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बड़वानी-गणगौर पर्व : मालवा-निमाड़ की शान

संवाददाता-हेमन्त नागझिरिया
अंजड।गणगौर मालवा और निमाड़ का गौरवमय पर्व है। चैत्र माह की तीज को मनाया जाने वाला यह महापर्व एक महोत्सव रूप में संपूर्ण मध्यप्रदेश निमाड़-मालवांचल में अपनी अनूठी छटा बिखेरता है। इसके साथ ही चैत्र माह में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में महाकाली, महागौरी एवं महासरस्वती अलग-अलग रूपों में नवरात्रि में पूजी जाती हैं।नगर अंजड़ में आज गनगौर की वाड़ी खुली जिसमे नगर के श्रद्धालुओं ने पूजा की । नगर केअम्बिका मन्दिर सिर्वी समाज मे माता के ज्वारों की पूजा की गई।

पारिवारिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है गणगौर का त्योहार। चैत्र गणगौर पर्व गणगौर दशमी से अथवा एकादशी से प्रारंभ होता है, जहां माता की बाड़ी यानी जवारे बोए जाने वाला स्थान पर नित्य आठ दिनों तक गीत गाए जाते हैं। यह गीत कन्याओं, महिलाओं, पुरुषों, बालकों के लिए शिक्षाप्रद होते हैं।

  • गणगौर पूजा के दौरान, गौरी और ईसर (शिव) की तस्वीरों को नए कपड़े पहनाए जाते हैं. अविवाहित लड़कियां और विवाहित महिलाएं इन तस्वीरों को सजाती हैं और उन्हें जीवित आकृतियों जैसा बनाती हैं. गणगौर पूजा में महिलाएं बांधनी साड़ी पहनती हैं.
गणगौर पूजा के बारे में कुछ और जानकारी:
  • गणगौर पूजा, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी से शुरू होती है. इसकी शुरुआत घर की सफ़ाई से होती है.
  • गणगौर पूजा के आखिरी तीन दिनों में यह उत्सव अपने चरम पर होता है.
  • गणगौर पूजा, विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पतियों के स्वस्थ जीवन और वैवाहिक संबंधों के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं.
  • अविवाहित लड़कियां भी, भगवान शिव जैसा समझदार और सबसे अच्छा पति पाने के लिए पूजा और गणगौर उत्सव में भाग लेती हैं.
  • गणगौर, भगवान शिव और देवी पार्वती की एकता का जश्न मनाता है. यह शीत ऋतु के अंत और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है. 
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