अंश शर्मा
नंद के आनंद भयो जय हो कन्हैया लाल की बृज में है रही जय-जयकार नंद घर लाला जायौ है देवेंद्र भार्गव
श्री कृष्ण का जन्म होते ही झूम उठे श्रद्धालु
करहल तहसील के मेहरबानी गांव से जगल के बीच बीच में डिगबर सरकार पर विधोलिया द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन गुरुवार को पण्डित देवेंद्र भार्गव द्वारा ने वामन अवतार का प्रसंग सुनाया। राजा अम्बरीष और दानवीर राक्षसराज बलि की भी कथा सुनाई। इस दौरान भगवान के वामन अवतार का प्रत्यक्ष दर्शन उपस्थित लोगों को हुआ। भगवान के वामन अवतार के रूप में बाल स्वरूप में मनमोहक छवि वाले बालक को देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए इसके बाद राम जी का जन्म भगवान श्री कृष्ण जन्म के बारे में बताया मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र दिन बुधवार की अंधेरी रात में भगवान कृष्ण ने देवकी के आठवें संतान के रूप में जन्म लिया. श्रीकृष्ण के जन्म लेते ही कोठरी प्रकाशमय हो गया. तब तक आकाशवाणी हुई कि विष्णुजी ने कृष्ण जी के अवतार में देवकी के कोख में जन्म लिया है. उन्हें गोकुल में बाबा नंद के पास छोड़ आएं और उनके घर एक कन्या जन्मी है, उसे मथुरा ला कर कंस को सौंप दें. भगवान विष्णु के आदेश से वासुदेव जी भगवान कृष्ण को सूप में अपने सिर पर रखकर नंद जी के घर की ओर चल दिए. भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए.कान्हा चले गोकुलधाम आकाशवाणी सुनते ही वासुदेव के हाथों की हथकड़ी खुल गई. वासुदेव जी ने सूप में बाल गोपाल को रखकर सिर पर रख लिया और गोकुल की ओर चल पड़े. वासुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद जी के यहां सकुशल पहुंच गए और वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए. जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली. वह तत्काल कारागार में आया और उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा, लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई. फिर कन्या ने कहा- ‘हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है. वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं. भगवान श्री कृष्ण का जन्म होते ही झूम कर नाचने लगे लोग