सवांददाता मीडिया प्रभारी मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
अपनी ऊर्जा को निर्देशित करने के लिए हठ योग सर्वोपरी : कालवा
श्रीडूंगरगढ़ कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योगाचार्य ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 64 वां अंक प्रकाशित करते हुए बताया। हठ योग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। हठ शब्द का सामान्य अर्थ है हठी या दृढ़ होना किसी चीज़ में प्रयास के साथ लगे रहना। हठ योग प्रदीपिका की टिप्पणियों में हठ को “शक्ति के साथ” के रूप में समझाया गया है। यहाँ, केवल मानसिक शक्ति की ही ज़रूरत नहीं है,जो इच्छाशक्ति या दृढ़ता के रूप में हो, बल्कि शारीरिक शक्ति की भी ज़रूरत है। भगवान शिव हठयोग के जनक माने जाते हैं इस परंपरा के उत्तराधिकारी श्री मत्स्येंद्रनाथ,स्वामी गोरक्षनाथ,मीननाथ, भर्तृहरि थे और आगे इसके प्रचार का कार्य स्वत्माराम और श्री गोपीचंद्र तक नाथ परंपरा के अन्य अनुयायियों द्वारा किया गया।
हठ योग
-अपनी ऊर्जा को निर्देशित करना शारीरिक आसन इसका एक पहलू है। शरीर के तंत्र को समझना, एक खास माहौल बनाना और फिर शरीर या शरीर की मुद्राओं का इस्तेमाल करके अपनी ऊर्जा को खास दिशाओं में चलाना ही हठ योग या योगासन हैं। हठ योग व्यायाम नहीं है । आसन का मतलब है एक मुद्रा ।
हठ योग अनुक्रम
-तीन मुख्य श्रेणियाँ हैं: गतिशील, स्थिर और मिश्रित। गतिशील अनुक्रम में तीव्र गति वाले आसन (जैसे सूर्य नमस्कार) शामिल होते हैं, जिसके बाद धीमी गति वाले आसन जैसे स्ट्रेचिंग या पुनर्स्थापनात्मक आसन जैसे बाल मुद्रा होते हैं।
हठ योग की उत्पत्ति
-हठ योग की उत्पत्ति राज योग से हुई है । यह राज योग का सरल संस्करण है ( यम और नियम के बिना)। सरल शब्दों में कहें तो, आप कह सकते हैं कि सभी योग मुद्राएँ और प्राणायाम अभ्यास हठ योग के अंतर्गत आते हैं। इसलिए, यदि आप कोई योग आसन या प्राणायाम अभ्यास करते हैं, तो आप हठ का अभ्यास कर रहे हैं। यह सब भारत में और खास तौर पर पिछली सदी की शुरुआत में शुरू हुआ। जबकि योग की आध्यात्मिक जड़ें इतनी प्राचीन हैं कि उन्हें व्यावहारिक रूप से समझना असंभव है, दुनिया भर में योग के बारे में जागरूकता का श्रेय काफी हद तक स्वामी विवेकानंद नामक एक हिंदू भिक्षु को दिया जा सकता है।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी।