नई दिल्ली:- दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक 25 दिन पहले शराब नीति को लेकर CAG यानी कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया की रिपोर्ट लीक हो गई है। इसमें बताया गया है कि सरकार को शराब नीति से 2026 करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस हुआ है। इंडिया टुडे ने दावा किया है कि उनके पास CAG रिपोर्ट की कॉपी है। इसमें बताया गया है कि दिल्ली शराब नीति में काफी गड़बड़ियां थीं। खासकर लाइसेंस देने में काफी खामी पाई गई है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की एक रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के कारण सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का पता चला है। लीक हुई कैग रिपोर्ट के हवाले से एक निजी मीडिया समूह ने दावा किया है कि इसमें लाइसेंस जारी करने में महत्वपूर्ण खामियों, नीतिगत विचलन और उल्लंघनों पर प्रकाश डालती है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि नीति अपने इच्छित लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही और आप नेताओं को कथित तौर पर रिश्वत से लाभ हुआ। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व वाले मंत्रियों के समूह (जीओएम) द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया था।
नवंबर 2021 में पेश की गई शराब नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में शराब खुदरा परिदृश्य को पुनर्जीवित करना और राजस्व को अधिकतम करना था। हालाँकि, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण ईडी और सीबीआई द्वारा जांच की गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि, उन्हें पिछले साल जमानत दे दी गई थी। सीएजी रिपोर्ट, जिसे अभी दिल्ली विधानसभा में पेश किया जाना है। रिपोर्ट में कहा गया कि पता चला कि सभी संस्थाओं को शिकायतों के बावजूद बोली लगाने की अनुमति दी गई थी, और बोलीदाताओं की वित्तीय स्थितियों की जांच नहीं की गई थी। इसमें कहा गया है कि घाटे की रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को भी अनुमति दे दी गई, या उनके लाइसेंस नवीनीकृत कर दिए गए।
इसके अतिरिक्त, सीएजी ने पाया कि उल्लंघनकर्ताओं को जानबूझकर दंडित नहीं किया गया। इसने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि नीति से संबंधित प्रमुख निर्णय कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना लिए गए थे। इसके अलावा, आधिकारिक प्रक्रिया के विपरीत, नए नियमों को अनुसमर्थन के लिए विधानसभा के समक्ष पेश नहीं किया गया। सीएजी ने नई नीति के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में भी खामियाँ निकालीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां कुछ खुदरा विक्रेताओं ने पॉलिसी की समाप्ति तक अपने लाइसेंस बरकरार रखे, वहीं कुछ ने अवधि समाप्त होने से पहले उन्हें सरेंडर कर दिया।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विवादित आबकारी नीति बनाते समय नियम-कायदों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे सरकारी खजाने को 2,026 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह खुलासा शनिवार को सार्वजनिक हुई कैग (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ। यह रिपोर्ट दिल्ली में 5 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आई है। इसमें बड़े घोटालों का खुलासा हुआ है, जैसे – कीमत तय करने में पारदर्शिता की कमी, लाइसेंस जारी और नवीनीकरण में नियमों का उल्लंघन, गड़बड़ियां करने वालों को दंडित न करना, और उपराज्यपाल, कैबिनेट या विधानसभा से मंजूरी न लेना। लाइसेंस देने से पहले कंपनियों की वित्तीय स्थिति को जांचा नहीं गया। यहां तक कि घाटे में चल रही कंपनी को भी लाइसेंस दे दिया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने जो रिटेल शराब लाइसेंस छोड़े गए थे, उनके लिए फिर से टेंडर नहीं निकाला, जिससे खजाने को लगभग 890 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा, जोनल लाइसेंसधारियों को दी गई छूट से 941 करोड़ रुपये का और नुकसान हुआ।इसके अलावा, कोविड प्रतिबंधों के आधार पर जोनल लाइसेंसधारकों को 144 करोड़ रुपये की लाइसेंस शुल्क छूट दी गई, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को राजस्व की हानि हुई। जबकि अनुबंध में ऐसा प्रावधान नहीं था। वहीं, सुरक्षा जमा राशि को सही तरीके से नहीं वसूला गया जिससे 27 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ।
कैग ने यह भी कहा कि मंत्रियों के समूह, जिसकी अगुवाई मनीष सिसोदिया कर रहे थे, ने विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को नजरअंदाज किया और अयोग्य कंपनियों को लाइसेंस के लिए बोली लगाने की अनुमति दी। विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान नहीं दिया गया, जबकि नीति बनाने में यह जरूरी था। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस रिपोर्ट को फर्जी बताया है, लेकिन इसमें कहा गया है कि नीति लागू करने में कई खामियां थीं। कुछ रिटेलर पूरे नीति अवधि तक लाइसेंस रखते रहे, जबकि कुछ ने पहले ही अपने लाइसेंस वापस कर दिए। कुल मिलाकर नीति को सही तरीके से लागू नहीं किया गया, जिससे इसके उद्देश्यों को हासिल नहीं किया जा सका। इन अनियमितताओं के कारण केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य अधिकारियों पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए हैं। यह मुद्दा चुनावी माहौल में राजनीतिक गर्मी बढ़ाने वाला है।उल्लेखनीय है कि दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों के लिए 5 फरवरी को मतदान होगा और 8 फरवरी को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
उपराज्यपाल से नहीं ली मंजूरी
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आम आदमी पार्टी के लीडर्स को घूस के द्वारा फायदा पहुँचाया गया है। इसकी अगुवाई डिप्टी चीफ मिनिस्टर कर रहे थे, वो जिस ग्रुप को देख रहे थे, वहाँ के एक्सपर्ट पैनल के सुझावों को उन्होंने ख़ारिज कर दिया था। कैबिनेट में नीति को मंजूरी दे दी गई थी और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर तत्कालीन उप-राज्यपाल की मंजूरी तक नहीं ली गई थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक शिकायतों के बाद भी नीलामी की बोली लगाने की मंजूरी दे दी गई।
केजरीवाल को जाना पड़ा था जेल
जिन लोगों को इसमें घाटा जुआ था, उन्हें भी लाइसेंस दे दिया गया या फिर उसे रिन्यू कर दिए गए। बता दें कि CAG की रिपोर्ट अभी दिल्ली विधानसभा में रखी जानी है। दिल्ली में साल 2021 में नई शराब नीति लागू हुई थी। लाइसेंस आवंटन को लेकर कई तरह के सवाल उठे, इसके बाद इसे वापस लेना पड़ा। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया पर शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा। दोनों नेता को जेल भी जाना पड़ा था। इस वजह से सीएम और डिप्टी सीएम तक का पद छोड़ना पड़ा।