सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
पंचांग का अति प्राचीन काल से ही बहुत महत्त्व माना गया है। शास्त्रों में भी पंचांग को बहुत महत्त्व दिया गया है और पंचाग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना गया है। पंचांग में सूर्योदय सूर्यास्त,चद्रोदय-चन्द्रास्त काल,तिथि, नक्षत्र, मुहूर्त योगकाल,करण,सूर्य-चंद्र के राशि,चौघड़िया मुहूर्त दिए गए हैं।
🙏जय श्री गणेशाय नमः🙏
🙏जय श्री कृष्णा🙏
आज का पंचांग
दिनांक:- 22/11/2024, शुक्रवार
सप्तमी, कृष्ण पक्ष,
मार्गशीर्ष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि———- सप्तमी 18:07:10 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——– आश्लेषा 17:08:57
योग————– ब्रह्म 11:32:38
करण————- बव 18:07:10
वार———————– शुक्रवार
माह——————- मार्गशीर्ष
चन्द्र राशि—– कर्क 17:08:57
चन्द्र राशि—————– सिंह
सूर्य राशि—————- वृश्चिक
रितु———————— हेमंत
आयन—————–दक्षिणायण
संवत्सर (उत्तर)————कालयुक्त
विक्रम संवत————– 2081
गुजराती संवत———— 2081
शक संवत—————- 1946
कलि संवत—————- 5125
वृन्दावन
सूर्योदय————– 06:46:55
सूर्यास्त—————- 17:23:44
दिन काल———— 10:36:48
रात्री काल————- 13:23:58
चंद्रास्त————– 12:31:43
चंद्रोदय—————- 23:40:58
लग्न—- वृश्चिक 6°1′ , 216°1′
सूर्य नक्षत्र————— अनुराधा
चन्द्र नक्षत्र————– आश्लेषा
नक्षत्र पाया—————— रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
डे—- आश्लेषा 10:40:58
डो—- आश्लेषा 17:08:57
मा—- मघा 23:39:37
मी—- मघा 30:12:50
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य= वृश्चिक 06°45, अनुराधा 1 ना
चन्द्र=कर्क 24°30 , अश्लेषा 3 डे
बुध =वृश्चिक 27°52 ‘ ज्येष्ठा 4 यू
शु क्र= धनु 18°05, पूoषा०’ 2 धा
मंगल=कर्क 10°30 ‘ पुष्य ‘ 3 हो
गुरु=वृषभ 24°30 मृगशिरा, 1 वे
शनि=कुम्भ 18°50 ‘ शतभिषा , 4 सू
राहू=(व) मीन 09°25 उo भा o, 2 थ
केतु= (व)कन्या 09°25 उ o फा o 4 पी
*🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮*
राहू काल 10:46 – 12:05 अशुभ
यम घंटा 14:45 – 16:04 अशुभ
गुली काल 08:07 – 09: 26अशुभ
अभिजित 11:44 – 12:27 शुभ
दूर मुहूर्त 08:54 – 09:37 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:27 – 13:09 अशुभ
वर्ज्यम 30:13* – 31:58* अशुभ
प्रदोष 17:24 – 20:07 शुभ
गंड मूल अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
चर 06:47 – 08:07 शुभ
लाभ 08:07 – 09:26 शुभ
अमृत 09:26 – 10:46 शुभ
काल 10:46 – 12:05 अशुभ
शुभ 12:05 – 13:25 शुभ
रोग 13:25 – 14:45 अशुभ
उद्वेग 14:45 – 16:04 अशुभ
चर 16:04 – 17:24 शुभ
चोघडिया, रात
रोग 17:24 – 19:04 अशुभ
काल 19:04 – 20:45 अशुभ
लाभ 20:45 – 22:25 शुभ
उद्वेग 22:25 – 24:06* अशुभ
शुभ 24:06* – 25:46* शुभ
अमृत 25:46* – 27:27* शुभ
चर 27:27* – 29:07* शुभ
रोग 29:07* – 30:48* अशुभ
होरा, दिन
शुक्र 06:47 – 07:40
बुध 07:40 – 08:33
चन्द्र 08:33 – 09:26
शनि 09:26 – 10:19
बृहस्पति 10:19 – 11:12
मंगल 11:12 – 12:05
सूर्य 12:05 – 12:58
शुक्र 12:58 – 13:51
बुध 13:51 – 14:45
चन्द्र 14:45 – 15:38
शनि 15:38 – 16:31
बृहस्पति 16:31 – 17:24
होरा, रात
मंगल 17:24 – 18:31
सूर्य 18:31 – 19:38
शुक्र 19:38 – 20:45
बुध 20:45 – 21:52
चन्द्र 21:52 – 22:59
शनि 22:59 – 24:06
बृहस्पति 24:06* – 25:13
मंगल 25:13* – 26:20
सूर्य 26:20* – 27:27
शुक्र 27:27* – 28:34
बुध 28:34* – 29:41
चन्द्र 29:41* – 30:48
*🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩*
वृश्चिक > 05:20 से 07:48 तक
धनु > 07:48 से 10:00 तक
मकर > 10:00 से 12:48 तक
कुम्भ > 12:48 से 13: 20 तक
मीन > 13:20 से 14:52 तक
मेष > 14:52 से 16:16 तक
वृषभ > 16:16 से 18:20 तक
मिथुन > 18:20 से 20:28 तक
कर्क > 20:28 से 23:00 तक
सिंह > 23:00 से 00:50 तक
कन्या > 00:50 से 03:06 तक
तुला > 03:06 से 05: 30 तक
*विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार*
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।*
*महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
15 + 7 + 6 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩*
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
*शिव वास एवं फल -:*
22 + 22 + 5 = 49 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
*अपराजिता सप्तमी
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
लालनाद् बहवो दोषास्ताडनाद् बहवो गुणाः ।
तस्मात्पुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्नतुलालयेत् ।।
।। चा o नी o।।
लाड-प्यार से बच्चों मे गलत आदते ढलती है, उन्हें कड़ी शिक्षा देने से वे अच्छी आदते सीखते है, इसलिए बच्चों को जरुरत पड़ने पर दण्डित करें, ज्यादा लाड ना करें।
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
आख्याहि मे को भवानुग्ररूपो
नमोऽस्तु ते देववर प्रसीद ।,
विज्ञातुमिच्छामि भवन्तमाद्यं
न हि प्रजानामि तव प्रवृत्तिम् ॥,
मुझे बतलाइए कि आप उग्ररूप वाले कौन हैं? हे देवों में श्रेष्ठ! आपको नमस्कार हो।, आप प्रसन्न होइए।, आदि पुरुष आपको मैं विशेष रूप से जानना चाहता हूँ क्योंकि मैं आपकी प्रवृत्ति को नहीं जानता॥,31॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष-यात्रा मनोरंजक रहेगी। स्वादिष्ट भोजन का आनंद प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग सफलता प्राप्त करेगा। किसी प्रबुद्ध व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। विवेक का प्रयोग करें। समस्याएं कम होंगी। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय रहेगा।
🐂वृष-वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। शारीरिक कष्ट संभव है। अज्ञात भय सताएगा। चिंता तथा तनाव रहेंगे। तंत्र-मंत्र में रुचि जागृत होगी। किसी जानकार व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।
👫मिथुन-व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। कोई ऐसा कार्य न करें जिससे कि अपमान हो। व्यापार-व्यवसाय अनुकूल रहेगा। निवेश सोच-समझकर करें। नौकरी में चैन रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। कानूनी अड़चन दूर होकर स्थिति अनुकूल बनेगी।
🦀कर्क-नौकरी में अधिकार मिल सकते हैं। सुख के साधन जुटेंगे। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। बड़े सौदे बड़ा लाभ दे सकते हैं। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। स्वास्थ्य संबंधी चिंता बनी रहेगी। आशंका व कुशंका रहेगी। कार्य में बाधा संभव है। उत्साह बना रहेगा।
🐅सिंह-नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। धनहानि हो सकती है। सावधानी आवश्यक है। थकान महसूस होगी।
🙍♀️कन्या-घर के छोटे सदस्यों संबंधी चिंता रहेगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। व्यापार मनोनुकूल रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। जल्दबाजी न करें।
⚖️तुला-किसी व्यक्ति के काम की जवाबदारी न लें। स्वयं के काम पर ध्यान दें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। विवाद को बढ़ावा न दें। चिंता तथा तनाव रहेंगे। व्यापार ठीक चलेगा। कार्यकुशलता कम होगी। कोई बड़ा खर्च एकाएक सामने आएगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। कुसंगति से बचें।
🦂वृश्चिक-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय बनी रहेगी। लाभ के लिए प्रयास करें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। वाहन, मशीनरी व अग्नि आदि के प्रयोग में सावधानी रखें। विवाद से क्लेश हो सकता है। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पार्टनरों से कहासुनी हो सकती है। भागदौड़ होगी।
🏹धनु-अप्रत्याशित लाभ हो सकता है। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। व्यावसायिक यात्रा लाभदायक रहेगी। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकार बढ़ने के योग हैं। कोई बड़ी समस्या का अंत हो सकता है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। लेन-देन में सावधानी रखें।
🐊मकर-दूर से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। नए काम करने का मन बनेगा। दूर यात्रा की योजना बनेगी। व्यापार से लाभ होगा। नौकरी में चैन रहेगा। जोखिम न लें। फिजूलखर्ची ज्यादा होगी। शत्रु भय रहेगा। शारीरिक कष्ट से बाधा उत्पन्न होगी।
🍯कुंभ-प्रयास सफल रहेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। व्यापार-व्यवसाय मनोनुकूल लाभ देगा। लाभ देगा। कोई बड़ा काम करने का मन बनेगा। प्रतिद्वंद्विता में वृद्धि होगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड इत्यादि में जल्दबाजी न करें। लाभ होगा।
🐟मीन-व्यर्थ दौड़धूप होगी। विवाद से स्वाभिमान को चोट पहुंच सकती है। काम में मन नहीं लगेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। आय में निश्चितता रहेगी। जोखिम न लें। एकाएक स्वास्थ्य खराब हो सकता है, लापरवाही न करें। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय है🙏🏻
🙏क्या सचमुच आत्मा होती है?🙏
आध्यात्मिक हिंदी कहानी
प्रातः काल का समय था। गुरुकुल में हर दिन की भांति गुरूजी अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे। आज का विषय था- “आत्मा”
आत्मा के बारे में बताते हुए गुरु जी ने गीता का यह श्लोक बोला –
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः |
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ||
अर्थात: आत्मा को न शस्त्र छेद सकते हैं, न अग्नि जला सकती है, न जल उसे गला सकता है और न हवा उसे सुखा सकती है। इस आत्मा का कभी भी विनाश नहीं हो सकता है, यह अविनाशी है।
यह सुनकर एक शिष्य को जिज्ञासा हुई,वह बोला,किन्तु गुरुवर यह कैसे संभव है? यदि आत्मा का अस्तित्व है,वो अविनाशी है,तो भला वो इस नाशवान शरीर में कैसे वास करती है और वो हमें दिखाई क्यों नहीं देती? क्या सचमुच आत्मा होती है? गुरु जी मुस्कुराए और बोले,पुत्र आज तुम रसोईघर से एक कटोरा दूध ले लेना और उसे सुरक्षित अपने कमरे में रख देना। और कल इसी समय वह कटोरा लेकर यहाँ उपस्थित हो जाना। अगले दिन शिष्य कटोरा लेकर उपस्थित हो गया। गुरु जी ने पूछा,क्या दूध आज भी पीने योग्य है? शिष्य बोला,नहीं गुरूजी,यह तो कल रात ही फट गया था लेकिन इसका मेरे प्रश्न से क्या लेना-देना? गुरु जी शिष्य की बात काटते हुए बोले,आज भी तुम रसोई में जाना और एक कटोरा दही ले लेना,और कल इसी समय कटोरा लेकर यहाँ उपस्थित हो जाना। अगले दिन शिष्य सही समय पर उपस्थित हो गया। गुरु जी ने पूछा,क्या दही आज भी उपभोग हेतु ठीक है ?शिष्य बोला,जी हाँ गुरूजी ये अभी भी ठीक है।अच्छा ठीक है कल तुम फिर इसे लेकर यहाँ आना गुरूजी ने आदेश दिया। अगले दिन जब गुरु जी ने शिष्य से दही के बारे में पूछा तो उसने बताया कि दही में खटास आ चुकी थी और वह कुछ खराब लग रही है। इसपर गुरूजी ने कटोरा एक तरफ रखते हुए कहा कोई बात नहीं आज तुम रसोई से एक कटोरा घी लेकर जाना और उसे तब लेकर आना जब वो खराब हो जाए।दिन बीतते गए पर घी खराब नहीं हुआ और शिष्य रोज खाली हाथ ही गुरु के समक्ष उपस्थित होता रहा। फिर एक दिन शिष्य से रहा नहीं गया और उसने पूछ ही लिए गुरुवर मैंने बहुत दिनों पहले आपसे पश्न किया था कि यदि आत्मा का अस्तित्व है,वो अविनाशी है,तो भला वो वो इस नाशवान शरीर में कैसे वास करती है और व हमें दिखाई क्यों नहीं देती? क्या सचमुच आत्मा होती है?पर उसका उत्तर देने की बजाये आपने मुझे दूध दही घी में उलझा दिया। क्या आपके पास इसका कोई उत्तर नहीं है? इस बार गुरूजी गंभीर होते हुए बोले वत्स मैं ये सब तुम्हारे प्रश्न का उत्तर देने के लिए ही तो कर रहा था- देखो दूध,दही और घी सब दूध का ही हिस्सा है। लेकिन दूध एक दिन में खराब हो जाता है। दही दो-तीन दिनों में लेकिन शुद्ध घी कभी खराब नहीं होता। इसी प्रकार आत्मा इस नाशवान शरीर में होते हुए भी ऐसी है कि उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। ठीक है गुरु जी,मान लिया कि आत्मा अविनाशी है लेकिन हमें घी तो दिखयी देता है पर आत्मा नहीं दिखती?शिष्य गुरु जी बोले घी अपने आप ही तो नहीं दिखता न? पहले दूध में जामन डाल कर दही में बदलना पड़ता है,फिर दही को मथ कर उसे मक्खन में बदला जाता है,फिर कहीं जाकर जब मक्खन को सही तापमान पर घंटों पिघलाया जाता है तब जाकर घी बनता है। हर इंसान आत्मा का दर्शन यानी आत्म-दर्शन कर सकता है,लेकिन उसके लिए पहले इस दूध रुपी शरीर को भजन रूपी जामन से पवित्र बनाना पड़ता है उसके बाद कर्म की मथनी से इस शरीर को दीन-दुखियों की सेवा में मथना होता है और फिर सालों तक साधना व तपस्या की आंच पर इसे तपाना होता ह।तब जाकर आत्म-दर्शन संभव हो पाता है।शिष्य गुरु जी की बात अच्छी तरह से समझ चुका था,आज उसकी जिज्ञासा शांत हो गयी थी उसने गुरु के चरण-स्पर्श किये और आत्म-दर्शन के मार्ग पर आगे बढ़ गया।