सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़ – सवांददाता ब्युरो चीफ
श्री रामायण प्रचार मंडल उधना सूरत द्वारा आशानगर में आयोजित शिव महापुराण कथा के आयोजन में पांचवें दिन गुरुवार को पंडित संदीप महाराज ने शिव महापुराण कथा में बताया कि मैना रानी द्वारा माता पार्वती को पतिव्रत धर्म की शिक्षा देने के लिए ब्राह्मणों को बुलाकर उनसे पतिव्रत धर्म का उपदेश दिलाया गया। स्त्रियों को सदैव अपने पति को प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए। स्त्रियां भगवान की पूजा इत्यादि न भी करे,मात्र अपने पति को संतुष्ट रखती है। और पति की आज्ञा का पालन करती है तो भगवान की पूजा के बराबर मान्य है। सती अनसूया आदि तीन सतियों का माता पार्वती को दृष्टांत दिया। माता पार्वती तो सारे जगत की माता है,परन्तु मां पार्वती के माध्यम से सारे जगत की स्त्रियों को मैना रानी ने संदेश दिया कि पति की आज्ञाकारिणी बनना चाहिए। इसके बाद बताया कि मां गंगा से कार्तिकेय की उत्पत्ति हुई। कृतिका आदि छः स्त्रियों ने उन्हें दुग्धपान कराया तो नाम पड़ा कार्तिकेय छः स्त्रियों ने पाला तो दूसरा नाम पड़ा षडानन् माता पार्वती के मैल से गणेशजी की उत्पत्ति हुई और गणेशजी मां पार्वती के द्वारपाल बने। मां पार्वती स्नान करने गई तो पुत्र गणेश को आज्ञा देकर गई कि किसी को भी प्रवेश मत होने देना, पर जब शिवजी आये तो गणेशजी ने उन्हें रोक दिया तो शिवजी ने गणेशजी का सिरच्छेद कर दिया। इस पर मां भगवती रुष्ट हो गई और शक्तियों को उत्पन्न कर प्रलय ला दिया। ऋषियों ने बहुत निवेदन किया तो शिव की आज्ञा से हाथी का सिर लगाया गया और देवताओं में सबसे पहले गणेशजी की पूजा होगी ऐसा वरदान प्रदान दिया गया।