खबर चंदौसी से
एन के बी एम जी पी जी काॅलेज, चन्दौसी की राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाईयों का कार्यक्रम
अधिकारी डाॅ शीतल गहलोत व डाॅ प्रियंका के संयोजन में सप्तदिवसीय विशेष शिविर विषय’ कौशल विकास एवं युवा सशक्तिकरण पर चर्तुथ दिवस कैंप का स्थान प्राथमिक विद्यालय कैथल द्वितीय में रहा । शिविर का आरंभ स्वयंसेविकाओं कु. प्रीति, नेहा,संजना राठौर, रिफा, श्रष्टि माथुर , स्वाती आदि द्वारा माँ सरस्वती की वंदना , लक्ष्य गीत व आह्वान गीत प्रस्तुत किया गया। स्वयंसेविकाओं ने गांव में जाकर सर्वे किया जिसके अंतर्गत स्वयंसेविकाओं ने आपदा प्रबंधन पर घर घर जाकर लोगो को इसके बारे में जागरूक किया। सर्वे करने के लिए आकांक्षा, अर्चना गोस्वामी, चांदनी, रुबेदा, अंजू, उर्मिला, नेहा पाल, प्रीति, मोनिका, मीनू, अनुष्का गोयल, रूषदा, कशिश, खुशनवी आदि ने प्रतिभाग किया।
शिविर के द्वितीय सत्र में महाविधालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर अलका रानी अग्रवाल एवम् प्रोफेसर संगीता गोयल उपस्थित रहीं। प्राचार्या जी ने स्वयं सेविका को आज के मुख्य विषय आपदा प्रबंधन के बारे मे बताया कि आपदाएं दो प्रकार की होती है मानव जनित और प्राकृति। दितीय सत्र के मुख्य वक्ता उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन प्रक्षीक्षक कोमल जुगलान रहे। इस अवसर पर उन्होने स्वयंसेविकाओ को संबोधित करते हुए बताया कि आपदा प्रबंधन का अर्थ ऐसे सभी उपायों से है जिससे खतरा आपदा का रूप न ले सके। चूंकि, हम कई प्राकृतिक खतरों को आने से नहीं रोक सकते हैं, लेकिन जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए उचित प्रबंधन द्वारा उनके हानिकारक प्रभावों को कम कर सकते हैं। आपदाएं प्राकृतिक या मानवीय खतरों के परिणाम हैं। वास्तव में वर्तमान खतरा प्राकृतिक आपदाओं से उतना नहीं है, जितना मानव निर्मित आपदाओं से है। उदाहरण के लिए – सतत शहरीकरण के कारण शहरी बाढ़, खराब जल प्रबंधन के कारण सूखा, तेजी से ढांचागत विकास और हिमालय क्षेत्र जैसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक जनसंख्या बसने से भूकंप और भूस्खलन की समस्या पैदा होती है।आपदा प्रबंधन का लक्ष्य खतरों को आपदा में बदलने से रोकना और जान-माल के नुकसान को कम करना है। इसमें आपदा से पूर्व, आपदा के समय और उसके आपदा के पश्चात् योजनाओं का निर्माण करना और कदम उठाना शामिल है। इसमें आपदाओं के लिए तैयारी करना, प्रभावी प्रतिक्रिया प्रणालियों को लागू करना और लचीले समुदायों का निर्माण करना शामिल है। आगे उन्होंने बताया कि आपातकालीन प्रबंधन में पांच चरण होते हैं रोकथाम, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, एवं पुनः प्राप्ति। डाॅ प्रियंका ने इस अवसर पर मंच का संचालन किया और आभार डॉक्टर शीतल ने दिया। श्रेणी कर्मचारी सीता और मुकेश का सहयोग रहा।
मुकेश कुमार की रिपोर्ट