हल्दी, बलिया : हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट गांव में 15 जून को हुए मार-पीट के मामले में आखिरकार मुकदमा दर्ज हो ही गया। बावजूद दलितों का आरोप है कि पुलिस ने तहरीर बदलवा कर मुकदमा लिखा है।
हल्दी थाना क्षेत्र के गायघाट गांव में 15 जून को दलित बस्ती में जाने वाले रास्ते पर अल्पसंख्यकों द्वारा जेसीबी मशीन लगाकर जमीन में गड्ढा खोदने को लेकर हुए मार-पीट के बाद पुलिस ने संबंधित जेसीबी व दोनों पक्षों के चार लोगों को उठा लाई। अगले 151, 107-16 में चालान कर दिया। जबकि जेसीबी को भी छोड़ दिया गया। दलितों द्वारा मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग लखनऊ को पत्र लिखा, जिसमें अपने साथ हुए मार-पीट, महिलाओं के साथ ज्यादती व अश्लील हरकत किए जाने का आरोप लगा था।
आरोप है कि पुलिस लगातार तहरीर बदलवाती रही। 18 जून की शाम पुलिस ने मुन्नी देवी की तहरीर पर युनूस खां, इलियास, अवरार, आसिफ व शेर खां के विरुद्ध हरिजन एक्ट तथा मार-पीट का मुकदमा दर्ज किया। जबकि दलितों की ओर गौतम राम पुत्र बीरेन्द्र राम ने मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग लखनऊ को लिखे पत्र में कहा था कि पूर्व सुनियोजित तरीके से हमारे घरों को ध्वस्त के उद्देश्य से बस्ती को उजाड़ने लगे। साथ ही जेसीबी द्वारा गड्ढा खोदने लगे। विरोध करने पर बुरी तरह मारने-पीटने लगे और बस्ती जलाने पर आमादा हो गये। बीच बचाव करने आई घर की महिलाओं के साथ ज्यादती व भद्दी-भद्दी जाति सूचक गालियां दी। सोचने की बात यह है कि जिस तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है, उसमें जेसीबी का जिक्र तक नहीं है। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि पुलिस जेसीबी को थाने क्यों लाई थी। मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का पत्र कैसे बदल गया।