनका प्रतीक भी माना गया है।हरितालिका तीज पर जब आप माता पार्वती (गौरी जी) की पूजा करती हैं तो सोलह श्रृंगार करना कदापि ना भूलें।इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
• हरितालिका तीज व्रत का कथा जरूर सुनें :-
हरितालिका तीज का व्रत रखकर इस दिन विधि – विधान से देवाधिदेव महादेव भगवान शिव और माता पार्वती (गौरी जी) जी की पूजा करने के साथ ही साथ तीज व्रत की कथा को जरूर पढ़ना या सुनना चाहिए। इससे आपका वैवाहिक/दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है।ऐसी मान्यता है कि जो महिलाएं व्रत कथा सुनती व पढ़ती हैं,उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है,इसके साथ ही वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहता है।
• व्रती सुहाग का सामान जरूर भेंट करें:-
हरितालिका तीज व्रत में सुहागिन महिलाएं पूजा के बाद माता रानी को चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में भरें,तथा पति की लंबी उम्र की कामना जरूर करें।इस दिन स्त्रियां अपनी सास माता या सास के समान किसी अन्य महिला को सुहाग का सामान जरूर भेंट करनी चाहिए।
• रात को चंद्रमा को दें अर्घ्य :-
हरितालिका तीज व्रत का पारण रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही किया जाता है।वहीं कुछ महिलाएं अगले दिन सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त में व्रत खोलती (व्रत का पारण करती हैं) हैं।व्रत पारण में पूजा में भोग लगाया हुआ प्रसाद सबसे पहले स्वयं ग्रहण किया जाता है।इसके बाद ही भोजन किया जाता है।
• पति की लम्बी आयु के लिये रखा जाता है व्रत:-
हरितालिका तीज व्रत का त्योहार सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है।इस दिन महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा पहनकर, मेहंदी लगाकर और पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। नवविवाहिताओं के लिए मेहंदी का विशेष महत्व होता है।यह उनके सुहाग और वैवाहिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
इस वर्ष हरितालिका तीज का व्रत 06 सितम्बर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा…
• शिव-पार्वती के साथ होती है इस देवी की पूजा।
वैदिक पंचांग के अनुसार,हरितालिक तीज का त्योहार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ही मनाया जाता है। इसे ‘कजली तीज’, ‘सातुड़ी तीज’ या ‘भादो तीज’ के नाम से भी जाना जाता है।इस दिन विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य और अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और महादेव के साथ-साथ नीमड़ी माता की भी पूजा करने की जहां – तहां नियम व परंपरा है।
• कैसे शुरू हुई हरितालीका तीज…?
धर्मग्रंथों के अनुसार,मध्य भारत में कजली नामक एक गांव था,जिसके चारो तरफ घना वन था।वहां के राजा की अकाल मृत्यु हो गई और दुखी होकर रानी सती हो गई।इस घटना से वहां की जनता बहुत दुखी हुई, लेकिन राजा-रानी के प्रेम से प्रभावित होकर वहां की सुहागिन महिलाएं कजली गीत गाने लगी। यह गाना पति-पत्नी के बीच प्यार का प्रतीक था। राजा-रानी के प्रेम से प्रभावित होकर तभी से कजरी तीज मनाने की परंपरा शुरू हुई। व्रत खोलने के लिए व्रती महिलाएं शाम को सात रोटियों पर चने और गुड़ रखकर गाय को खिलाती हैं।
• कब है हरतालिका तीज 2024
ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार हरितालीक तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल विवाहित महिलाएं 6 सितंबर शुक्रवार को हरितालिका तीज का व्रत रखेंगी।हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने महादेव को प्रसन्न करने के लिए जंगल में कठोर तपस्या की थी। साथ ही रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा की थीं। जिससे प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिये। जिसके कारण आज भी महिलाएं हरितालिका तीज पर मंडप सजाती हैं, रेत से भोलेनाथ और मां पार्वती की प्रतिमा बनाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए उनकी विधि-विधान से पूजा करती हैं।