उत्तर प्रदेश बिधूना औरैया
नौनिहालों की जिंदगी से खिलवाड़, स्कूली वाहनों में भूसे की तरह भर रहे बच्चे
(बिधूना)। आरटीओ, स्कूल संचालकों व पालकों की अनदेखी से छात्र-छात्राएं खतरों भरा सफर करने को मजबूर हैं। यही कारण है कि अनफिट वाहनों में बच्चे हादसे का शिकार हो जाते हैं। हालत यह है कि क्षमता से दो गुना अधिक बच्चों को बैठाकर लाने ले जाने का काम कर रहे है। कुछ स्कूलों को छोड़ दे तो अधिकतर में फिटनेस, पंजीयन, फस्ट एड बाक्स, अग्निशमन यंत्र, वाहन का रंग व नंबर सब गायब हैं। बावजूत इसके जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं।
जानकारी के अनुसार जिले में हजारो बच्चे रोजाना वाहनों में स्कूल जाते हैं, जिसके लिए 200 से ज्यादा स्कूल वाहन चल रहे हैं, लेकिन जिले में सिर्फ लगभग 80 वाहन ही हैं स्कूलों के नाम पर पंजीकृत है। इन वाहनों के अलावा एक हजार से अधिक वाहन ऐसे हैं जिनका प्रयोग प्राइवेट तौर पर होता है। यह वाहन छात्रों को स्कूल तक लाने व बाद में स्कूल से घर छोड़ने में प्रयोग हो रहा है। इसके एवज में वह सीधे अभिभावक से पैसा वसूलते हैं। प्राइवेट स्कूलों के लिए प्रयोग हो रहे यह वाहन सुरक्षा के मानक पूरे नहीं करते हैं। अधिकतर वाहनों को परिवहन विभाग की ओर से संचालन की अनुमति भी नहीं होती है। फिर वह भी वह सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। इन वाहनों में बच्चों को भूसे की तरह ठूस कर बैठाया जाता है। स्कूलों में प्राइवेट तौर पर अधिकतर वैन का प्रयोग हो रहा है। परिवहन विभाग के मानक के अनुसार वैन में सात से अधिक बच्चे नहीं बैठाए जा सकते हैं। जबकि वैन में 15 व इससे अधिक छात्र बैठाए जा रहे हैं। चालक वाहन की अगली सीट पर तीन से चार बच्चों को बैठा लेते हैं।
वाहन में जीपीएस नहीं, सीसीटीवी कैमरे भी गायब
शहर के स्कूल में प्राइवेट तौर पर प्रयोग हो रहे वाहन परिवहन विभाग द्वारा तय किए गए मानकों को भी पूरा नहीं करते हैं। इन वाहनों में न ही जीपीएस की सुविधा उपलब्ध होती है और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं। वाहन की खिड़की पर जाली भी नहीं होती है। जिससे बच्चों के हाथ व सिर वाहन से बाहर निकालने का खतरा बना रहता है।
एक सीट पर पांच से छह बच्चे, सीट बेल्ट भी नहीं
प्राइवेट स्कूल वाहनों में एक सीट पर पांच पांच बच्चों को वाहन चालक बैठा लेते हैं। बच्चे सीट बेल्ट भी नहीं लगाते हैं। बुधवार को स्कूली वाहनों की हकीकत जानी गई। जिसमें अधिकतर ऐसे वाहन मिले जिसमें वाहन की आगे की सी दो व इससे अधिक बच्चे बैठे मिले। जबकि पीछे की सीटों पर भी क्षमता से अधिक बच्चे बैठाए गए थे।
स्कूल बस व वैन में इन नियमों का पालन जरूरी
-सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार स्कूल बस या वैन पीले रंग से पेंट होनी चाहिए।
-बस और वैन के आगे व पीछे आन स्कूल ड्यूटी लिखा हो।
-सभी खिड़कियों के बाहर लोहे या की ग्रिल या जाली होनी चाहिए।
-अग्निशमन यंत्र लगा हो।
-स्कूल का नाम और फोन नंबर होना चाहिए।
-दरवाजे में ताला लगा हो और सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए।
-चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो।
-ट्रांसपोर्ट परिमट होना चाहिए।
अभिभावक यह रखें सावधानी
-बस या वैन खड़ी होने पर ही बच्चों को चढ़ाएं।
-चालक की हरकतों पर नजर रखें।
-ध्यान रखें कि कहीं चालक नशे में तो नहीं है।
-बस या वैन में हेल्पर के साथ स्कूल के जिम्मेदार शिक्षक हैं या नहीं।
-बच्चों के आने और जाने के समय पर ध्यान रखें।
-बस के अंदर बच्चों को बैठने को जगह मिलती हैं या नहीं।
-बस में सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं।
इन नियमों को कुछ स्कूलों को छोड़कर कोई भी पालन नहीं कर रहा रिपोर्टर – अमरेंद्र कुमार