गंगेश कुमार पाण्डेय
(ब्यूरोचीफ) सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश
“सुलतानपुर में पकड़ा गया पंजाब का संदिग्ध, महाकुंभ में हाई अलर्ट“
सत्यार्थ न्यूज़ सुलतानपुर:
महाकुंभ में हाई अलर्ट, सुलतानपुर में पकड़ा गया पंजाब का संदिग्ध:एनआईए-एटीएस कर रही पूछताछ; फर्जी आईडी मिली।
देश दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले जिसमें 40 करोड़ श्रद्धालुओं की आवाजाही है। केंद्र और यूपी सरकार की साख जुड़ी है। हर रोज कई करोड़ की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज महाकुंभ पहुंच रहे हैं। सुरक्षा में सभी एजेंसियां जुटी है। गणतंत्र दिवस पर आतंकी गतिविधियों को लेकर विशेष चौकसी होती है। इसी में सबसे बड़े स्नान पर्व मौनी अमावस्या के इंतजाम को लेकर हाई अलर्ट हुआ है।
महाकुंभ मेले में शुक्रवार रात ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। कॉल इंटरसेप्ट, सर्विलांस के जरिए सुरक्षा एजेंसियों ने एक मैसेज पकड़ने के बाद सुलतानपुर से एक संदिग्ध को उठाया है। यूपी के सुल्तानपुर में पकड़े गए इस युवक का नाम मान सिंह बताया जा रहा है। यह पंजाब का रहने वाला है। सुलतानपुर में सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आए इस युवक के पास फर्जी आई मिली है। साथ ही महाकुंभ से जुड़े दस्तावेज, फोटो और वीडियो मिले हैं।
पंजाब के रहने वाले इस युवक के पकड़े जाने के बाद एनआईए, एटीएस, आईबी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी करते हुए इससे पूछताछ शुरू कर दी है।
फर्जी पहचान पत्र बनाकर किराए में मकान में रह रहा था मान सिंह जांच में पता चला कि आरोपी ने खुद को सुल्तानपुर के कादीपुर स्थित तौकलपुर नगरा का निवासी बताकर फर्जी पहचान पत्र बनवाया था। इसके बाद वह किराए के मकान में रहने लगा था।
जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने बड़ौदा यूपी बैंक की सूरापुर शाखा में फर्जी आधार कार्ड, निर्वाचन कार्ड और आजमगढ़ के बूढ़नपुर से जारी जन्म प्रमाण पत्र जमा किया था। एटीएस ने जब इस पते की जांच की तो पता चला कि वहां इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता।
आरोपी ने बताया- वह विदेश जाना चाहता था पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह विदेश जाना चाहता था, जिसके लिए उसने पिछले साल अप्रैल में सुलतानपुर के पते से पासपोर्ट के लिए आवेदन भी किया था। एटीएस ने आरोपी के खिलाफ स्थानीय थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया है। बरामद किए गए फर्जी दस्तावेजों की जांच की जा रही है।
मेले में शुक्रवार रात ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
मेले में शुक्रवार रात ही हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।
चूंकि खालिस्तान समर्थन पन्नू कई बार आतंकी हमलों की धमकी दे चुका है। साथ ही महाकुंभ में लगी भीषण आग पर वह हमले की जिम्मेदारी ले चुका है, ऐसे में पंजाब के संदिग्ध युवक के पकड़े जाने के बाद मामला गंभीर हो गया है। हालांकि अभी अधिकृत तौर पर इस बारे में सुरक्षा एजेंसियों ने कुछ नहीं कहा है, न ही यूपी पुलिस ने इस बारे में तस्वीर साफ की है।
गणतंत्र दिवस, मौनी अमावस्या के मद्देनजर सभी सुरक्षा एजेंसियों ने मंथन के बाद महाकुंभ में हाई अलर्ट जारी किया है। 25 जनवरी की रात सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ यूपी पुलिस के आला अफसरों की गोपनीय बैठक तय है। इसके बाद महाकुंभ के सिक्योरिटी प्लान को नए सिरे लागू करने की तैयारी है। इसकी रिपोर्ट सीएम योगी डीजीपी को दी जाएी।
पहली बार महाकुंभ में एंटी ड्रोन सिस्टम ऑपरेट करेगा। –
पहली बार महाकुंभ में एंटी ड्रोन सिस्टम ऑपरेट करेगा।
सुरक्षा इंतजाम में ये भी जानिए खास महाकुंभ : ABC के साथ 10 ऑपरेशनल प्लान, सुरक्षा–खुफिया एजेंसियों के साथ सेना भी रहेगी, ड्रोन हमले से निपटेंगे।
देश–दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले महाकुंभ 2025 का सिक्योरिटी प्लान अब तक हुए सुरक्षा इंतजामों को काफी पीछे छोड़ गया है। खालिस्तान समर्थक आतंकी पन्नू समेत अन्य आतंकी संगठनों के निशाने पर महाकुंभ की भीड़ हो सकती है। ऐसे में सिक्योरिटी प्लान केंद्रीय एजेंसियों संग मंथन के बाद फाइनल हुआ। 40 करोड़ लोगों की सुरक्षा का सवाल है, ऐसे में हाईटेक सुरक्षा उपकरणों से पूरे मेले को लैस किया गया है। आतंकी गतिविधियों खासकर ड्रोन अटैक के बढ़ते खतरों को देखते हुए पहली बार महाकुंभ में एंटी ड्रोन सिस्टम ऑपरेट करेगा।
पहली बार सुरक्षा के लिए अंडर वॉटर ड्रोन की तैनाती की गई है।
साथ ही न्यूक्लियर, रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और एक्सप्लोसिव हमने से निपटने के हाईटेक सुरक्षा इंतजाम हुए हैं।
अंडर वाटर ड्रोन की तैनाती यूं तो महाकुंभ में जमीन, पानी और आसमान के रास्ते सुरक्षा के इंतजाम होते रहे हैं। पहली बार सुरक्षा के लिए अंडर वाटर ड्रोन की तैनाती की गई है। गंगा–यमुना–सरस्वती की लहरों के बीच अंडर वॉटर ड्रोन 24 घंटे पानी के भीतर निगरानी करेगा। पानी के नीचे 100 से 200 मीटर तक गहराई में इसके कैमरे हर गतिविधियों को कैद करेंगे और अलर्ट जारी करेंगे।
AI-संचालित कैमरे पुलिस कंट्रोल रूम में सीधे लाइव होंगे इसके साथ ही पहली बार सिक्योरिटी और क्राउड मैनेजमेंट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का जाल है। AI-संचालित कैमरे आईट्रिपलसी और पुलिस कंट्रोल रूम में सीधे लाइव होंगे। मेला क्षेत्र के साथ ही शहरों के प्रवेश मार्ग और रेलवे स्टेशन पर भी एआई सेटअप किया गया है।
महाकुंभ के सिक्योरिटी प्लान में ए–बी–सी प्लान तो है ही, साथ ही सुरक्षा एजेंसियों ने 10 ऑपरेशनल प्लान की रूपरेखा तैयार की है। ये ऑपरेशनल प्लान किसी अनहोनी पर लागू होंगे। इसे तैयार करने में सुरक्षा एजेंसियां, खुफिया, एनआईए, एटीएस, पुलिस, पैरामिलिट्री के अफसरों के बीच मंथन हुआ है। इन ऑपरेशनल प्लान के लिए सेना के अफसरों के साथ भी बैठकें हो चुकी हैं। सभी एजेंसियों के समन्वय के लिए एक टीम बनी है।
यूं तो सुरक्षा की कड़ी में मॉडर्न हथियारों से लैस कमांडो, स्नाइपर्स वॉच टावरों पर तैनात होंगे लेकिन प्रमुख स्नान पर्व पर सुरक्षा की जिम्मेदारी में भारतीय सेना भी तैनात रहेगी। सेना के हेलीकॉप्टर आसमान में निगरानी करेंगे।
10 जोन, 25 सेक्टर, 56 पुलिस स्टेशन और 155 चौकियां
60000 पुलिसकर्मियों की तैनाती
10,000 अधिक अधिकारी तैनात
14000 होमगार्ड की तैनाती
3000 महिला पुलिसकर्मी
250 महिला पुलिस अधिकारी
8000 राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) जवान
14000 आरपीएफ जवान
45 कंपनी पीएसी
पैरामिलिट्री, आरएएफ की 20 कंपनी
7000 फायर सर्विस के जवान
2700 सीसीटीवी कैमरे
एनआईए, एटीएस, एसटीएफ, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ
ड्रोन से निगरानी के लिए 30 टीमें
25 स्टीमर, क्रूज और जल पुलिस की बोट के जरिए 24 घंटे निगरानी
सभी पांटून पुल, शहर के बड़े ब्रिज पर 24 घंटे कमांडों, पैरामिलिट्री के जवान तैनात
घुड़सवार पुलिस 155 ट्रेन घोड़ों के जरिए 24 घंटे गश्त।
6 फायर फाइटिंग बोट्स, रिमोट कंट्रोल्ड रोबोट की तैनाती
10 ऑपरेशनल सिक्योरिटी प्लान…
1. भगदड़ होने, अफरातफरी के हालात पर क्या करेंगे। शहर से मेला क्षेत्र की आवाजाही कैसे होल्ड करेंगे। भीड़ को मैदान में बने बल्लियों के घेरे के बीच रोकेंगे।
2. धमाका, पटाखा, या फिर तेज आवाज वाली डरा सकने वाले हालात पर कौन सी टीमें एक्टिव होंगी। हर लोकेशन, प्वाइंट के अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी तय कर दी गई है। दूसरी टीमें इस सिचवेशन के वक्त उस टीम के निर्देश पर काम करेंगी।
3. केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर अटैक के हालात के लिए स्पेशल टीमें कूदेंगी। इसमें एक्सपर्ट, डॉक्टर, फायर सर्विस के अधिकारियों को लगाया गया है।
शेष टीमें उस इलाके से भीड़ को दूर करने के लिए होंगी। यह टीमें फोर्स को निर्देश जारी करेंगी।
4. भीड़ को रौंदने के हालात के मद्देनजर प्लान तैयार हुआ है। विदेशों में इस प्रकार के हमले, पागलपन की घटनाएं सामने आती रहीं हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इसे लेकर स्नाइपर्स के साथ मिलकर उसे काबू करने की प्लानिंग की है। साथ ही दोनों साइड से रास्ता ब्लाक करने के लिए अलग से टीमें होंगी।
5. मेला क्षेत्र में संदिग्ध के घुसने का पता चलने पर स्पेशल टीमें ही ऑपरेशन में कूदेंगी। पूरी फोर्स को इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी ताकि मामला पैनिक न हो। उसे टारगेट पर लेने के लए स्पेशल टीमें लगेंगी।
6. एक जगह पर अत्याधिक भीड़ का का पता एआई के जरिए लगेगा लेकिन उसे मैनेज करने के लिए सीधे पुलिसकर्मियों को वायरलेस, फोन के जरिए नहीं कहा जाएगा। एआई कंट्रोल रूम से अलर्ट जारी होने के बाद क्विक रिएक्शन टीमें मैनेजमेंट संभालेंगी।
7. स्नान के दौरान पानी के भीतर अनहोनी के हालात पर संगम नोज समेत अन्य घाटों से श्रद्धालुओं को दूर कैसे ले जाया जाएगा। बिना बताए इस मैनेजमेंट को संभालने के लिए विशेष दस्ता होगा। अनाउंस नहीं किया जाएगा।
8. मुख्य स्नान के दिन कॉल ट्रैपिंग, जैमर, जीपीएस लोकेशन आदि की जिम्मेदारी आईटी एक्सपर्ट की टीम को दी गई है। इसकें हैकिंग के जरिये अफरातफरी के मद्देनजर भी तैयारी है।
9. ट्रेनों, बसों, पार्किंग स्थलों पर वारदात के लिए अफसरों की अलग टीम का टीम का फोकस होगा। मेले में कुछ भी हो यह टीमें अपने प्वाइंट पर ही वर्क करेंगी। वहां कुछ होने पर स्पेशल दस्ता रवाना होगा।
10. किसी एक कार्यालय, एक स्पाट, एक होटल, रेस्टोरेंट, दुकान, नाव, गाड़ी के जरिये वारदात होती है तो उस इलाके की घेराबंदी किस टीम को करनी है यह पहले ये तय होगा। वही टीम उस इलाके को सील कर देगी। दूसरी टीमें अपने प्वाइंट पर मौजूद रहेंगी।
जानिए एंटी ड्रोन सिस्टम महाकुंभ के सिक्योरिटी प्लान में एंटी ड्रोन सिस्टम अहम पहलू है। पूरे मेला क्षेत्र में एंट्री ड्रोन सिस्टम ऑपरेट करेगा। यदि कोई ड्रोन उड़ाने की कोशिश करेगा तो कंट्रोल रूम में रेड सिग्नल आएंगे। लोकेशन ट्रेस होगी, कौन सा ड्रोन है, उसमें क्या है, दूरी कितनी है, किस साइड से हवा में जाने की कोशिश की गई यह सारा डॉटा टीम को पल भर में पता चल जाएगा।
एंटी ड्रोन सिस्टम ड्रोन का पता लगाने का काम करता है। सिस्टम में ड्रोन को निष्क्रिय करने की क्षमता होती है। टारगेट एरिया तक आसमान की निगरानी होती है। कैमरा सेंसर नजर रखता है। खतरा भांप ड्रोन संचार को जाम करता है। ड्रोन कैसा भी हो उसे बेअसर करने की क्षमता होती है।
एंटी ड्रोन सिस्टम को मानवरहित एरियल सिस्टम भी कहा जाता है। यह सेंसर आर्किटेक्चर की तरह है। इसका उद्देश्य ड्रोन हमलों के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करना है। कितने प्रकार के सिस्टम
मल्टी सेंसर सेटअप
आरएफ आधारित ड्रोन डिटेक्टर (आरएफडीडी)
वीडियो आधारित ड्रोन पहचान और ट्रैकिंग (वीडीआईटी)
राडार
डेटा फ़्यूज़न और कमांड सेंटर (डीएफसीसी)
ड्रोन आरएफ जैमर (डीआरएफजे)
इसके जरिए स्वायत्त ड्रोन (ड्रोन और ऑपरेटर के बीच लिंक के बिना उड़ान भरने वाले) का पता लगाया जाता है। ड्रोन को ट्रेस करने के लिए राडार सबसे अच्छा विकल्प है। एक एक्स बैंड 3डी राडार अधिकतम चुनी गई सीमा के अनुसार ड्रोन का पता लगाता है। साथ ही लक्ष्य निर्देशांक के बारे में सटीक डेटा प्रदान करता है। राडार ड्रोन की ऊंचाई का डेटा प्रदान करता है। खतरों की प्रभावी दूरस्थ निगरानी के लिए राडार से फ़ीड को डेटा फ़्यूज़न सेंटर में एकीकृत करता है।
केमिकल अटैक से निपटने को तैयार स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन), एमएलएन मेडिकल कॉलेज में केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर (CBRN) अटैक ट्रीटमेंट यूनिट की स्थापना हुई है। यह मॉडर्न प्रयोगशाला भारत में एम्स नई दिल्ली के बाद दूसरी ऐसी इकाई है। इस प्रयोगशाला का उद्देश्य रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर खतरों से जुड़े आपातकालीन स्थितियों में प्रभावी इलाज और अनुसंधान की सुविधा प्रदान करना है।