• झोला छाप डॉक्टरो पर कारवाई न कर प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कर रहा शासन के आदेशो की अवहेलना।
• जिले में शासन पर भारी अफसर शाही आदेश के बाद भी नही कर रहे कार्यवाही।
सुसनेर। प्रदेश में अवैध रुप से क्लिनिक संचालित कर रहे झोला छाप चिकित्सकों पर प्रदेश सरकार के आदेश के बाद भी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग कुम्भकर्ण की नींद सोया हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार शासन के आदेशो को अवहेलना करने के साथ ही इन फर्जी डॉक्टरों को पनाह देकर आमजनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे है। काफी दिनों पूर्व जिम्मेदार अधिकारियों ने इन झोला छाप डॉक्टरों पर कारवाई करने की औपचारिकता जरुर की थी जिसमे फर्जी चिकित्सकों के विरुद्व जांच दल का गठन कर नगर सुसनेर मे जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. नरेन्द्रसिंह परिहार के साथ सी.बी.एम.ओ. डॉ. राजीव कुमार बरसेना एवं तहसीलदार प्रतिनिधि पटवारी गोवर्धनलाल शर्मा पुलिस विभाग से उपनिरीक्षक नारायण पुरी के साथ राममनोरथ यादव आदि जांचदल सदस्यों के द्वारा नगर सुसनेर के मालीपुरा मे बिना नाम की संचालित क्लीनिक को सीलकर दवाई जप्त एवं पंचनामें कारवाई की थी। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह बड़ी संख्या में झोला छाप डॉक्टर खुलेआम अपना तामझाम जमाकर बैठे है और आमजन के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर शासन के आदेश को मुंह चिढ़ा रहे है। लेकिन इन पर कोई कारवाई नही की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र के निजी चिकित्सकों द्वारा जिला स्वास्थ्य अधिकारी को एक मोटी रकम पहुँचाई जा रही है जिसके चलते इन पर कोई कारवाई नही होती है। जो चिकित्सक रकम देने में आनाकानी करता है या नया व्यवसाय शुरू करता है उसके यहां जांच कर दबाव बनाया जाता है और बाद में सेटलमेंट होने के बाद मामला रफा दफा भी हो जाता है इसका ही परिणाम है कि कई बार जांच कर क्लिनिक सील करने व पंचनामे की कार्रवाई हो जाने के बाद भी ऐसे चिकित्सकों का कुछ नही बिगड़ता और मामला शांत होने के बाद फिर उनका काम शुरू हो जाता है। क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरो के कारण कई बार मरीजो की जान जा चुकी है मामला उठता भी है लेकिन जिम्मेदारो की शह के कारण दब भी जाता हैं। जबकि क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित क्लिनिकों व झोलाछाप डॉक्टरों की शिकायत हो चूकी है फिर भी जिम्मेदार अधिकारी इन पर कारवाई करने से बच रहे है। शासन के आदेश के बाद भी कारवाई न होना समझ से परे है। ऐसा लगता है जैसे जिले में शासन के ऊपर अफसरशाही पूरी तरह से हावी है। जिसके चलते जिले में शासन के बजाय अफसरशाही का सिक्का चल रहा है।