नई दिल्ली:- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ताबड़तोड़ फैसले लिए जा रहे हैं. विभिन्न विभागों पर लगातार कैग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की जा रही है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अब दिल्ली की पिछली सरकारों को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. इससे पूर्व मुख्यमंत्रियों अरविंद केजरीवाल और आतिशी की मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं. सीएम रेखा गुप्ता ने दिल्ली की पिछली सरकारों पर व्हाइट पेपर लाने की बात कही है. बता दें कि इंडियन गवर्निंग सिस्टम में व्हाइट पेपर का कानूनी महत्व होता है. उसमें दी गई जानकारियों को प्रमाणिक माना जाता है.
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकार के कामकाज पर श्वेत पत्र जारी होगा. इसमें पिछली सरकार की ओर से किए गए काम का लेखाजोखा होगा. इसके साथ ही रेखा गुप्ता ने कहा की आर्थिक सर्वे पेश नहीं होगा, क्योंकि कई विभागों की ऑडिट रिपोर्ट तैयार नहीं हुई है और फिलहाल उस पर काम चल रहा है. इसलिए इस पर कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी. सीएम रेखा गुप्ता ने बताया कि सभी विभागों की ऑडिट रिपोर्ट आ जाएगी तो पिछली सरकार का पूरा लेखा-जोखा पेश किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि विधानसभा के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण भी रखा जाएगा और पिछली सरकार के कामकाज पर व्हाइट पेपर भी लेकर आएंगे.
मंत्री ने लगाए गंभीर आरोप
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अरविंद केजरीवाल पर फिर से बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा, ‘हमें समझ नहीं आता कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार लेकर आए थे या खत्म करने आए थे. कैग रिपोर्ट में हाई कोर्ट का विवरण है. कोर्ट ने कहा था कि 11 हजार बसों की फ्लीट होनी चाहिए, लेकिन दो इलेक्ट्रिक बसों के अलावा आप एक भी डीटीसी बस लेकर नहीं आए. CAG ने लिखा है कि बड़ा अपराध हो रहा था. 814 में से केवल 468 रूटों पर बसें चल सकीं. डीटीसी से साल 2015-16 में 914 करोड़ रुपए आ रहे थे, लेकिन अब 550 करोड़ आ रहे हैं. दिल्ली सरकार 2015-16 में 1174 करोड़ डीटीसी को ग्रांट देती थी, जो बढ़ाकर 2320 करोड़ कर दिया गया लेकिन पैसे जा कहां रहे हैं कोई नहीं जानता. पहले एक बस चलाने में 213 रुपये प्रति किमी खर्च होता था जो केजरीवाल सरकार ने बढ़ाकर 487 रुपए प्रति किलोमीटर कर दिया. कोई कैलकुलेटर नहीं है, जो बता सके कि कैसे ये हिसाब निकला.’
AAP विधायक को नहीं मिली अनुमति
आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार विधानसभा की कार्यवाही के दौरान महिला सम्मान राशि के विषय पर बोलना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने यह कहते हुए अनुमति नहीं दी कि इस विषय पर पहले ही अन्य विधायक बोल चुके हैं. इसके बाद आम आदमी पार्टी के विधायक हंगामा करने लगे. विधानसभा स्पीकर ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को कार्रवाई की चेतावनी भी दी. इस बीच, आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने वॉक आउट किया. इस पर विधानसभा स्पीकर ने कहा कि अभी CAG की रिपोर्ट आनी है, इसलिए विपक्ष को पसंद नहीं आया और वे सदन बाहर जा रहे हैं.
दिल्ली मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के कामकाज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन में पेश की. रिपोर्ट के अनुसार डीटीसी को 8433 करोड़ का घाटा हुआ है. साथ ही DTC बसों की संख्या 4344 से घटकर 3937 हो गई है. इलेक्ट्रिक बसों की समय से डिलीवरी न होने के बावजूद ऑपरेटर पर 29 करोड़ की पेनाल्टी नहीं लगाई गई. नई बसों को ख़रीदने या फ्लाइट को बढ़ाने के लिए पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया गया. कैग की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार की बसों का रुट 814 से घटकर 468 हो गया. जिससे सरकार को 2015 से 2022 तक करीब 14000 करोड़ का घाटा हुआ है. 3697 बसों में CCTV लगाने के प्रोजेक्ट पर सरकार ने 52 करोड़ खर्च किया. लेकिन ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका. DTC घाटे में होने के बावजूद क्लस्टर बसों के ऑपरेटर से 225 करोड़ किराया वसूल नहीं किया गया.
देश की राजधानी दिल्ली में 10 साल के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है. बीजेपी को तकरीबन 27 साल के लंबे इंतजार के बाद नेशनल कैपिटल की सत्ता हासिल हुई है. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी के दस साल से भी ज्यादा के कार्यकाल का अंत हो गया. दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ताबड़तोड़ कई फैसले लिए जा रहे हैं. विभिन्न डिपार्टमेंट से जुड़ी CAG रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर उसे सार्वजनिक करना उन्हीं फैसलों में से एक है. दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने हेल्थ डिपार्टमेंट पर तैयारी सीएजी रिपोर्ट सदन में पेश किया था. अब उसके बाद सोमवार 24 मार्च 2025 को DTC पर कैग रिपोर्ट सदन में पेश किया गया. इस रिपोर्ट में DTC में कई खामियां उजागर हुई हैं. इसके अलावा दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बेड़े में बसों की संख्या की कम होने की बात भी सामने आई है. जबकि पूर्व में बसों की संख्या बढ़ाने के बारे में लातार बातें की जाती रही हैं.
DTC की CAG की रिपोर्ट दिल्ली विधानसभा के पटल में रखी गई.रिपोर्ट में दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में कई गंभीर खामियां उजागर हुई हैं, जो DTC की बिगड़ती स्थिति को दर्शाती है. DTC पिछले कई सालों से लगातार नुकसान झेल रहा है, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस व्यापार योजना या विजन डॉक्यूमेंट नहीं बनाया गया. सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन (MoU) भी नहीं हुआ, जिससे फाइनेंशियल और ऑपरेशनल टारगेट्स को तय किया जा सके. अन्य राज्य परिवहन निगमों (STUs) के साथ प्रदर्शन की तुलना भी नहीं की गई.
6 साल में घटी बसों की संख्या
कैग की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-16 में निगम के पास 4,344 बसें थीं, जो 2022-23 तक घटकर 3,937 रह गईं. सरकार से आर्थिक सहायता उपलब्ध थी, फिर भी निगम केवल 300 इलेक्ट्रिक बसें ही खरीद सका. बसों की आपूर्ति में देरी के लिए 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूल नहीं किया गया. बसें पुरानी होती गईं, जिससे ऑपरेशनल क्वालिटी में गिरावट आई. DTC के बेड़े में पुरानी बसों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में जहां केवल 0.13% बसें ओवरएज थीं, वहीं यह आंकड़ा 2023 तक बढ़कर 44.96% तक पहुंच गया है.
ऑपरेशनल कैपेसिटी पर असर
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि नए बसों की खरीदारी नहीं होने से ऑपरेशनल कैपेसिटी प्रभावित हो रही है. बसों की उपलब्धता और उनकी दैनिक उत्पादकता राष्ट्रीय औसत से कम रही. निगम की बसें प्रतिदिन औसतन 180 से 201 किलोमीटर ही चल सकीं, जो निर्धारित लक्ष्य (189-200 किमी) से कम था. बसों के बार-बार खराब होने और रूट प्लानिंग में खामियों के कारण 2015-22 के बीच 668.60 करोड़ रुपये का संभावित राजस्व नुकसान हुआ.सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015-22 के दौरान प्रतिदिन एक बस का परिचालन 180 किलोमीटर (किमी) से लेकर 201 किलोमीटर तक रही, जबकि लक्ष्य 189 से 200 किलोमीटर प्रति बस था. इसका कारण बसों का बार-बार खराब होना और 31 मार्च 2022 तक इसके बेड़े में 656 पुरानी बसें होना था. बस रूटों की प्लानिंग में कमी थी. 31 मार्च 2022 तक निगम 814 रूटों में से 468 रूटों (57 प्रतिशत) पर परिचालन कर रहा था. डीटीसी अपने द्वारा संचालित किसी भी रूट पर अपनी परिचालन लागत वसूलने में असमर्थ रहा. परिणामस्वरूप, 2015-22 के दौरान परिचालन पर उसे 14,198.86 करोड़ का परिचालन घाटा हुआ. इस दौरान ब्रेकडाउन की संख्या बढ़ने से 668.60 करोड़ के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ.
लचर मैनेजमेंट
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, DTC के पास किराया निर्धारण की स्वतंत्रता न होने के कारण दिल्ली परिवहन निगम अपना ऑपरेशनल कॉस्ट भी नहीं निकाल सका. दिल्ली सरकार साल 2009 के बाद से बस किराये में कोई वृद्धि नहीं कर पाई, जिससे DTC की आय प्रभावित हुई. एडवर्टीजेमेंट कॉन्ट्रैक्ट में देरी और डिपो की खाली जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल न करने से भी निगम को संभावित राजस्व का नुकसान हुआ. इसके अलावा, 225.31 करोड़ रुपये सरकार से विभिन्न मदों में वसूलने बाकी हैं.
CCTV कैमरे पूरी तरह से चालू नहीं
DTC की कई तकनीकी परियोजनाएं भी निष्प्रभावी साबित हुईं. स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (AFCS) 2017 में लागू की गई थी, लेकिन 2020 से यह डीएक्टिव पड़ी है. साल 2021 में 52.45 करोड़ रुपये खर्च कर बसों में लगाए गए CCTV कैमरे भी अब तक पूरी तरह से चालू नहीं हो सके हैं. DTC में प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण की भारी कमी देखी गई. स्टाफ की सही संख्या तय करने की कोई नीति नहीं बनाई गई, जिससे चालक, तकनीशियन और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भारी कमी रही. वहीं, कंडक्टरों की संख्या आवश्यकता से अधिक पाई गई.