भारतीय शेयर बाजारों में आज 24 फरवरी को बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स और निफ्टी लगातार 5वें दिन गिरकर लाल निशान में बंद हुए। फरवरी महीने में अबतक सेंसेक्स और निफ्टी करीब 4 फीसदी तक टूट चुके हैं। छोटे और मझोले शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.78 और स्मॉलकैप इंडेक्स 1.31 फीसदी टूटकर बंद हुए। इसके चलते निवेशकों की संपत्ति आज दिन भर में करीब 4.22 लाख करोड़ रुपये डूब गई। ऑटो और FMCG इंडेक्स को छोड़ दें तो बाकी सभी सेक्टोरल इंडेक्स भी लाल निशान में बंद हुए। सबसे अधिक गिरावट ऑटो और मेटल शेयरों में देखने को मिली।
कारोबार के अंत में, बीएसई सेंसेक्स 856.66 अंक या 1.14 फीसदी की गिरावट के साथ 774,454.41 अंक पर बंद हुआ। वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला इंडेक्स, निफ्टी 243.40 अंक या 1.07 फीसदी लुढ़ककर 22,552.50 के स्तर पर बंद हुआ।
निवेशकों के ₹4.22 लाख करोड़ डूबे
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन आज 24 फरवरी को घटकर 397.98 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो इसके पिछले कारोबारी दिन यानी शुक्रवार 21 फरवरी को 402.20 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस तरह BSE में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप आज करीब 4.22 लाख करोड़ रुपये घटा है। या दूसरे शब्दों में कहें तो निवेशकों की संपत्ति में करीब 4.22 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है।
एनएसई के क्षेत्रीय सूचकांकों में निफ्टी आईटी में सबसे ज्यादा 2.50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. मेटल, ऑयल एंड गैस और बैंक सूचकांकों में करीब 1.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. हालांकि, निफ्टी का फार्मा इंडेक्स 0.20 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है.
बाजार में गिरावट के तीन मुख्य कारण (Share Market Update)
धीमी अमेरिकी वृद्धि: धीमी कारोबारी गतिविधि और कमजोर उपभोक्ता भावना के संकेतों के बाद शुक्रवार को अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए. सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला है कि अमेरिका में कारोबारी गतिविधि 17 महीने के निचले स्तर पर आ गई है, जो आर्थिक अनिश्चितताओं को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है.
ट्रंप टैरिफ से अनिश्चितता: भारत समेत अन्य देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की ट्रंप की धमकी से बाजार में अनिश्चितता है. ट्रंप ने कहा, “हम पारस्परिक टैरिफ लगाएंगे. कोई भी देश, चाहे वह भारत हो या चीन, हम उतना ही टैरिफ लगाएंगे, जितना वे हमसे वसूलेंगे. हम व्यापार में समानता चाहते हैं.”
एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली: शुक्रवार को एफआईआई ने 3,449.15 करोड़ रुपए के शेयर्स बेचे. इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 23,710 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिकवाली की है. इससे 2025 में कुल 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी हो चुकी है.
वैश्विक बाजार में गिरावट (Share Market Update)
एशियाई बाजारों में कोरिया का कोस्पी 0.62 प्रतिशत नीचे है. हांगकांग का हैंग सेंग 0.54 प्रतिशत और चीन का शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 0.11 प्रतिशत की गिरावट में है.
21 फरवरी को विदेशी निवेशकों (FII) ने 3,449.15 करोड़ रुपए के शेयर्स बेचे. इस दौरान घरेलू निवेशकों (DII) ने 2,884.61 करोड़ रुपए के शेयर्स खरीदे.
अमेरिकी बाजार में, 21 फरवरी को:
डाउ जोंस 1.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 43,428 पर बंद हुआ.
S&P 500 इंडेक्स 1.71 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ.
नैस्डैक 2.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,524 पर क्लोज हुआ.
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सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी 21 फरवरी को सेंसेक्स 424 अंकों की गिरावट के साथ 75,311 पर बंद हुआ. निफ्टी में भी 117 अंकों की गिरावट दर्ज की गई, और यह 22,795 पर क्लोज हुआ.
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 22 में गिरावट और 8 में तेजी रही. वहीं, निफ्टी के 50 शेयरों में से 37 में गिरावट और 13 में तेजी रही. एनएसई सेक्टोरल इंडेक्स के ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा 2.58 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी सोमवार (24 फरवरी 2025) को शुरुआती कारोबार में क्रैश कर गए। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निरंतर बिकवाली और अमेरिकी टैरिफ को लेकर भारतीय निवेशक काफी चिंतित हैं। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 567.62 अंक गिरकर 74,743.44 पर पहुंच गया। वहीं, एनएसई का निफ्टी 188.4 अंक गिरकर 22,607.50 पर आ गया। दोनों प्रमुख सूचकांक बाद में 1 फीसदी से अधिक गिर गए।
सेंसेक्स पैक में HCL टेक, इंडसइंड बैंक, जोमैटो, टेक महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, ICICI बैंक, HDFC बैंक और पावर ग्रिड प्रमुख रूप से नुकसान में रहे। वहीं, मारुति और महिंद्रा एंड महिंद्रा हरे निशान में रहे। शेयर बाजार डेटा के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 3,449.15 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची थी।
इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। इससे 2025 में कुल निकासी एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है, जो वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने की वजह से हुआ है।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, “बाजार लगातार एफआईआई बिकवाली और ट्रंप टैरिफ से संबंधित वैश्विक अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है। चीन के शेयरों में तेज उछाल से भी मुश्किल बढ़ रही है। अमेरिका में महंगाई बढ़ने की आशंका है। इसलिए फेड द्वारा दरों में कटौती की उम्मीद कम होती जा रही है।”
एशियाई बाजारों में सियोल, शंघाई और हांगकांग लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को काफी गिरावट के साथ बंद हुए थे। वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 2.13 प्रतिशत गिरकर 74.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शुक्रवार को लगातार चौथे दिन गिरावट का सामना करते हुए, बीएसई सूचकांक 424.90 अंक यानी 0.56 प्रतिशत गिरकर 75,311.06 पर बंद हुआ था। वहीं, निफ्टी 117.25 अंक यानी 0.51 प्रतिशत गिरकर 22,795.90 पर बंद हुआ था।
डॉलर के मुकाबले रुपये का हाल
अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के कमजोर होने के बीच सोमवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 1 पैसे बढ़कर 86.67 पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि सुबह के कारोबार में घरेलू इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और एफआईआई की निरंतर निकासी ने आगे की बढ़त को रोक दिया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में घरेलू इकाई अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की बढ़त के साथ 86.58 पर खुली, लेकिन शुरुआती बढ़त को खोते हुए 86.67 पर पहुंच गई, जो शुक्रवार के बंद से सिर्फ 1 पैसे अधिक है। शुक्रवार को रुपये ने शुरुआती बढ़त गंवा दी और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 4 पैसे कम होकर 86.68 पर बंद हुआ था।