सत्यार्थ न्यूज श्रीडूंगरगढ़-ब्युरो चीफ रमाकान्त
मकर संक्रान्ति पर्व के शुभ दिवस को प्रयागराज के संगम में लगभग दो करोड़ लोगों ने स्नान कर कुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सभी 22 सेक्टरों से प्रातः अढाई बजे से ही लोग स्नान को उमड़ पड़े। प्रातः छत्र-चंवर के साथ सुसज्जित रथों में सवार होकर सभी अखाड़ों से जुड़े साधु-महंतों ने शाही स्नान किया। संतों की अपार उपस्थिति के कारण स्नान में पांच-छह घंटे का समय लग रहा था। दोपहर बाद सामान्य जनों के स्नान की बारी आई। जब किन्नर अखाड़ा के किन्नर स्नान करने गये तो हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। इधर निम्बार्क संप्रदाय की सर्वेश्वर स्वभूराम पीठ में सप्त दिवस भागवत की कथा करते हुए पीठाधीश्वर श्री राधा मोहन शरण देवाचार्यजी ने रास पंचाध्यायी की कथा के प्रसंगों को खोलकर बताया, आपने कहा कि भगवान रस रूप है। रस ही आनंद में परिणत होता है। गोपियों के रूप में अपने भक्तों को सात्विक आनंद प्रदान करने के लिए श्री कृष्ण ने वेणु वादन किया। वेणु के निनाद को सुनकर गोपियां दौड़ी चली आई। भगवान ने योगमाया का आसरा लेकर ऐसी बांसुरी बजाई कि गोपियां अपने हाथ के समस्त कार्यों को छोड़कर भागी चली आईं। इस समय जड़ और चेतन श्रीकृष्ण से मिलने को आतुर हो गया। संत श्री ने कहा कि भगवद् प्राप्ति में तन्मयता आवश्यक है। जिसकी तत्मयता जितनी गहरी, भगवान उतनी ही शीघ्रता से मिलते हैं। गोपी गीत से यही शिक्षा प्राप्त होती है कि गोपियाँ श्री कृष्ण को अपना प्राणधन मानती हैं। आज के शाही स्नान में श्री राधा मोहन शरणजी के साथ उनका पूरा परिकर भी स्नान करने पहुंचा। कथा आयोजक हरि प्रसाद जांगिड़ परिवार ने भागवत कथा के रुकमणि विवाह के अवसर पर रुकमणिजी को पितृधन के साथ विदा किया।