छ. ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी संविधान दिवस पर न्यायालय में विशेष आयोजन – संविधान सर्वोच्च, समाज का मार्गदर्शक
कांकेर। 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय कांकेर में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनंद कुमार ध्रुव ने अपने प्रेरक उद्बोधन से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उन्होंने संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए भारतीय संविधान के निर्माण और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अपने संबोधन में न्यायमूर्ति ध्रुव ने कहा, “हमारा संविधान सर्वोच्च मानवीय मूल्यों, उत्कृष्ट लोकतांत्रिक आदर्शों, कर्तव्यों और मौलिक अधिकारों की पावन अभिव्यक्ति है। यह न केवल हमारे अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करने की भी प्रेरणा देता है।” उन्होंने समाज, राज्य और देश के उत्तरोत्तर विकास के लिए कर्तव्यों का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
संविधान के महत्व पर वक्ताओं की राय :-
इस अवसर पर प्रथम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश लीना अग्रवाल ने भी संविधान निर्माण और उसके महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने संविधान को देश की प्रगति का आधार बताते हुए इसके विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट किया। अधिवक्ता संघ कांकेर के अध्यक्ष नरेंद्र दवे ने अपने संक्षिप्त भाषण में संविधान निर्माण की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए बस्तर अंचल के रामप्रसाद पोटाई का उल्लेख किया, जो प्रारूप समिति के सदस्य थे। यह तथ्य दर्शाता है कि बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्र का भी संविधान निर्माण में योगदान रहा है।
कार्यक्रम की अन्य झलकियां :-
समारोह का संचालन मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेंद्र वासनीकर ने किया। कार्यक्रम में न्यायाधीशगण, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, अधिवक्तागण, डिफेंस काउंसिल के सदस्य और न्यायालय के कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
संविधान दिवस का संदेश :-
कार्यक्रम में वक्ताओं ने भारतीय संविधान को देश की आत्मा और लोकतंत्र का आधार बताते हुए नागरिकों से संविधान के प्रति निष्ठा बनाए रखने और अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करने की अपील की। इस आयोजन ने न्यायपालिका और नागरिकों के बीच संविधान के महत्व को समझने और उसकी गरिमा को बनाए रखने की प्रेरणा दी। न्यायालय में आयोजित यह समारोह संविधान के प्रति सम्मान और समाज को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।