न्यूज रिपोर्टर :- प्रदीप खरे
स्थान – शिवपुरी
किसानों का सरकार की समर्थन मूल्य योजना से मोह भंग पिछले 4 साल में हुए 60 हजार किसान कम, सरकार से अधिक बाजार में उपज का भाव मिल रहा है
शिवपुरी । किसानों की उपज खरीदने के लिए पंजीयन चल रहे है,इस वर्ष उपज खरीदने के लिए जिले में 26 किसान खरीदी केन्द्र भी बनाए गए हैं लेकिन किसानों का धीरे-धीरे इस सरकार की इस खरीदी से मन हटता जा रहा है 2019 से लगातार किसानों के पंजीयन का ग्राफ गिरता जा रहा है,कारण सिर्फ एक है कि सरकार से अधिक बाजार में उपज का भाव मिल रहा है और पेमेंट भी उसे लगातार तत्काल प्राप्त हो रहा है।
किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन कराना होता है,वर्ष 2019 से 2025 की बात करे तो 4 साल में 60 हजार पंजीयन कम हुए है।
वही 2021-22 की बात करे तो शिवपुरी जिले में 58 उपज खरीद केन्द्र बनाए गए थे और 55746 किसानों ने अपनी पंजीयन कराए थे। सन 2022-23 में जिले में 58 केंद्र स्थापित किए थे और 39659 किसानों के पंजीयन हुए थे। 2023-2024 में 45 खरीद केन्द्र बनाए थे और 14357 किसानो से पंजीयन कराया था। यह आंकड़ा पिछले 4 सालो का पंजीयन का सबसे कम पकड़ा था,अगर इस वर्ष की बात करे तो जिले में खरीद केन्द्रो की संख्या फिर कम कर दी। इस साल 2024-25 में शिवपुरी जिले में 36 खरीद केंद्र बनाए है और 19821 किसानों ने अभी तक पंजीयन करा है पंजीयन के आंकड़े की बात करे तो पिछले साल से अभी तक 5 हजार के लगभग पंजीयन अधिक हुए है लेकिन पिछले चार साल के पंजीयनो का आंकडा देखे तो लगभग 60 हजार किसानों के पंजीयन कम हुआ है।
यह भाव है सरकार के
इस बार मध्य प्रदेश सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने के लिए सरकारी रेट 2275 रुपए क्विंटल तय किया है, जबकि बाजार में गेहूं के दाम 2300 से लेकर 2500 रुपए क्विंटल है। समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों तक फसल ले जाने के बाद किसान को भुगतान के लिए इंतजार करना पड़ता है, जबकि बाजार में सुबह फसल बेचकर शाम को किसान नोट गिन लेता है।
राशन की चिंता
सरकारी खरीदी केंद्रों पर ली जाने वाली फसलों को ही शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर गरीब परिवारों को दिया जाता है। ऐसे में जबकि खरीदी केंद्रों पर वीरानी रहेगी तो फिर गरीबों को राशन कहां से और कैसे मिल पाएगा?, इसमें संशय बना हुआ है।
दो साल से नहीं मिला एक भी दाना,नहीं मिलेगा तो केंद्र से मांगेंगे
खरीदी खरीदी केंद्रों केंद्रों पर इकट्ठा होने वाला गेहूं अधिकांश एफसीआई ले जाती है तो कुछ नान को भी मिलता है। दूसरे जिलों से राशन मंगवाना पड़ता है और जब कहीं से नहीं मिलेगा त फिर केंद्र से ही राशन मांगते हैं, जिसे एफसीआई उपलब्ध कराती है।
गौरव कदम, जिला खाद्य अधिकारी शिवपुरी