छ.ग. विशेष संवाददाता :- राजेन्द्र मंडावी भगवान बिरसा मुंडा जयंती- कांकेर में आदिवासी समाज का अद्वितीय उत्सव
कांकेर। एकता नगर ग्राम ठेलकाबोड में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को सर्व आदिवासी समाज और गोंडवाना महिला प्रकोष्ठ विकास खंड कांकेर के द्वारा भगवान बिरसा मुंडा चौक का अनावरण कर बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया। यह दिन आदिवासी समाज के लिए इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ने वाला अवसर है, जिसमें भगवान बिरसा मुंडा के योगदानों को श्रद्धांजलि दी गई।
भगवान बिरसा मुंडा, जिन्हें ‘धरती आबा’ के नाम से भी जाना जाता है, ने अपने जीवनकाल में अंग्रेजी शासन के विरुद्ध उलगुलान (विद्रोह) का नेतृत्व किया और जनजातीय अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके प्रसिद्ध नारे ‘अबुआ दिसुम, अबुआ राज’ (हमारा देश, हमारा शासन) ने आदिवासी समाज में स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की भावना को जन्म दिया।
उत्सव का आयोजन और विशेष अतिथि
इस विशेष अवसर पर, कार्यक्रम में कांकेर के विधायक आसाराम नेताम ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके साथ सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष कन्हैया उसेंडी, ग्राम के गायता दिसम्बर सलाम, और ग्राम सरपंच नंदलाल कुंजान जैसे प्रमुख स्थानीय नेताओं ने भी भाग लिया। भूतपूर्व विधायिका सुमित्रा मारकोले, और देवेंद्र सिंह भाऊ जैसे गणमान्य व्यक्तियों ने भी अपनी सहभागिता से आयोजन को गरिमा प्रदान की। इस आयोजन में शामिल अन्य प्रमुख अतिथियों में पद्मश्री अजय मंडावी, भूतपूर्व पार्षद अंकित पोटाई, आदिवासी छात्र संगठन के अध्यक्ष अनमोल मांडवी, और मातृशक्ति की सदस्याएं शकुंतला तारम, रिगवती वटृटी, तारा पोटाई और अन्य शामिल थे। इस अद्वितीय आयोजन में ठेलकाबोड और कांकेर के ग्रामवासियों के साथ-साथ युवाओं और महिला समूहों ने भी भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई।
भगवान बिरसा मुंडा का योगदान और महत्व
भगवान बिरसा मुंडा का जीवन प्रेरणादायक था। उन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष किया और आदिवासी समुदाय को अपने हक और अधिकारों के लिए जागरूक किया। उनके नेतृत्व ने आदिवासी समाज को एकता और स्वाभिमान की भावना से भर दिया। अंग्रेजों के अन्याय और अत्याचार के खिलाफ उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की और अपने लोगों के लिए स्वतंत्रता का सपना देखा।
मंच संचालन और सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम के सफल मंच संचालन का कार्य श्रीमती हेमलता मंडावी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और गीत-संगीत के माध्यम से भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और संघर्ष को जीवंत किया गया। आदिवासी नृत्य और पारंपरिक गीतों ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के इस आयोजन ने युवा पीढ़ी को यह संदेश दिया कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा केवल एक आदिवासी समाज का दायित्व नहीं, बल्कि पूरे देश का कर्तव्य है। उनके जीवन से प्रेरित होकर नए कदम उठाने की प्रेरणा दी गई। भगवान बिरसा मुंडा के विचार और उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी आदिवासी समाज की धरोहर हैं। उनका जीवन हमें साहस, एकता, और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का पाठ पढ़ाता है। कांकेर में आयोजित इस भव्य समारोह ने उनकी स्मृतियों को पुनर्जीवित किया और सभी उपस्थित जनों के दिलों में गर्व और सम्मान का भाव उत्पन्न किया।