सत्यार्थ न्यूज/ मनीष माली कि रिपोर्ट
सुसनेर
आज से आठ दिन तक शुभ कार्य वर्जित
होली पर रहेगा चंद्रग्रहण
आज से 24 तक रहेगा होलाष्टक
सुसनेर –स्थानीय सोयत रोड़ पर स्थित श्री चिंताहरण हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित विजय शर्मा के अनुसार होली से आठ दिन पहले आज रविवार 17 मार्च से लगेंगे होलाष्टक इस अवधि में नहीं होंगे शुभ कार्य।
रंगों का त्योहार होली आने में आठ दिन शेष रहे हैं। उससे पहले आज रविवार 17 मार्च से होलाष्टक लगेंगे। जिसका समापन होलिका दहन के साथ होगा होलाष्टक में 16 संस्कारों मुंडन, गृह प्रवेश, संपत्ति का खरीदना व बेचना, विवाह कार्य के साथ सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस अवधि में पूजन, पाठ फाग व भजन जरूर होते हैं।
ज्योतिषियों व पंडितों के अनुसार होलाष्टक को शोक व दुख का समय माना जाता है इन दिनों में हिरण्याकश्यप ने भगवान विष्णु भक्त अपने पुत्र प्रहलाद को भक्ति से दूर करने के लिए कई यातनाएं दी थी इन दिनों के अंतिम दिन अपनी बहन होलिका के सहयोग से भक्त प्रहलाद को मारने का प्रयास किया था इसी कारण इन दोनों को शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है।
होली पर रहेगा चंद्र ग्रहण
होलिका दहन के दिन 25 मार्च को चंद्र ग्रहण होगा लेकिन भारत में दिखाई नहीं देगा। विश्व के अन्य देशों में यह कई जगह दृश्य होगा। भारत में चंद्र ग्रहण नजर नहीं आने से इसके सूतक आदि का पालन नहीं होगा। होलिका दहन के दिन भद्रा सुबह 9:56 से रात 11:14 बजे तक रहेगी।
अष्टमी से होते हैं शुरू
श्री चिंता हरण बालाजी मंदिर के पुजारी पंडित विजय शर्मा के अनुसार होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होते हैं जो पूर्णिमा तक रहते हैं। इन दिनों के अष्टमी तिथि से शुरू होने के कारण इनको होलाष्टक कहा जाता है इस साल फाल्गुन मास की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 16 मार्च की रात 9: 39 से होगा। इस तरह होलाष्टक 17 से 24 मार्च तक रहेंगे। होलिका दहन 24 मार्च को भद्रा उपरांत मनाई जाएगी। 25 मार्च को पूरे देश में धूलंडी अर्थात रंगों का त्यौहार मनाया जाएगा।हिंदू धर्म के अनुसार होलीका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है होली एक धार्मिक संस्कृतिक व प्रारंभिक त्यौहार हैं।
विधि विधान से पूजा करें
होलिका दहन की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद पूजा करने वाले स्थान पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जावे। पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलीका व प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं। पूजा सामग्री के लिए रोली, फूलों की माला, पुष्प , कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग ,पतासे, गुलाल, नारियल, 5 या 7 तरह का अनाज एक लोटे में पानी रख ले। इसके बाद इन पूजन सामग्रियों के साथ विधि विधान से पूजन करें। मिठाई फल चढ़ाएं। होलिका की पूजन के साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी विधि विधान से करें। और फिर होलिका दहन करना चाहिए।
चित्र : पंडित विजय शर्मा।