सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ़
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
दिनांक:- 11/12/2024, बुधवार
एकादशी, शुक्ल पक्ष, मार्गशीर्ष “””””””(समाप्ति काल)
तिथि———एकादशी 25:08:56 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र—————– रेवती 11:46:59
योग————— वरियान 18:46:26
करण————— वणिज 14:27:12
करण———– विष्टि भद्र 25:08:56
वार———————– बुधवार
माह———————-मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि————- मीन 11:46:59
चन्द्र राशि—————— मेष
सूर्य राशि——————- वृश्चिक
रितु————————– हेमंत
आयन——————— दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर)————- कालयुक्त
विक्रम संवत—————- 2081
गुजराती संवत————- 2081
शक संवत—————— 1946
कलि संवत—————– 5125
सूर्योदय——————— 07:01:02
सूर्यास्त——————— 17:24:14
दिन काल—————— 10:23:12
रात्री काल—————— 13:37:26
चंद्रोदय——————- 14:04:15
चंद्रास्त——————— 27:29:28
लग्न——–वृश्चिक 25°18′, 235°18′
सूर्य नक्षत्र—————– ज्येष्ठा
चन्द्र नक्षत्र—————— रेवती
नक्षत्र पाया—————— स्वर्ण
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
ची—- रेवती 11:46:59
चु—- अश्विनी 17:19:10
चे—- अश्विनी 22:50:37
चो—- अश्विनी 28:21:25
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी, अंश, नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 25°45, ज्येष्ठा 3 यी
चन्द्र=कुम्भ 27°30 , रेवती 4 ची
बुध =वृश्चिक 14°52 ‘ अनुराधा 4 ने
शु क्र= मकर 10°05, श्रवण’ 1 खी
मंगल=कर्क 11°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 21°30 रोहिणी, 4 वू
शनि=कुम्भ 19°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 08°25 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 08°25 उ o फा o 4 पी
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 12:13 – 13:31 अशुभ
यम घंटा 08:19 – 09:37 अशुभ
गुली काल 10:55 – 12:13
अभिजित 11:52 – 12:33 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:52 – 12:33 अशुभ
वर्ज्यम 30:12* – 31:40* अशुभ
प्रदोष 17:24 – 20:11 शुभ
गंड मूल अहोरात्र अशुभ
पंचक 07:01 – 11:47 अशुभ
चोघडिया, दिन
लाभ 07:01 – 08:19 शुभ
अमृत 08:19 – 09:37 शुभ
काल 09:37 – 10:55 अशुभ
शुभ 10:55 – 12:13 शुभ
रोग 12:13 – 13:31 अशुभ
उद्वेग 13:31 – 14:48 अशुभ
चर 14:48 – 16:06 शुभ
लाभ 16:06 – 17:24 शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग 17:24 – 19:06 अशुभ
शुभ 19:06 – 20:49 शुभ
अमृत 20:49 – 22:31 शुभ
चर 22:31 – 24:13* शुभ
रोग 24:13* – 25:55* अशुभ
काल 25:55* – 27:37* अशुभ
लाभ 27:37* – 29:20* शुभ
उद्वेग 29:20* – 31:02* अशुभ
होरा, दिन
बुध 07:01 – 07:53
चन्द्र 07:53 – 08:45
शनि 08:45 – 09:37
बृहस्पति 09:37 – 10:29
मंगल 10:29 – 11:21
सूर्य 11:21 – 12:13
शुक्र 12:13 – 13:05
बुध 13:05 – 13:57
चन्द्र 13:57 – 14:48
शनि 14:48 – 15:40
बृहस्पति 15:40 – 16:32
मंगल 16:32 – 17:24
होरा, रात
सूर्य 17:24 – 18:32
शुक्र 18:32 – 19:40
बुध 19:40 – 20:49
चन्द्र 20:49 – 21:57
शनि 21:57 – 23:05
बृहस्पति 23:05 – 24:13
मंगल 24:13* – 25:21
सूर्य 25:21* – 26:29
शुक्र 26:29* – 27:37
बुध 27:37* – 28:45
चन्द्र 28:45* – 29:54
शनि 29:54* – 31:02
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
वृश्चिक > 03:54 से 06:32 तक
धनु > 06:32 से 08:44 तक
मकर > 08:44 से 11:32 तक
कुम्भ > 11:32 से 12:04 तक
मीन > 12:04 से 13:36 तक
मेष > 13:36 से 15:00 तक
वृषभ > 15:00 से 17:08 तक
मिथुन > 17:08 से 19:20 तक
कर्क > 19:20 से 21:48 तक
सिंह > 21:48 से 23:38 तक
कन्या > 23:38 से 01:54 तक
तुला > 01:54 से 04:04 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें।
लाभ में व्यापार करें।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें।
दिशा शूल ज्ञान—————उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु चl
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय:ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रतगोचरेषु,चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,नैवाग्नि चक्रंपरिचिन्तनियं
महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत्।।
11 + 4 + 1 = 16 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक हैl
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शुक्र ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
11 + 11 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष
क्रीड़ायां = शोक , दुःख कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
दोपहर 14:25 से रात्रि 25:09 तक
स्वर्ग लोक = शुभ कारक
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
मोक्षदा एकादशी व्रत आज
गीता जयंती आज
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
वरयेत्कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाहः सद्रॄशे कुले।।
।। चा o नी o।।
एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की अविवाहित कन्या से किस वयंग होने के बावजूद भी विवाह करना चाहिए। उसे किसी हीन घर की अत्यंत सुन्दर स्त्री से भी विवाह नहीं करनी चाहिए। शादी-विवाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही उिचत होता है।
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः॥
अर्जुन बोले- हे जनार्दन! आपके इस अतिशांत मनुष्य रूप को देखकर अब मैं स्थिरचित्त हो गया हूँ और अपनी स्वाभाविक स्थिति को प्राप्त हो गया हूँ॥,51॥,
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत।।
🐏मेष-किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। नौकरी में उच्चाधिकारी प्रसन्न रहेंगे। किसी अपरिचित की बातों में न आएं। धनहानि हो सकती है। थोड़े प्रयास से ही काम सफल रहेंगे। मित्रों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
🐂वृष-व्यवसाय धीमा चलेगा। नौकरी में उच्चाधिकारी की नाराजी झेलनी पड़ सकती है। परिवार में मनमुटाव हो सकता है। सुख के साधनों पर व्यय सोच-समझकर करें। निवेश करने से बचें। व्यापार ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। मित्रों का सहयोग मिलेगा। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। शारीरिक कष्ट संभव है।
👫मिथुन-परिवार की आवश्यकताओं के लिए भागदौड़ तथा व्यय की अधिकता रहेगी। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में विशेष सावधानी की आवश्यकता है। दूसरों के झगड़ों में न पड़ें। कार्य की गति धीमी रहेगी। चिंता तथा तनाव रहेंगे। निवेश करने का समय नहीं है। नौकरी में मातहतों से अनबन हो सकती है, धैर्य रखें।
🦀कर्क-नवीन वस्त्राभूषण पर व्यय होगा। अचानक लाभ के योग हैं। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। व्यापार में वृद्धि से संतुष्टि रहेगी। नौकरी में जवाबदारी बढ़ सकती है। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। उत्साह से काम कर पाएंगे। किसी की बातों में न आएं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे।
🐅सिंह-कोई राजकीय बाधा हो सकती है। जल्दबाजी में कोई भी गलत कार्य न करें। विवाद से बचें। काफी समय से अटका हुआ पैसा मिलने का योग है, प्रयास करें। यात्रा लाभदायक रहेगी। आय के नए स्रोत प्राप्त हो सकते हैं। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। वस्तुएं संभालकर रखें।
🙎♀️कन्या-अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। कर्ज लेने की स्थिति बन सकती है। पुराना रोग बाधा का कारण बन सकता है। अपेक्षित कार्यों में विलंब हो सकता है। चिंता तथा तनाव रहेंगे। प्रेम-प्रसंग में जल्दबाजी न करें। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। व्ययसाय लाभप्रद रहेगा। कार्य पर ध्यान दें।
⚖️तुला-तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। भूमि व भवन संबंधी बाधा दूर होगी। आय में वृद्धि होगी। मित्रों के साथ बाहर जाने की योजना बनेगी। रोजगार प्राप्ति के योग हैं। परिवार व स्नेहीजनों के साथ विवाद हो सकता है। शत्रुता में वृद्धि होगी। अज्ञात भय रहेगा। थकान महसूस होगी। व्यवसाय ठीक चलेगा।
🦂वृश्चिक-कष्ट, भय, चिंता व तनाव का वातावरण बन सकता है। जीवनसाथी पर अधिक मेहरबान होंगे। कोर्ट व कचहरी के कार्यों में अनुकूलता रहेगी। लाभ में वृद्धि होगी। पारिवारिक प्रसन्नता तथा संतुष्टि रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। व्यय होगा। मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा। नए संपर्क बन सकते हैं। धनार्जन होगा।
🏹धनु-किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। भागदौड़ रहेगी। बोलचाल में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। पुराना रोग उभर सकता है। व्यापार में अधिक ध्यान देना पड़ेगा। जोखिम न उठाएं। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। बजट बिगड़ेगा। दूर से शोक समाचार मिल सकता है, धैर्य रखें।
🐊मकर-किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता हासिल करेगा। मनपसंद भोजन का आनंद मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग हैं। परिवार व मित्रों के साथ समय प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत होगा। शारीरिक कष्ट संभव है, सावधान रहें। निवेश शुभ रहेगा। तीर्थयात्रा की योजना बन सकती है।
🍯कुंभ-यात्रा सफल रहेगी। शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। नई योजना बनेगी। लोगों की सहायता करने का अवसर प्राप्त होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। काफी समय से अटके काम पूरे होने के योग हैं। भरपूर प्रयास करें। आय में मनोनुकूल वृद्धि होगी। पार्टनरों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा।
🐟मीन-दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। घर में मेहमानों का आगमन होगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। व्यापार में लाभ होगा। निवेश शुभ रहेगा। संतान पक्ष से आरोग्य व अध्ययन संबंधी चिंता रहेगी। दुष्टजनों से दूरी बनाए रखें। हानि संभव है। भाइयों का साथ मिलेगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
मोक्षदा एकादशी व्रत व गीता जयंती 11 दिसंबर, बुधवार
गीता जयंती व मोक्षदा एकादशी व्रत,माहात्म्य व कथा
मोक्षदा एकादशी के दिन अब से 5161 वर्ष पूर्व कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध के अवसर पर युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। मोक्षदा एकादशी को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
एकादशी आरंभ 11 दिसंबर, बुधवार सुबह 3•42 समाप्त 12 दिसंबर वृहस्पतिवार (रात्रिकाल)1•09
उदया तिथिअनुसार एकादशी व्रत 11 दिसंबर, बुधवार को है।
पारण
12दिसंबर, वृहस्पतिवार को व्रत खोलने/पारण का समय सुबह 7•08 से 9•09 तक रहेगा।
एकादशी को व्रत व उपवास करने से सभी पापों का नाश होता है और श्री कृष्ण कृपा मिलती है तथा सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
1.सुबह सूर्योदय से पहले 6•30 बजे तक स्नान का उत्तम समय रहेगा।
2.एकादशी को अन्न खाना व खिलाना महापाप माना जाता है।
3.एकादशी का व्रत व उपवास करने से मनुष्य की 21 पीढ़ियों 7 पिता पक्ष,7 माता पक्ष,7 ससुराल पक्ष)का उद्धार हो जाता है तथा मनुष्य पितृ ॠण,देव ॠण व ॠिषि ॠण से मुक्त हो वैकुण्ठ लोक में जाता है।
कृपया एकादशी का व्रत अवश्य रखें।
मोक्षदा एकादशी की महत्ता
मोक्षदा एकादशी पर भगवान विष्णु की कृपा और मोक्ष पाने के लिए व्रत किया जाता है। आज बुधवार को मोक्षदा एकादशी है। मान्यता है कि जो भक्त इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और भागवत गीता का पाठ करते हैं उनके कई जन्मों के पाप कट जाते हैं व एकादशी के फलस्वरुप उनके पितर मोक्ष प्राप्त करते है।
मोक्षदा एकादशी व्रत के कुछ विशेष नियम हैं,जिनका पालन करना जरूरी बताया गया है। व्रत से एक दिन पहले ही व्रत से जुड़े नियम शुरू हो जाते हैं।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि,व्रत पारण मुहूर्त और नियम
मोक्षदा एकादशी व्रत नियम:-
मोक्षदा एकादशी व्रत से एक दिन पूर्व यानि दशमी तिथि 10 दिसम्बर, मंगलवार से इस व्रत से जुड़े नियम शुरू हो जाते हैं। ध्यान रखें कि दशमी तिथि को रात्री में भोजन नहीं करना चाहिए तथा दशमी तिथि को सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी पूजा विधि:-
1.मोक्षदा एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर 5•30 बजे तक स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2.व्रत का संकल्प लेने के बाद धूप,दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करते हुए भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें।
3.एकादशी रात्रि में भी पूजा और जागरण करना चाहिए।
4.एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद बृाहमणो को भोजन व दान से विशेष लाभ मिलता है।
🏵मोक्षदा एकादशीव्रत कथा एवं माहात्म🏵
महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से मोक्षदा एकादशी व्रत के महत्व के विषय मे पूछा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष को आने वाली यह एकादशी मनुष्य को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त कराती है। इस व्रत को धारण करने वाला मनुष्य जीवन भर सुख भोगता है और अंत समय में फलस्वरूप निश्चित ही मोक्ष को प्राप्त होता है। मोक्ष दिलाने वाले इस दिन को मोक्षदा एकादशी कहते हैं।
कैसे करें मोक्षदा एकादशी व्रत
1.इस दिन प्रातः स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर प्रभु श्रीकृष्ण का स्मरण कर पूरे घर में पवित्र जल छिड़कें तथा अपने आवास तथा आसपास के वातावरण को शुद्ध बनाएं।
तत्पश्चात पूजा सामग्री तैयार करें।
2.तुलसी की मंजरी (तुलसी के पौधे पर पत्तियों के साथ लगने वाला), सुगंधित पदार्थ विशेष रूप से पूजन सामग्री में रखें।
3.गणेशजी, श्रीकृष्ण और वेदव्यासजी की मूर्ति या तस्वीर सामने रखें। गीता की एक प्रति भी रखें।
4.इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रणभूमि में उपदेश दिया था। अतः आज के दिन उपवास रखकर रात्रि में गीता-पाठ करते हुए या गीता प्रवचन सुनते हुए जागरण करने का भी काफी महत्व है।
पूजा-पाठ कर व्रत कथा को सुनें,पश्चात आरती कर प्रसाद का वितरण करे।
मोक्षदा एकादशी व्रतकथा
महाराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण कहा- हे भगवन आप तीनों लोकों के स्वामी,सबको सुख देने वाले और जगत के पति हैं। मैं आपको नमस्कार करता हूँ। हे देव आप सबके हितैषी हैं अत: मेरे संशय को दूर कर मुझे बताइए कि मार्गशीर्ष एकादशी का क्या नाम है? भगवान श्रीकृष्ण ने बताया पुरानी बात है,गोकुल नामक नगर का राजा वैखानस काफी दयालु था, वह अपनी प्रजा को संतान की तरह प्यार करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उनके पिता नरक में घोर यातनाएं भुगत कर विलाप कर रहे हैं। राजा की नींद खुल गई। अब वह बेचैन हो गया। प्रातः उसने अपने दरबार में सभी ब्राह्मणों को बुलाया और स्वप्न की सारी बात बता दी। फिर सभी ब्राह्मणों से प्रार्थना की कि कृपा कर कोई ऐसा उपाय बताओ, जिससे मेरे पिता का उद्धार हो सके। ब्राह्मणों ने राजा को सलाह दी कि यहां से थोड़ी दूरी पर महा विद्वान,भूत-भविष्य की घटनाओं को देखने वाले पर्वत ऋषि रहते हैं,वे ही आपको उचित मार्गदर्शन दे सकेंगे। तत्काल राजा पर्वत ऋषि के आश्रम में गया और ऋषिवर को प्रार्थना की कि हे मुनि कृपाकर मुझे ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। राजा की बात सुन ऋषि बोले, तुम्हारे पिता ने अपने जीवन काल में बहुत अनाचार किए थे जिसकी सजा वे नरक में रहकर भुगत रहे हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके पिता की मुक्ति हो जाए तो आप मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष को आने वाली मोक्षदा एकादशी का व्रत व उपवास करें। राजा वैखानस ने वैसा ही किया फलस्वरूप उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। अतः जो भी व्यक्ति इस व्रत को धारण करता है, उसे स्वयं को तो मोक्ष मिलता ही है, उसके माता-पिता,पितरो को भी मोक्ष प्राप्ति होती है।