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सारनी-घोड़ाडोगरी ब्लॉक में संचालित होने वाले निजी स्कूलों पर हो सकती है कार्रवाई

घोड़ाडोगरी ब्लॉक में संचालित होने वाले निजी स्कूलों पर हो सकती है कार्रवाई

 

जबलपुर के 11 स्कूलों पर कार्रवाई होने के बाद बैतूल जिले के निजी स्कूलों में हड़कंप

सारनी। घोड़ाडोगरी ब्लॉक के अंतर्गत लगभग 12 से अधिक निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं और यह निजी स्कूल शासन के नियम और मापदंड के विपरीत फीस की वसूली और गणवेश और किताबों की बिक्री करने का कारोबार संचालित कर रहे हैं। इसको लेकर स्थानीय स्तर पर कई बार शिका शिकायत और समाचारों का प्रकाशन भी हो चुका है जानकारो का कहना है कि कक्षा छठवीं की जो किताबें हैं जो सरकारी स्कूल में 380 रुपए की मिलती है वह निजी स्कूल 3800 तक बेच रहे हैं। इसके अलावा नर्सरी स्कूल के जो विद्यार्थी हैं उनकी वार्षिक फीस के नाम पर और बेहतर पढ़ाई के नाम पर 12 हजार से 18 हजार रुपए तक वसूली का काम कर रहे हैं जो नियम के विरुद्ध है प्रदेश की मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के माध्यम से निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए जबलपुर में जो कार्रवाई की गई है उस कार्रवाई से 11 स्कूलों से लगभग 81 करोड रुपए की वसूली की गई है साथ ही 6 प्रिंसिपल सहित 51 लोगों पर एफ आई आर की कार्रवाई हुई है ठीक इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद अब अभिभावकों के माध्यम से घोड़ाडोगरी ब्लॉक में भी की जा रही है बताया जाता है कि मिशनरी स्कूल सहित दूसरे स्कूल के संचालकों के द्वारा मनमानी स्कूल फीस गणवेश के नाम पर अभिभावकों को खुला लूटने का काम किया जा रहा है।

निजी स्कूलों में गणवेश
और किताबों के नाम पर 65 प्रतिशत की होती है हिस्सेदारी

घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के अलावा संपूर्ण जिले में जो निजी स्कूल संचालित हो रही है उन स्कूलों में गणवेश एवं कापी किताब के नाम पर 65 प्रतिशत से अधिक का गोलमोल होता है जिसमें स्कूल प्रबंधन को 50 प्रतिशत और वितरण करने वाले को 10 प्रतिशत और अपनी दुकान पर कॉपी किताब और गणवेश रखकर बेचने वाले को 5 प्रतिशत की राशि दी जाती है। इस तरह अभिभावकों को 10 से 15 प्रतिशत की किताब और गणवेश के 65 प्रतिशत अतिरिक्त भार चुकाना पड़ता है ऐसी स्थिति को देखकर प्रदेश की मुख्यमंत्री के माध्यम से निजी स्कूलों पर जो नियम के विरुद्ध कापी किताबों की बिक्री खरीदी कर रहे हैं ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने की जो महिम जबलपुर से शुरू की गई है निश्चित तौर से गरीब एवं मध्यवर्गीय परिवारों के लिए यह राहत देने वाली कार्रवाई साबित हो सकती है इसके अलावा जिला प्रशासन को निजी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर कक्षा 12वीं तक के विद्यार्थी जो अध्ययन करते हैं उनकी फीस भी निर्धारित की जानी चाहिए। ताकि गरीब परिवार के अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला सके।

सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए दिया जाना चाहिए प्रोत्साहन

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में दिखावे का कलर इतना हावी हो गया है कि अब एक दूसरे को देखकर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल के बजाय निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की होडसी लग गई है जिला प्रशासन को भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में वह लोग जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन दिलकर शिक्षा प्राप्त करवा सकते हैं ऐसे लोगों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हो सके और निजी स्कूलों में जाकर अवैध फीस और कॉपी किताब की खरीदी बिक्री से बच सके।

इनका कहना है

शासन से सख्त निर्देश है की निजी स्कूल के संचालक अपने स्कूलों से गणवेश एवं किताबें नहीं बेच सकते और शासन के नियम के विरुद्ध नहीं जा सकते ऐसे निजी स्कूलों को चिन्हित करके उन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।

पीसी घोष बीआरसी घोडाडोंगरी

शासन की गाइडलाइन के अनुरूप कोई निजी स्कूल संचालक यदि गणमेश और किताबें का क्रय विक्रय करता है और अभिभावकों के माध्यम से शिकायत मिलती है तो इन निजी स्कूल संचालकों पर नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

हाकम सिंह रघुवंशी ब्लॉक शिक्षा अधिकारी घोड़ाडोगरी

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