सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़-सवांददाता मीडिया प्रभारी
दुलचासर गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में भक्त प्रह्लाद प्रसंग का बखान किया गया। कथा व्यास महंत सत्यानंद गिरी महाराज ने कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। उन्होंने कहा कि बच्चों को धर्म का ज्ञान बचपन में दिया जाता है, वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी कई मिसालें हैं,जिससे सीख लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत मोक्ष की भूमि है। यह एकमात्र देश है जहां भगवान का अवतार हुआ। उन्होंने कहा कि वृजवासी बनना दुर्लभ है,लेकिन भागवत कथा सुनने से 7 दिन के लिए वृजवास का फल मिलता है। जो इसे अपने जीवन में उतारता है,वह वृजवासी बन जाता है। उन्होंने कहा कि जीवन में अच्छे रास्ते पर जाना है तो संकल्प लेना जरूरी है हर बच्चे को अपने माता-पिता की बातों को मानना चाहिए और सबसे बड़ा भगवान माता-पिता ही होता है जिनके ऊपर माता-पिता का आशीर्वाद है उन्हें संसार में सब कुछ प्राप्त है साथ-साथ हर एक माता-पिता को चाहिए अपने साथ अपने बच्चों को भागवत कथा हो सत्संग हो कीर्तन हो अपने साथ जरूर लाना चाहिए क्योंकि धर्म की कथा सुनने से बच्चों में संस्कार अच्छी आती है अपने जीवन को कृतार्थ करने के लिए भगवान के प्रति अन्य विश्वास रखना चाहिए।