सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़- सवांददाता मीडिया प्रभारी
क्षेत्र के गांव लिखमादेसर में जगदीश प्रसाद पुत्र जयचंद राम तिवाड़ी परिवार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा के आयोजन में छ्ठे दिन बुधवार को शिव महापुराण कथा में
शिवेन्द्राश्रमजी महाराज ने शिव महापुराण में भगवान शिव के कई अवतारों का वर्णन के बारे में बताया,जिनमें रुद्रावतार (19 अवतार) और पंचमुखी अवतार (5 अवतार) प्रमुख हैं,ये अवतार विभिन्न परिस्थितियों और दैवीय उद्देश्यों के लिए प्रकट हुए थे। रूद्रावतार-शिव के रूद्रावतार, जो विभिन्न परिस्थितियों में प्रकट हुए,उनमें से कुछ प्रमुख अवतार इस प्रकार हैं वीरभद्र:जब दक्ष ने यज्ञ में शिव का अपमान किया, तब सती ने प्राण त्याग दिए। क्रोधित होकर शिव ने अपनी एक जटा उखाड़ी और उससे वीरभद्र का अवतार हुआ, जिसने दक्ष का यज्ञ नष्ट कर दिया। अश्वत्थामा:यह शिव का एक अंशावतार है,जो अमर माना जाता है। शरभ:
शरभ एक पक्षी-मानव-सिंह रूप वाला अवतार है जो नृसिंह को शांत करने के लिए प्रकट हुआ था। शिव के अन्य अवतारों में पिप्पलाद,नंदी,भैरव,अश्वत्थामा,शरभावतार गृहपति ऋषि दुर्वास,हनुमान जी,वृषभ,यतिनाथ, कृष्णदर्शन,अवधूत भिक्षुवर्य,सुरेश्वर,किरात,ब्रह्मचारी अवतार,सुनटनतर्क और यक्ष अवतार शामिल हैं। पंचमुखी अवतार यह शिव के पंचमुखी स्वरूप से संबंधित है,जिसमें प्रत्येक मुख एक अलग अवतार को दर्शाता है,सद्योजात: यह शिव के पंचमुखी स्वरूप का पहला मुख है,जो ध्यान में लीन रहने वाले ब्रह्माजी के शिखा से उत्पन्न हुआ था। वामदेव:यह शिव के पंचमुखी स्वरूप का दूसरा मुख है,जो ब्रह्माजी के रक्तवर्ण के शरीर से उत्पन्न हुआ था तत्पुरुष:यह शिव के पंचमुखी स्वरूप का तीसरा मुख है, जो ब्रह्माजी के पीले वस्त्र धारण करने से उत्पन्न हुआ था,अघोर:यह शिव के पंचमुखी स्वरूप का चौथा मुख है, जो शिव कल्प में ब्रह्माजी के दिव्य पुत्र के रूप में प्रकट हुआ था ईशान:यह शिव के पंचमुखी स्वरूप का पांचवां मुख है,जो ब्रह्माजी के चिंतन से प्रकट हुआ था शिव महापुराण में शिव के कई अन्य अवतारों का भी उल्लेख है। कथा के छठे दिन दूर दराज से श्रद्धालु कथा का लाभ लेने पहुंचे।