न्यूज रिपोर्टर नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
तनाव दूर करने के लिए करें प्रेक्षा ध्यान जानिए योग प्रशिक्षक ओम प्रकाश कालवा के साथ ।
श्रीडूंगरगढ़। कस्बे की ओम योग सेवा संस्था के निदेशक योग प्रशिक्षक ओम प्रकाश कालवा ने सत्यार्थ न्यूज चैनल पर 36 वें अंक को प्रकाशित करते हुए प्रेक्षा ध्यान के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया। प्रेक्षा ध्यान हमारी भावनाओं और हमारी चेतना (चित्त) को शुद्ध करने और स्वयं को साकार करने का अभ्यास है। प्रेक्षा ध्यान मनोवृत्ति परिवर्तन, व्यवहार संशोधन और व्यक्तित्व के एकीकृत विकास के लिए ध्यान की एक तकनीक है। जैन धर्म में, प्रेक्षाध्यान या ध्यान की तकनीक 20वीं शताब्दी में आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा भगवान महावीर के दर्शन और अभ्यास के आधार पर तैयार की गई थी। भगवान महावीर ने प्रेक्षाध्यान के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया था।
अर्थ
-प्रेक्षा शब्द का अर्थ है “स्वयं के प्रति गहन जागरूकता”। जैन धर्म में, प्रेक्षा ध्यान या ध्यान की तकनीक 20वीं शताब्दी में आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा भगवान महावीर के दर्शन और अभ्यास के आधार पर तैयार की गई थी। भगवान महावीर ने प्रेक्षा ध्यान के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया था।
प्रेक्षा ध्यान के प्रणेता
-तुलसी (1913-1997) और आचार्य महाप्रज्ञ (1920-2010) ने प्रेक्षा-ध्यान नामक एक प्रणाली विकसित की जो प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का संयोजन है। यह जैन सिद्धांतों पर आधारित है।
प्रकार
-प्रेक्षा ध्यान में श्वास प्रेक्षा के अथवा श्वास को देखने के चार प्रयोग बताए गए हैं । वे हैं – सहज श्वास प्रेक्षा, दीर्घ श्वास प्रेक्षा, समताल श्वास प्रेक्षा और समवृति श्वास प्रेक्षा ।
कैसे प्राप्त करें ध्यान की शक्ति :
-किसी भी सुखासन में बैठकर प्रतिदिन सुबह, शाम और रात सोते वक्त 15 मिनट का ध्यान करें। इसकी शुरुआत में मध्यम स्वर में तीन बार ॐ का उच्चारण करते हुए आंखें बंद कर लें। ध्यान के मध्य में श्वासों के आवगम को गहराएं। ध्यान के अंत में हाथों की हथेलियों से चेहरे को स्पर्श करते हुए आंखें खोल दें।
लाभ
-प्रेक्षा ध्यान हमारे भौतिक शरीर, हमारे मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को शुद्ध करने में मदद करता है। यह हमें हमारी चेतना से जुड़ने में मदद करता है प्रेक्षाध्यान हमारे व्यवहार और दृष्टिकोण में सुधार लाता है। प्रेक्षाध्यान हमारे शरीर में ऊर्जा असंतुलन को ठीक करने और समग्र सुधार लाने में सहायक है।
नोट
-अधिक लाभ के लिए ध्यान का अभ्यास अनुभवी योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए।
निवेदन
-ओम योग सेवा संस्था श्री डूंगरगढ़ द्वारा जनहित में जारी 36 वां अंक।