सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि,नक्षत्र,मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
दिनांक:- 31/12/2024, मंगलवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष,
पोष “”””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——— प्रतिपदा 27:21:20 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र——– पूर्वाषाढा 24:02:38
योग————– ध्रुव 18:58:08
करण——- किन्स्तुघ्न 15:41:49
करण————– बव 27:21:20
वार——————— मंगलवार
माह————————- पौष
चन्द्र राशि——— धनु 30:00:14
चन्द्र राशि—————- मकर
सूर्य राशि—————— धनु
रितु———————- शिशिर
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————- क्रोधी
संवत्सर (उत्तर)———— कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————–1946
कलि संवत————— 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————– 07:10:53
सूर्यास्त————– 17:34:01
दिन काल———— 10:23:08
रात्री काल———— 13:37:08
चंद्रास्त————– 17:54:02
चंद्रोदय—————- 31:30:04
लग्न—- धनु 15°40′ , 255°40′
सूर्य नक्षत्र————- पूर्वाषाढा
चन्द्र नक्षत्र————– पूर्वाषाढा
नक्षत्र पाया——————- ताम्र
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
धा—- पूर्वाषाढा 12:02:52
फा—- पूर्वाषाढा 18:03:32
ढा—- पूर्वाषाढा 24:02:38
भे—- उत्तराषाढा 30:00:14
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 15°40, पू o षा o 1 भू
चन्द्र=धनु 17°30 , पू o षा o 2 धा
बुध =वृश्चिक 24°52 ‘ ज्येष्ठा 3 यी
शु क्र= कुम्भ 02°05,धनिष्ठा ‘ 3 गु
मंगल=कर्क 08°30 ‘ पुष्य ‘ 2 हे
गुरु=वृषभ 19°30 रोहिणी, 3 वी
शनि=कुम्भ 20°28 ‘ पू o भा o , 1 से
राहू=(व) मीन 07°25 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 07°25 उ oफा o 4 पी
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 14:58 – 16:16 अशुभ
यम घंटा 09:47 – 11:05 अशुभ
गुली काल 12:22 – 13: 40अशुभ
अभिजित 12:02 – 12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 09:16 – 09:57 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:01 – 23:42 अशुभ
वर्ज्यम 09:38 – 11:15 अशुभ
प्रदोष 17:34 – 20:20 शुभ
चोघडिया, दिन
रोग 07:11 – 08:29 अशुभ
उद्वेग 08:29 – 09:47 अशुभ
चर 09:47 – 11:05 शुभ
लाभ 11:05 – 12:22 शुभ
अमृत 12:22 – 13:40 शुभ
काल 13:40 – 14:58 अशुभ
शुभ 14:58 – 16:16 शुभ
रोग 16:16 – 17:34 अशुभ
चोघडिया, रात
काल 17:34 – 19:16 अशुभ
लाभ 19:16 – 20:58 शुभ
उद्वेग 20:58 – 22:40 अशुभ
शुभ 22:40 – 24:23* शुभ
अमृत 24:23* – 26:05* शुभ
चर 26:05* – 27:47* शुभ
रोग 27:47* – 29:29* अशुभ
काल 29:29* – 31:11* अशुभ
होरा, दिन
मंगल 07:11 – 08:03
सूर्य 08:03 – 08:55
शुक्र 08:55 – 09:47
बुध 09:47 – 10:39
चन्द्र 10:39 – 11:31
शनि 11:31 – 12:22
बृहस्पति 12:22 – 13:14
मंगल 13:14 – 14:06
सूर्य 14:06 – 14:58
शुक्र 14:58 – 15:50
बुध 15:50 – 16:42
चन्द्र 16:42 – 17:34
होरा, रात
शनि 17:34 – 18:42
बृहस्पति 18:42 – 19:50
मंगल 19:50 – 20:58
सूर्य 20:58 – 22:06
शुक्र 22:06 – 23:14
बुध 23:14 – 24:23
चन्द्र 24:23* – 25:31
शनि 25:31* – 26:39
बृहस्पति 26:39* – 27:47
मंगल 27:47* – 28:55
सूर्य 28:55* – 30:03
शुक्र 30:03* – 31:11
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
धनु > 05:06 से 07:06 तक
मकर > 07:06 से 08:52 तक
कुम्भ > 08:52 से 10:24 तक
मीन > 10:24 से 11:54 तक
मेष > 11:54 से 13:34 तक
वृषभ > 13:34 से 15:32 तक
मिथुन > 15:32 से 17:44 तक
कर्क > 17:44 से 20:02 तक
सिंह > 20:02 से 22:12 तक
कन्या > 22:12 से 00:38 तक
तुला > 00:38 से 02:38 तक
वृश्चिक > 02:38 से 04:58 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार:-आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें:-
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषुच l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान :-
यात्रा विवाह व्रतगोचरेषु,चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं
महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्
1 + 3 + 1 = 5 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल :-
1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
भद्रा वास एवं फल :-
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
शरद उत्सव समाप्त (माउंटआबू)
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
गृहीत्वा दक्षिणां विप्रास्त्यजन्ति यजमानकम् ।
प्राप्तविद्या गुरुं शिष्या दग्धारण्यं मृगास्तथा ।।
।। चा o नी o।।
ब्राह्मण दक्षिणा मिलने के पश्चात् आपने यजमानो को छोड़ देते है, विद्वान विद्या प्राप्ति के बाद गुरु को छोड़ जाते हैं और पशु जले हुए वन को त्याग देते हैं।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।,
शीतोष्णसुखदुःखेषु समः सङ्गविवर्जितः॥,
जो शत्रु-मित्र में और मान-अपमान में सम है तथा सर्दी, गर्मी और सुख-दुःखादि द्वंद्वों में सम है और आसक्ति से रहित है॥,18॥,
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-पुराने संगी-साथी व रिश्तेदारों से मुलाकात होगी। नए मित्र बनेंगे। अच्छी खबर मिलेगी। प्रसन्नता रहेगी। कार्यों में गति आएगी। विवेक का प्रयोग करें। लाभ में वृद्धि होगी। मित्रों के सहयोग से किसी बड़ी समस्या का हल मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। घर-बाहर सुख-शांति रहेगी।
🐂वृष-मेहनत सफल रहेगी। बिगड़े काम बनेंगे। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। आय में वृद्धि होगी। सामाजिक कार्य करने के अवसर मिलेंगे। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। समय की अनुकूलता का लाभ लें। धनार्जन होगा।
👫मिथुन-लेन-देन में सावधानी रखें। किसी भी अपरिचित व्यक्ति पर अंधविश्वास न करें। शोक संदेश मिल सकता है। विवाद को बढ़ावा न दें। किसी के उकसाने में न आएं। व्यस्तता रहेगी। थकान व कमजोरी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। आय में निश्चितता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🦀कर्क-मेहनत का फल पूरा नहीं मिलेगा। स्वास्थ्य खराब हो सकता है। बौद्धिक कार्य सफल रहेंगे। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन मिल सकता है। यात्रा मनोरंजक रहेगी। पारिवारिक मांगलिक कार्य हो सकता है। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे।
🐅सिंह-संपत्ति के बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स के लिए सुनहरा मौका साबित हो सकता है। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। रोजगार में वृद्धि के योग हैं। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। आय में वृद्धि होगी। व्यस्तता रहेगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे।
🙍♀️कन्या-शत्रुओं का पराभव होगा। राजकीय सहयोग प्राप्त होगा। वैवाहिक प्रस्ताव प्राप्त हो सकता है। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव बढ़ेगा। कोई बड़ा कार्य करने की योजना बन सकती है। कार्यसिद्धि होगी। सुख के साधनों पर व्यय होगा। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें।
⚖️तुला-वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग से हानि की आशंका है, सावधानी रखें। दूसरों के झगड़ों में हस्तक्षेप न करें। आवश्यक वस्तु समय पर नहीं मिलने से क्षोभ होगा। फालतू की बातों पर ध्यान न दें। व्यापार ठीक चलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।
🦂वृश्चिक-तीर्थदर्शन हो सकता है। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय सहयोग से कार्य पूर्ण व लाभदायक रहेंगे। कारोबार मनोनुकूल रहेगा। शेयर मार्केट में जोखिम न लें। नौकरी में चैन रहेगा। घर-बाहर प्रसन्नता बनी रहेगी। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। ध्यान रखें।
🏹धनु-आर्थिक उन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य कर पाएंगे। व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रतिष्ठा बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जोखिम न लें। भाइयों का सहयोग मिलेगा। आय में वृद्धि होगी।
🐊मकर-बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लंबी यात्रा हो सकती है। लाभ होगा। नए अनुबंध हो सकते हैं। रोजगार में वृद्धि होगी। रुके कार्य पूर्ण होंगे। प्रसन्नता रहेगी। नौकरी में उच्चाधिकारी की प्रसन्नता प्राप्त होगी। प्रशंसा मिलेगी। घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। प्रमाद न करें।
🍯कुंभ-व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।
🐟मीन-रोजगार में वृद्धि होगी। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। नवीन वस्त्राभूषण की प्राप्ति होगी। कोई बड़ा कार्य हो जाने से प्रसन्नता रहेगी। निवेश लाभदायक रहेगा। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। विवाद से बचें। आवश्यक वस्तु गुम हो सकती है।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
क्या हम चलते फिरते नारायण कवच का पाठ कर सकते है?
हाँ चलते-फिरते नारायण कवच का पाठ किया जा सकता है,लेकिन इसके लिए कुछ बातें ध्यान में रखना आवश्यक है।
1.भाव और श्रद्धा का महत्व
नारायण कवच का पाठ करते समय सबसे महत्वपूर्ण है मन की एकाग्रता और भक्ति। यदि आप चलते-फिरते पाठ कर रहे हैं,तो आपके मन में भगवान नारायण के प्रति समर्पण और पवित्रता बनी रहनी चाहिए।
2.शुद्धता और अनुशासन
नारायण कवच एक शक्तिशाली स्तोत्र है,जो सुरक्षा और शांति प्रदान करता है। इसे पढ़ते समय मन और शरीर की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप चलते-फिरते पाठ कर रहे हैं,तो सुनिश्चित करें कि आपका उद्देश्य पवित्र हो और आप अशुद्ध या अशोभनीय स्थान पर न हों।
3.उच्च स्वर में पाठ की आवश्यकता नहीं
चलते-फिरते पाठ करते समय आप इसे मन ही मन (मानसिक जप के रूप में) कर सकते हैं। यह भी उतना ही प्रभावी होता है,जितना कि स्थिर होकर पाठ करना।
4.ध्यान और एकाग्रता की चुनौती
चलते-फिरते पाठ करने में ध्यान केंद्रित करना थोड़ा कठिन हो सकता है। यदि संभव हो,तो दिन में कुछ समय स्थिर होकर (बैठकर या ध्यान की स्थिति में) पाठ करें,जिससे इसका प्रभाव अधिक गहरा हो।
5.विपरीत स्थितियों से बचें
चलते-फिरते पाठ करते समय अशांत या शोरगुल वाले स्थानों से बचने का प्रयास करें।
वाहन चलाते समय या किसी अन्य गतिविधि में पूरी तरह व्यस्त रहते हुए पाठ करने से बचें,क्योंकि इससे न तो पाठ पर ध्यान केंद्रित हो पाएगा और न ही गतिविधि पर।
6.भाव की प्रधानता
नारायण कवच का पाठ भाव प्रधान है। यदि आप इसे चलते-फिरते सच्चे हृदय से करते हैं,तो इसका प्रभाव बना रहता है। भगवान आपके प्रयास और श्रद्धा को देखते हैं,न कि भौतिक स्थितियों को।
चलते-फिरते नारायण कवच का पाठ करना संभव और स्वीकार्य है,बशर्ते कि आप इसे श्रद्धा और एकाग्रता से करें। हालांकि, अगर समय और स्थिति अनुमति दे,तो स्थिर होकर पाठ करना अधिक प्रभावी और लाभदायक माना जाता है।