सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़ -सवांददाता ब्युरो चीफ
दुलचासर गांव के मूंधडा भवन में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा की गुरुवार को विधिवत पूर्णाहुति हुई। कथावाचक महंत सत्यानंद गिरी महाराज ने कृष्ण सुदामा की कथा का भावपूर्ण वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। उन्होंने कहा भगवान श्री कृष्णा और सुदामा की मित्रता द्वापर युग से लेकर कलयुग तक प्रासंगिक है। कलयुग में लोगों को श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता से सीख लेनी चाहिए। क्योंकि कृष्ण और सुदामा की मित्रता निस्वार्थ थी। उन्होंने कहा कि परमात्मा की कृपा से ही सब होता है। उनकी अनुमति के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता। भगवान समदर्शी हैं, सबको एक नजर से देखते हैं। उनकी नजर में कोई अमीर गरीब नहीं है। श्रीमद्भागवत कथा का उद्देश्य ही परमात्मा के ज्ञान, आत्मा के ज्ञान और सृष्टि विधान के ज्ञान को स्पष्ट करना है। गीता वास्तव में चरित्र निर्माण का सबसे बड़ा और उत्तम शास्त्र है। इसके माध्यम से भगवान ने कहा है कि चरित्र कमल पुष्प समान संसार में रहकर और श्रेष्ठ कर्मों से बनेगा न कि घर-बार छोड़ने और कर्म संन्यास क्रियाएं करने से। हवन के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा सनातन धर्म में कोई भी धार्मिक अनुष्ठान हवन के बिना अधूरा समझा जाता है। हवन वातावरण को शुद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,इससे आसपास में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। आयोजन समिति के भंवरलाल मूंधड़ा ने बताया कि शुक्रवार प्रातः नौ बजे कथास्थल पर सामूहिक हवन का आयोजन होगा।