सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
सभी गृहस्थ योग का अभ्यास करें और इससे लाभ उठाएं। शिवसंहिता : कालवा
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 67 वां अंक प्रकाशित करते हुए शिवसंहिता के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। शिवसंहिता योग से सम्बन्धित संस्कृत ग्रन्थ है। इसके वास्तविक रचनाकार के बारे में पता नहीं है। इस ग्रन्थ में शिव जी पार्वती को सम्बोधित करते हुए योग की व्याख्या कर रहे हैं। योग से सम्बन्धित वर्तमान समय में उपलब्ध तीन मुख्य ग्रन्थों में से यह एक है। दो अन्य ग्रन्थ हैं – हठयोग प्रदीपिका तथा घेरण्ड संहिता। शिव संहिता में पांच अध्याय हैं।
वर्णन
शिव संहिता हठ योग पर तीन प्रमुख जीवित शास्त्रीय ग्रंथों में से एक है, अन्य दो घेरंडा संहिता और हठ योग प्रदीपिका हैं। इसे हठ योग पर सबसे व्यापक ग्रंथ माना जाता है, जो यह सलाह देता है कि सभी गृहस्थ योग का अभ्यास करें और इससे लाभ उठाएं।
कुल योगासन
एक पूर्ण जागरूक योग आसन हमें पूरे शरीर (यहां तक कि इसकी सूक्ष्मतम गति) का एहसास कराता है और एक बार जब मन शरीर के बारे में पूरी तरह से जागरूक हो जाता है, तो वह किसी अन्य विचार को अंदर नहीं आने देता। यह किसी भी योग आसन की कार्यप्रणाली है। कहा जाता है कि शिव ने 8,400,000 आसन सिखाए थे।
हठ योग
भगवान शिव का हठ योग सही योग तकनीकों का उपयोग करके शरीर की शुद्धता पर केंद्रित था। भगवान शिव ने देवी पार्वती और सप्तऋषियों को जो विभिन्न शारीरिक आसन सिखाए, वे हठ योग का हिस्सा थे।
शिवसंहिता के अनुसार योग
शिव संहिता जटिल योग शरीर क्रिया विज्ञान के बारे में बात करती है और 84 विभिन्न आसनों के नाम बताती है। यह केवल चार आसन सिखाता है सिद्धासन,पद्मासन,पश्चिमोत्तानासन औरस्वस्तिकासन
शिव का रूप
त्रिनेत्रधारी शिव के पांच मुख से ही पांच तत्वों जल, वायु, अग्नि,आकाश,पृथ्वी की उत्पत्ति हुई। इसलिए भगवान शिव के ये पांच मुख पंचतत्व माने गए हैं। जगत के कल्याण की कामना से भगवान सदाशिव के विभिन्न कल्पों में अनेक अवतार हुए। जिनमें उनके सद्योजात,वामदेव,तत्पुरुष,अघोर और ईशान अवतार प्रमुख हैं।
निवेदन
ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।