मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर शुरू से ही सवाल खड़ा करने वाली कांग्रेस महज सदन का कीमती समय बर्बाद कर रही है।
जनपद -बस्ती
राज्य उत्तर प्रदेश
संवाददाता – अंशु श्रीवास्तव
भाजपा नेता व समाजसेवी चन्द्रमणि पाण्डेय सुदामा ने आज कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यदि विपक्ष के अनुसार गृहमंत्री ने डाक्टर अम्बेडकर की तुलना भगवान राम से कम कर उनका अपमान किया तो हिन्दुस्तान की जनता को विपक्ष बताये कि क्या वो भगवान राम को डाक्टर भीमराव अम्बेडकर से छोटा मानता है यदि हां तो वो समतामूलक संविधान के मूल भाव से भटक रहा है व संविधान में देय धर्म और धार्मिक मान्यताओं पर कुठाराघात कर रहा है उसका कृत्य सनातन धर्मियों की आस्था पर आघात पहुंचाने वाला है।और यदि भगवान राम को अपना आराध्य मानता है उनकी तुलना डाक्टर भीमराव अम्बेडकर से कम या ज्यादा नहीं करता तो अमित शाह जी की निंदा क्यों ?
युं भी विपक्ष अमित शाह जी के भाषण के एक अंश पर हंगामा कर रहा है वास्तव में भाषण के मूल भाव में उन्होंने किसी का अपमान किया ही नहीं है।
विश्व के अन्य प्रजातांत्रिक देशों की भांति भारत भी एक प्रजातांत्रिक देश है जहां के संविधान के तहत हर पांच वर्ष पर लोकसभा व विधानसभा के चुनाव देश की आम जनता द्वारा होता है जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि विधानसभा व लोकसभा पहुंच कर देश व प्रदेश की जनता के हित में काम करते हैं यहीं पर जनहित में नीतियों का निर्माण होता है व समय समय पर समय की मांग के अनुसार संविधान में संशोधन भी होता रहा है हम कह सकते हैं कि देश संविधान से चलता है और संविधान संशोधन सदन में बैठे सदस्य समय समय पर करते रहे हैं अर्थात सदन में बैठे सदस्य भी संविधान के महत्वपूर्ण अंग हैं। हमारा संविधान समता मूलक संविधान हैं जो कि जाति धर्म पंथ या छोटे बड़े के आधार पर व्यक्ति व्यक्ति में भेद नहीं करता जो मौलिक अधिकार एक राजा के हैं वहीं प्रजा के हैं सदन के सदस्य जनता हित नीति निर्माण करते हैं और जनता सदन के सदस्यों का चयन करती है।
ऐसे में विपक्षी दल विशेष रूप से कांग्रेस जो कि देश की चुनी हुई सरकार के गृहमंत्री के बयान के एक अंश को लेकर संसदीय कार्य को बाधित कर रही है और गृहमंत्री पर डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जी के अपमान का आरोप लगा रही है।
कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल क्या ये बतायेंगे कि क्या अम्बेडकर जी ने संविधान इसलिए बनाया था कि आप सदन छोड़कर सड़क पर बहस करें व जनहित में नीति निर्धारण की जगह महज आरोप प्रत्यारोप करें।
न्याय अन्याय सही गलत का फैसला सड़क पर करें अपितु उन्होंने इसके निर्धारण हेतु न्यायपालिका का गठन सुनिश्चित किया है।
यदि गृहमंत्री का बयान गलत है तो आप उसे न्याय पालिका में चैलेंज करें न कि सड़क पर उतर कर जन समस्याओं के समाधान व जनता के उत्थान पर सदन में चर्चा ही न करें।
आप अम्बेडकर जी का सम्मान किसी का अपमान करके नहीं अपितु संविधान व संवैधानिक संस्थाओं में आस्था व्यक्त कर करें।
किन्तु हमें लगता है कि वर्तमान में न तो विपक्ष के पास जनहित में कोई नीति है न नियति है ऐसे में मुद्दा विहीन विपक्ष सदन के कीमती समय को हंगामे के भेंट चढ़ा रहा है।
यदि विपक्ष के दावों में दम होता तो वो हंगामे की जगह सदन में इस पर चर्चा करती या न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाती।
किन्तु देश के हर उस नागरिक ने जिसने माननीय गृहमंत्री का पूरा बयान सुना है शायद कोई होगा जिसे उस बयान में कहीं अम्बेडकर जी का अपमान या उनके प्रति घृणा या द्वेष परिलक्षित हुआ हो
विपक्ष का यह कहना कि अमित शाह जी ने कहा कि यदि अम्बेडकर की जगह भगवान राम को भजते तो स्वर्ग पा जाते ये उनका अपमान या छोटा परिलक्षित करना है।
तो मैं कहना चाहूंगा कि अम्बेडकर जी के संविधान के अनुसार यदि भगवान राम को महिमा मंडित करना गृहमंत्री का दोष है तो भगवान राम को छोटा मानना विपक्ष का भी दोष है। क्योंकि संविधान में सब समान है।
दूसरे अमित शाह जी ने उसके आगे भी बोलते हुए कहा था कि सिर्फ अम्बेडकर के नाम पर राजनीति न हो अपितु उनकी नीतियों का आदर व अनुसरण भी करें ऐसे में उन्होंने अपमान कहां किया
यही नहीं संविधान हमें शांति पूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देता है किन्तु आज जिस तरह नेता प्रतिपक्ष के धक्के से सदन के एक बुजुर्ग सम्मानित सदस्य चोटिल हुए उससे भी अम्बेडकर जी का व उनके द्वारा निर्मित संवैधानिक संस्था व उसके मूल्यों का अपमान हुआ है।
विपक्ष के इस कृत्य का जबाब लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार आने वाले दिनों में जनता निश्चित देगी।