सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़-सवांददाता ब्युरो चीफ
इस साल होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को रात्रि 11:28 के बाद ही होगा। वहीं 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली खेली जाएगी। आइए जानते हैं होलिका दहन के आवश्यक नियम और पूजा विधि-
ज्योतिषाचार्य पं.बनवारी लाल पारीक
इस वर्ष श्री शुभ विक्रमीय संवत्, 2081 को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि दिनांक 13 मार्च 2025,गुरुवार को सूर्योदय से लेकर सुबह 10:37 तक व्याप्त रहेगी,तत्पश्चात पूर्णिमा तिथि आरम्भ हो जाएगी। भद्रा करण,सुबह 10:37 से आरम्भ होकर रात्रि 11:28 तक रहेगा। अत: होलिका दहन 13 मार्च गुरुवार को रात्रि 11:28 के बाद ही होगा। व्रत की पूर्णिमा भी 13 मार्च को होगी। भद्रा में होलिका दहन का निषेध हमारे धर्मशास्त्रो में लिखा है। अत: भद्रा के बाद ही होलिका दहन धर्मसम्मत है। होलिका दहन का मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 28 मिनट से रात्रि 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
शुक्रवार, 14 मार्च 2025 को स्नान दान की पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रयुता परम पुण्यदायिनी फाल्गुनी पूर्णिमा दोपहर 12:23 तक रहेगी। इसके पश्चात चैत्र कृष्ण प्रतिपदा प्रारंभ होगी। इसलिए 14 मार्च को दोपहर के बाद रंग वाली होली रहेगी। किंतु उदया तिथि के अनुसार 15 मार्च को प्रतिपदा सूर्योदय के समय व्याप्त रहेगी,इसलिए 14 मार्च शुक्रवार को अंझा रहेगा। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि,15 मार्च शनिवार को सूर्योदय से दोपहर 02 बजकर 33 मिनट तक रहेगी,अत: धुरड्डी (छारेन्डी) जिसे शुद्ध रूप से होलिका विभूति धारण कहा जाता है वह शनिवार को मनाना ही धर्मसम्मत है। 16 मार्च को द्वितीया तिथि सूर्योदय से सायंकाल 5 बजे तक रहेगी इसलिए भाई दूज का पर्व 16 मार्च रविवार को मनाया जाएगा।
14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। लेकिन भारत मे मान्य नही।
14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगेगा। हालांकि इस ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होने की वजह से यहां पर ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए यहां ग्रहण को लेकर नियम नहीं मान्य होगा।
होलिका दहन पर करें ये उपाय-
⚫️होलिका दहन के समय परिवार के लोगों द्वारा एक साथ होलिका की परिक्रमा करना शुभ होता है। परिक्रमा लेते वक़्त होलिका में चना,मटर,गेहूं,अलसी अवश्य डालें। इसे धन लाभ का अचूक उपाय माना गया है।
⚫️मान्यता अनुसार होली वाली रात पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर,पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाएं। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता हैं।
⚫️होलिका दहन के अगले दिन सबसे पहले मंदिर जाकर देवी-देवताओं को गुलाल चढ़ाना चाहिए,उसके बाद ही होली खेलनी चाहिए।
⚫️होलिका के जलने के दौरान उसमें कपूर डालने से हमारे आसपास मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
⚫️होलिका दहन के समय सरसों के कुछ दाने होलिका को अर्पित कर मां लक्ष्मी को याद करें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी घर पर कृपा करती हैं।
होलिका दहन के आवश्यक नियम और पूजा विधि-
हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित काल पूर्णिमा तिथि के प्रबल होने पर ही किया जाना चाहिए। घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए दहन से पहले होलिका पूजा का विशेष महत्व होता है।होलिका पूजन करते समय अपना मुंह पूर्व या उत्तर की ओर करके बैठे। पूजन की थाली में पूजा सामग्री जैसे: रोली,पुष्प,माला,नारियल,कच्चा सूत साबुत हल्दी,मूंग,गुलाल और पांच तरह के अनाज,गेहूं की बालियां व एक लोटा जल होना चाहिए। होलिका के चारों ओर सहपरिवार सात परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। इसके पश्चात विधिवत तरीके से पूजन के बाद होलिका को जल का अर्घ्य दें और सूर्यास्त के बाद भद्रा रहित काल में होलिका का दहन करें। होलिका दहन की राख बेहद पवित्र मानी जाती है। इसलिए होलिका दहन के अगले दिन सुबह के समय इस राख को शरीर पर मलने से समस्त रोग और दुखों का नाश किया जा सकता है।
होलिका दहन के मंत्र
होलिका दहन के दौरान मंत्र जाप किया जाता है। हालांकि यह अलग-अलग स्थानों और पूजा पद्धतियों में अलग हो सकता है,लेकिन होलिका पूजन के दौरान इस मंत्र का जप सकते हैंः
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।
इसी तरह होली की भस्म अपने शरीर पर लगाने के दौरान नीचे दिए गए मंत्र का उच्चारण किया जा सकता हैः
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
होलिका दहन की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसके ठीक विपरीत होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते है।
करें माँ लक्ष्मी की पूजा-
मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होली पर भी होता है। आपके घर पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है और पूरे साल आपके घर और घर के लोगों पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद रहता है। सभी की तरक्की होती है और करियर में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानते हैं होली की रात में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ अचूक उपाय जो आपको तरक्की के साथ सुख समृद्धि भी देगे
होलीका दहन की रात आजमाएं महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय।
पूरे साल होगी बरकत मां लक्ष्मी को खीर सबसे ज्यादा प्रिय है। होली की रात मां लक्ष्मी को केसर,दूध और मखाने की बनी खीर का भोग लगाएं। इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होकर आपको सुखी और संपन्न रहने का आशीर्वाद देती हैं। इस खीर का भोग लगाने के बाद आधी खीर किसी जरूरतमंद कन्या को दान करें और बाकी आधी खीर पूरे परिवार को प्रसाद के रूप में बांट दें। परिवार के सभी लोगों की पूरे साल तरक्की होगी। मां लक्ष्मी का प्रिय फल होता है श्रीफल यानी कि नारियल। एक नारियल लें और उसे ऊपर से फोड़कर उसमें मिश्री भर दें और फिर उसे होली की अग्नि में चढ़ा दें। इस उपाय को करने से आपकी आर्थिक तंगी दूर होती है। नारियल को चढ़ाने के बाद होली के चारों तरफ 11 बार परिक्रमा करें और इस उपाय को करने से आपको धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।
अधिक जानकारी के लिए ज्योतिषाचार्य पं.बनवारी लाल पारीक सम्पर्क कर सकते है।
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