सवांददाता नरसीराम शर्मा बीकानेर श्रीडूंगरगढ
जहां देश के विभिन्न हिस्सों में दहेज उत्पीड़न और बेटी बचाओ अभियान की चर्चाएं आम हो गई हैं, वहीं बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के तोलियासर गांव में एक ऐसी शादी संपन्न हुई जिसने समाज में एक मिसाल कायम की है। इस विवाह समारोह में दहेज की प्रथा को नकारते हुए दोनों परिवारों ने बिना दहेज के शादी की और बारातियों को उपहार स्वरूप औषधीय पौधे भेंट किए, जो एक अनोखी और प्रेरणादायक पहल मानी जा रही है।तोलियासर गांव के राजपुरोहित परिवार की बेटी रेखा कंवर का विवाह पाली जिले के आकदडा निवासी मुकेश सिंह राजपुरोहित के साथ हुआ। इस शादी में दोनों परिवारों ने आपसी सहमति से किसी भी प्रकार के दहेज की मांग या लेन-देन से इनकार कर दिया। विवाह समारोह को सादगीपूर्ण ढंग से आयोजित किया गया, जिसमें न तो किसी प्रकार का नशा हुआ, न ही दहेज लिया गया। वर-वधू पक्ष दोनों ने इस शादी को पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक आदर्श शादी बनाने का संकल्प लिया।इस शादी की सबसे अनोखी बात यह रही कि वधू पक्ष ने वर पक्ष के सभी मेहमानों और बारातियों को तुलसी व अन्य औषधीय पौधे उपहार में दिए। इन पौधों का महत्व औषधीय गुणों के लिए होता है, जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। वधू के पिता सोहन सिंह राजपुरोहित ने कहा,”हमने दहेज जैसी बुराई को दूर करने के लिए यह कदम उठाया है और सभी को पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रयास किया है। पौधे एक स्थायी उपहार हैं जो हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक हैं।” इस सादगीपूर्ण विवाह में वर पक्ष ने भी अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाते हुए गांव की दो गौशालाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया। वर पक्ष के परिवार द्वारा तोलियासर गांव की गौशालाओं में
भैरव नंदीशाला व भैरव गौशाला में ग्यारह ग्यारह हजार रूपए भी गौदान में दिए। जिससे यह विवाह समारोह न केवल पर्यावरण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का उदाहरण बना, बल्कि समाजसेवा की भी प्रेरणा दी।