सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
Monkeypox जानकारों की मानें तो मंकीपॉक्स का संबंध ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार से है जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है। इस वायरस के चलते स्मॉल पॉक्स यानी छोटी चेचक होती है। जानवरों में मंकीपॉक्स पहली बार साल 1958 में दिखाई दी थी।
लाइफस्टाइल डेस्क। Monkeypox: कोरोना महामारी के बीच मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मरीजों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स दस्तक दे चुका है। यह एक संक्रामक रोग है जो संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से होती है। जानकारों की मानें तो मंकीपॉक्स का संबंध ऑर्थोपॉक्स वायरस परिवार से है। जो चेचक की तरह दिखाई देती है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है। इस वायरस के चलते स्मॉल पॉक्स यानी छोटी चेचक होती है। जानवरों में मंकीपॉक्स पहली बार साल 1958 में दिखाई दी थी। जब बंदरों में मंकीपॉक्स का संक्रमण पाया गया था। वहीं साल 1970 में पहली बार इंसान में मंकीपॉक्स कॉन्गो के एक बच्चे में पाया गया था। जबकि, साल 1980 में चेचक उन्मूलन के बाद यह गंभीर समस्या बनकर उभरा है। आइए
इस रोग के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स-
सीडीसी की मानें तो मंकीपॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने संक्रमित जानवर के काटने छूने आदि कारणों से मंकीपॉक्स फैलता है। खासकर चूहों गिलहरियों और बंदरों द्वारा यह अधिक फैलता है। वहीं मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के आसपास रखी चीजों को छूने से भी मंकीपॉक्स का खतरा रहता है। इसके अलावा ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी मंकीपॉक्स होता है।जो पहले से पीड़ित है।
मंकीपॉक्स के लक्षण-
1.बुखार 2.सिर दर्द 3.मांसपेशियों में दर्द 4.पीठ दर्द
5.सूजी हुई लसीका ग्रंथिया 6.ठंड लगना 7.थकावट
8.त्वचा का फटना 9.शरीर में रैशेज 10.गला खराब होना
11.बार-बार खांसी आना 12.सुस्ती आना 13.खुजली की समस्या
मंकीपॉक्स से बचाव
इसके लिए सबसे पहले सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें। अगर मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं, तो चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं। संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं। मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं। बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन और साफ पानी से धोएं। इसके अलावा सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूर करें। अपने साथ सैनिटाइजर जरूर रखें। घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें।
मंकीपॉक्स के उपचार
वर्तमान समय में मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है। मंकीपॉक्स होने पर चेचक का टीका लगवाएं। डॉक्टर के संपर्क में रहें। अभी इंडिया की स्वदेशी किट भी बन कर तैयार हो गई जिसका ट्रायल भी चल रहा है।
डिस्क्लेमर:
स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।