नवाबगंज सीएचसी में गरीबों की जेब पर डाका
1 रुपये के पर्चे का छलावा… बाहर की दवाओं से 600 की लूट
सत्यार्थ न्यूज वरिष्ठ पत्रकार हरिकृष्ण शुक्ल उन्नाव उत्तर प्रदेश

उन्नाव।
उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक लाख आदेश और योजनाएं जारी कर लें, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में गरीबों की जेब काटने का खेल बदस्तूर जारी है। उन्नाव के नवाबगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से मंगलवार को ऐसी ही शर्मनाक तस्वीर सामने आई जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत उजागर कर दी।
घटना के मुताबिक, 18 वर्षीय चांदनी अपने पिता संग पेट दर्द की शिकायत लेकर सीएचसी पहुंची। गरीबी से जूझ रहे परिवार ने 1 रुपये का पर्चा बनवाया और डॉक्टर के पास पहुंचा। लेकिन कमरा नंबर 6 में मौजूद चिकित्सक ने सरकारी दवाओं का फॉर्मूला लिखने की बजाय सीधे बाहर की महंगी दवाएं लिख दीं।
60 गोलियां, 600 रुपये का बोझ
डॉक्टर ने तीन अलग-अलग दवाएं लिखीं –
* पेट दर्द की 20 गोली
* सूजन की 20 गोली
* एंटीबायोटिक की 20 गोली

जैसे ही युवती पास के मेडिकल स्टोर पहुंची तो दाम सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। तीनों दवाओं का बिल 600 रुपये से अधिक निकला। मजबूरी में गरीब परिवार ने वहीं रोते-बिलखते कहा –
“सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज का ढिंढोरा पीटा जाता है, लेकिन हकीकत में यहां गरीबों को लूटने का जाल बिछा है।”
सरकारी योजनाएं कागजों तक सीमित
* सरकार कहती है कि मरीजों को मुफ्त दवा और इलाज मिलेगा।
* पर्चे पर फॉर्मूला लिखने के आदेश स्पष्ट हैं।
* लेकिन डॉक्टर कमीशन के लालच में कंपनियों की दवाएं लिख रहे हैं।
* नतीजा – गरीब मरीज इलाज के बजाय महंगे बिल के बोझ तले दब रहे हैं।
शिकायत की गूंज स्वास्थ्य मंत्रालय तक
सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले की शिकायत स्वास्थ्य मंत्रालय तक भेजी जा रही है। सवाल बड़ा है –
क्या सरकार इन “सेहत के सौदागरों” पर शिकंजा कसेगी या गरीब मरीज इसी तरह इलाज के नाम पर लूटते रहेंगे?














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