सत्यार्थ न्यूज़ रिपोर्टर अनन्त कुमार
स्वर्ण हिरण को देखकर सीता हुई मोहित रावण ने छल से किया माता सीता का हरण

सोनभद्र लिलासी कला माहोचट्टान (झरइल टोल) में रामलीला का सातवां दिन मंचन किया गया जिसमे रावण और मारीच के प्रसंग का मंचन हुआ। मंचन को देखकर दर्शकों की आँखे नम हो गई। लंकापति रावण ने अपनी सूर्पणखा का नाक कान कटने का बदला लेने के लिए मायावी मामा मारीच को स्वर्ण का हिरण बनकर माता सीता के कुटिया से राम और लक्ष्मण को दूर करने का योजना बनाई। मामा मारीच ने स्वर्ण का मृग बनकर पंचवटी में माता सीता के सामने घूमने लगा। माता सीता ने स्वर्ण मृग का खाल लाने को भागवान राम को हठ करने लगी। जिसके बाद राम ने मृग को मारने को मृग के पीछे चल पड़े।

भागवान राम ने जब अपने बाड़ से मृग को मारा उसी समय हे लक्ष्मण की आवाज सीता को सुनाई दिया। जिसके उपरांत माता सीता ने सोची कि हे लक्ष्मण तुम्हारे भईया राम इस समय बहुत बड़ी संकट में हैं। तुम जाओ और अपने भईया की रक्षा करो। लक्ष्मण को जाते ही रावण ने मायावी साधु का वेश धारण कर माता सीता के पास भिक्षा मांगता है। इसके पश्चात रावण ने जगत जननी माता सीता को हरण कर ले जाने लगता है।

इसके पश्चात रावण ने जगत जननी माता सीता को हरण कर ले जाने लगता है।

जटायु ने माता सीता को बचाने के लिए रावण को अपनी चोंच मारी जिससे रावण को मुरछा आ गई। जब रावण को होश आते ही क्रोध में आकर रावण अपनी धारदार तलवार से जटायु का पंख काट दिया।

जब प्रभु श्रीराम आते हैं तो जटायु ने सारा वृतांत बताते हैं















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