न्यूज रिपोर्टर मनोज मूंधड़ा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंडित नरेश सारस्वत रिड़ी
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+9180555 66975
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है ज्योतिष शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है
आज का पंचांग
????जय श्री कृष्णा????
चोघडिया, दिन
लाभ 05:53 – 07:28 शुभ
अमृत 07:28 – 09:04 शुभ
काल 09:04 – 10:40 अशुभ
शुभ 10:40 – 12:15 शुभ
रोग 12:15 – 13:51 अशुभ
उद्वेग 13:51 – 15:26 अशुभ
चर 15:26 – 17:02 शुभ
लाभ 17:02 – 18:37 शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग 18:37 – 20:02 अशुभ
शुभ 20:02 – 21:26 शुभ
अमृत 21:26 – 22:51 शुभ
चर 22:51 – 24:15* शुभ
रोग 24:15* – 25:39* अशुभ
काल 25:39* – 27:04* अशुभ
लाभ 27:04* – 28:28* शुभ
उद्वेग 28:28* – 29:53* अशुभ
समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले
आज का राशिफल-
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
????मेष-मेहनत का फल मिलेगा। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। थकान रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। प्रसन्नता रहेगी। भूमि, आवास की समस्या रह सकती है। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेगा। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। संतान से कष्ट रहेगा।
????वृष-भूले-बिसरे साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। मान बढ़ेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। अपनी बुद्धिमत्ता से आप सही निर्णय लेने में सक्षम होंगे। विकास की योजनाएं बनेंगी। निजीजनों में असंतोष हो सकता है। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
????मिथुन-भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। जोखिम न लें। व्यावसायिक चिंता दूर हो सकेगी। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएंगे। योजनाएं फलीभूत होंगी।
????कर्क-वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। वस्तुएं संभालकर रखें। स्वास्थ्य पर व्यय होगा। विवाद न करें। यात्रा में अपनी वस्तुओं को संभालकर रखें। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। अधीनस्थों की ओर ध्यान दें। आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी।
????सिंह-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। आय बढ़ेगी। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी। अपने व्यसनों पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करना चाहिए। व्यापार में कर्मचारियों पर अधिक विश्वास न करें। आर्थिक स्थिति मध्यम रहेगी।
????♀️कन्या-नए अनुबंध होंगे। यात्रा, निवेश व नौकरी मनोनुकूल रहेंगे। झंझटों में न पड़ें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। कार्य की प्रवृत्ति में यथार्थता व व्यावहारिकता का समावेश आवश्यक है। व्यापार में नई योजनाओं पर कार्य नहीं होंगे। जीवनसाथी का ध्यान रखें।
⚖️तुला_धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। राजकीय बाधा दूर होगी। वरिष्ठजन सहयोग करेंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बुद्धि एवं तर्क से कार्य में सफलता के योग बनेंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। अतः उसका परित्याग करें। व्यापार लाभप्रद रहेगा।
????वृश्चिक-समय ठीक नहीं है। वाहन, मशीनरी व अग्नि के प्रयोग में सावधानी रखें। लेन-देन में सावधानी रखें। विवाद न करें। दांपत्य जीवन सुखद रहेगा। सकारात्मक विचारों के कारण प्रगति के योग आएंगे। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाए रखें।
????धनु-प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। राजकीय काम बनेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं। संतान से मदद मिलेगी। आर्थिक स्थिति में प्रगति की संभावना है। अचानक धन की प्राप्ति के योग हैं। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें।
????मकर-संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। धनार्जन होगा। समाज में प्रसिद्धि के कारण सम्मान में बढ़ौत्री होगी। आजीविका में नवीन प्रस्ताव मिलेंगे। परिवार की समस्याओं को अनदेखा न करें।
????कुंभ-किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें।
????मीन-दूसरों से अपेक्षा न करें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। थकान रहेगी। जोखिम न लें। विवाद से बचें। राजकीय सहयोग मिलेगा एवं इस क्षेत्र के व्यक्तियों से संबंध बढ़ेंगे। विद्यार्थियों को प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी। व्यापार अच्छा चलेगा। वाणी पर संयम रखें।
????आपका दिन मंगलमय हो????
शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा क्यों की
जाती है…
भगवान गणपति अपने भक्तों के कष्टों को हरकर ले जाते हैं। गणेश जी बुद्धि के दाता और शुभ लाभ के प्रदाता है। कोई भी शुभ कार्य बिना गणेश जी के पूरा नहीं हो सकता है। इसीलिए सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा और स्तुति की जाती है। गणेश जी को प्रथम देव माना गया है। इसके पीछे एक रोचक कथा भी है। आइए जानते हैं इस कथा के बारे में…
ऐसे बने गणेश जी प्रथम देवता-
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवताओं का प्रतिनिधि मंडल भगवान शिव के पास अपनी कुछ समस्याओं को लेकर पहुंचा। उस समय भगवान शिव के पास भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय भी वहीं बैठे थे। देवताओं की समस्याओं को सुनने के बाद भगवान शिव ने गणेश और कार्तिकेय से कहा कि आप दोनों में से कौन इन देवताओं की समस्याओं को हल करेगा। इस पर गणेश जी और कार्तिकेय जी ने एक स्वर में हां कर दी। जब देवताओं की समस्या को दूर करने के लिए दोनों तैयार हो गए तो शिवजी नें भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय सामने एक प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता के अनुसार पृथ्वी की परिक्रमा करनी थी। शर्त थी कि जो परिक्रमा करके पहले लौटेगा वही देवताओं की समस्या को हल करेगा। इतना सुनते ही भगवान कार्तिकेय मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। लेकिन गणेश जी अपने स्थान पर खड़े होकर विचार करने लगे कि मूषक पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा कैसे हो सकती है। तभी गणेश जी के दिमाग में एक विचार आया और उन्होने माता पार्वती और पिता शिवजी की परिक्रमा आरंभ कर दी। सात परिक्रमा करने के बाद वे अपने स्थान पर खड़े हो गए। थोड़ी देर बाद कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा करके वापिस आए और गणेश जी को अपने स्थान पर देखकर स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने गणेश जी की तरफ देखा और प्रश्न किया कि पृथ्वी की परिक्रमा करने क्यों नहीं गए। इस प्रश्न के उत्तर में भगवान गणेश ने कहा कि माता पिता भी संसार है। फिर चाहे पृथ्वी की परिक्रमा की जाए या अपने माता पिता की एक ही बात है। इस बात से भगवान शिव और माता पार्वती बेहद प्रसन्न हुए और गणेश जी को देवताओं की समस्या हल करने की आज्ञा दी। तभी से भगवान गणेश जी की प्रथम देव के रुप में स्तुति की जाने लगी। भगवान शिव ने गणेश जी को आर्शीवाद दिया कि जो भी भक्त किसी भी शुभ कार्य से पूर्व गणेश जी की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होंगी।